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बैंकिंग साख: सरकारी उपक्रम और भुगतान चूक के मामले

एमटीएनएल की वेबसाइट आखिरी बार फरवरी 2018 में अपडेट की गई थी और 2012 के बाद से ही उसने अपनी बड़ी उपलब्धियों का जिक्र करना बंद कर दिया है।

Last Updated- October 17, 2024 | 10:52 PM IST
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भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में उस समय राहत की सांस साफ सुनी गई, जब बैंकरों को पता चला कि सरकार महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) को संकट से उबारने की सोच रही है। सार्वजनिक क्षेत्र के इन दोनों उपक्रमों (पीएसयू) को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है। दूरसंचार और इस्पात मंत्रालय इनके लिए राहत पैकेज पर वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं।

व्यय, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग तथा दूरसंचार विभाग के सचिवों की एक समिति एमटीएनएल के ऋण पर अंतिम फैसला लेगी। 25 सितंबर को भारतीय स्टेट बैंक ने एमटीएनएल को दिया अपना कर्ज गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) की श्रेणी में डाल दिया क्योंकि 30 जून से ही कंपनी ने किस्त और ब्याज नहीं चुकाए थे। इससे पहले सितंबर के मध्य में ही पंजाब नैशनल बैंक (PNB) ने भी दूसरे बैंकों की तरह कंपनी के खाते को डाउनग्रेड कर दिया था।

स्टेट बैंक ने 1 अक्टूबर को स्टॉक एक्सचेंजों के पास एक पत्र भेजा। पत्र के मुताबिक एमटीएनएल के ऋण खाते में 30 सितंबर तक बैंक के कुल 325.52 करोड़ रुपये बकाया थे। एमटीएनएल ने 13 सितंबर को स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि उस पर पीएनबी के कुल 441 करोड़ रुपये बकाया