ओपन एआई कंपनी द्वारा निर्मित चैटजीपीटी दुनियाभर में चर्चा का मुद्दा बन चुका है। यह दावा किया जा रहा है कि यह आधुनिक समय के सर्च इंजन को भी पछाड़ सकता है। यह सर्च इंजन से बिल्कुल अलग है। इसमें सिर्फ ऐसा नहीं होता कि कोई भी चीज सर्च करते ही या साधारण भाषाओं में कोई सवाल एंटर करते ही उससे संबंधित अन्य चीजों की केवल सूची ही दिखाई दे। जबकि, यह सर्च के बाद उचित लिंक के माध्यम से और उसके बाद भी उचित सूचनाओं का मौखिक सारांश भी सुनाता है।
हालांकि यह बात भी सही है कि इसके द्वारा गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा। चैटजीपीटी के प्रसिद्ध होने का एक कारण यह भी है कि यह लोगों की आदतों के अनुकूल है। चैटजीपीटी के माध्यम से सूचनाओं का प्रसार ठीक उसी तरह है जैसे कि स्कूल में शिक्षक छात्रों को वही सूचना देते हैं, जिसकी वे जरूरत समझते हैं, पक्षपाती शिक्षक को छोड़कर। दूसरा कारण यह है कि यह सर्च परिणाम के लिए फिल्टर की सुविधा प्रदान करता है, जिसके कारण लोग कई तरह के अनावश्यक लिंक के कारण परेशान नहीं होते।
एआई रिसर्च जिस फीचर के कारण अग्रणी भूमिका निभा रहा है, वह है नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी)। एक अच्छी एनएलपी का उपयोग अनंत है, और यह रिसर्च के कुछ चुनौती भरे क्षेत्रों में से एक है। यहां तक कि सबसे प्रतिभाशाली और सर्वश्रेष्ठ इंसान भी कुछ न कुछ कमियों के साथ ही बोलता या लिखता है। लोगों के भाषण देने या सामान्य रूप से बोलने या लिखने में जानकारियां बिखरी हुई और बिना किसी संरचना के होती हैं। वह जो बात कहता है उसमें कठिनाई होती है और वे ज्यादातर हास्यास्पद, व्यंग्यात्मक और ताने वाली होती हैं।
लोग जो कहना चाह रहे हैं, उसको समझना और उसमें से भी आवश्यक जानकारियों को फिल्टर करना, और इससे भी बढ़कर, मनुष्य की ही शैली में बोलना और लिखना बहुत ही कठिन है। इसे चैटबॉट के अंदर समेट कर रख देना और भी कठिन है। उदाहरण के लिए, एक रियाल्टार या ऑटोमोबाइल एजेंसी ग्राहकों की जरूरतों को खोजने के लिए चैटबॉट का उपयोग कर सकती है। यह बहुत छोटा है क्योंकि इसके विषय ऐसा कहा जा सकता है जैसे यह चाहे एक या दो बेडरूम, या मैनुअल ट्रांसमिशन या ऑटोमेटिक की बात हो या लोगों की इन सबके अनुसार पसंदीदा बजट सीमा की, ये सारी जानकारियां छोटे से चैटबॉट में रखता है।
एनएलपी को विषयों के व्यापक स्पेक्ट्रम में करना और इसे अच्छी तरह से करना ताकि लोग यह विश्वास कर सकें कि वे मनुष्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं, यह एक ट्यूरिंग टेस्ट है। एनएलपी की अवधारणा मूल रूप से मनोचिकित्सा के लिए विकसित की गई थी। लेकिन, इसे अब मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संदिग्ध उपयोग माना जाता है। लेकिन, एनएलपी जैसे-जैसे और विकसित हो रही है, इसके पास एक दूसरी अंतहीन संभावना है। एनएलपी का उपयोग विपरीत परिस्थितियों जैसे- कार को ऑटोमेटिक निर्देश प्रदान करने के लिए वाइस कमांड देने में या प्रतिक्रिया करने में किया जा सकता है और सिर्फ इसी के लिए बहुत सारे स्वतंत्र शोध भी जारी हैं।
दूसरा इसका बेहतर उपयोग लोगों के स्वास्थ्य को लेकर निदान प्रदान करना है। यह नैसर्गिक भाषा में सवाल करके मरीजों से ठीक वैसे ही लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है, जैसे कि डॉक्टर सवाल पूछते हैं। एनएलपी पहले फिल्टर के रूप में अत्यधिक काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को एक बड़ी सुविधा दे सकता है। अन्य कार्य जैसे-सचिवालय से संबंधित कार्यों या कार्यालय के विभिन्न कार्यों जैसे कॉरपोरेट बैठक में आवश्यक प्रक्रियाओं का रिकॉर्ड रखना, या तकनीकी मैनुअल को समझने योग्य बनाना इससे काफी आसान हो जाएगा।
एनएलपी का उपयोग लाखों सोशल मीडिया या मुख्यधारा के मीडिया के बयानों के माध्यम से लोगों की मनोभावना को जानने में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि कर कानून में बदलाव होता है, या किसी राज्य में प्रतिबंध को हटाने के लिए प्रस्ताव रखा गया है। ऐसे में नीति निर्माता एनएलपी का उपयोग करके लोगों के रुख के बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं और यह जान सकते हैं कि कितने लोगों का क्या मूड है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि कम अच्छे काम भी इसके उपयोग से किए जा सकते हैं और यह तब होगा जब एनएलपी अपनी क्षमता में विस्तार कर लेगी और सोशल मीडिया पर लोगों की आपसी बातचीत के बारे में समझकर उनके मतों में तोड़-मरोड़ करने लगेगी। एनएलपी सोशल मीडिया प्रभावित करने के लिए एक अच्छा साधन है। लेकिन, यह एक बेहतरीन फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग टूल भी साबित हो सकता है।
एक और मुद्दा पक्षपात है। सभी एआई को भाषा मॉडल समझाने के लिए डेटा प्रशिक्षण दिया जाना है। प्रशिक्षण के कई तरीके हैं, लेकिन सभी तरीकों में बहुत सारा डेटा शामिल होता है। एनएलपी में, वह डेटा आम तौर पर इंटरनेट और मौखिक सामग्री के लिए अन्य सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों से लिया जाता है। इसमें दुर्भाग्य की बात यह है कि वास्तविक दुनिया की तरह ही इंटरनेट पर भी बहुत सारी गलत जानकारियां, अफवाहें और पक्षपातपूर्ण सामग्रियां उपलब्ध है।
अगर एनएलपी को प्रशिक्षण में कई तरह की जातियों या रंगों के आधार पर भेदभाव सिखाया जाता है तो उदाहरण के लिए यह इस मत को मानने लगेगा कि एक निश्चित रंग या धर्म के लोग दूसरों से श्रेष्ठ हैं। अगर इसे इस विषय पर प्रशिक्षित किया जाता है कि महिलाएं किसी खास काम में खराब हैं, तो यह भी इस बात पर जोर देगा कि यह सच है। इसी तरह की समस्याएं जलवायु परिवर्तन और टीके के असर जैसे विषयों के साथ उत्पन्न भी होती हैं।
मान लीजिए एनएलपी को फर्जी समाचार देकर या जलवायु परिवर्तन पर गलत तरीके अपनाने के लिए नीति निर्माताओं को प्रभावित करने, या पड़ोसी देशों पर सैन्य हमले शुरू करने के लिए हथियार बनाए जाने के आधार पर प्रशिक्षित किया जाता है, तो स्थिति समस्याजनक हो सकती है। हाल के एक सर्वेक्षण में एआई शोधकर्ताओं के एक तिहाई ने माना कि एआई संभावित रूप से वैश्विक तबाही का कारण बन सकता है। ऐसा होते देखना मुश्किल नहीं है। इस सर्वेक्षण में 327 नमूनों को शामिल किया गया था।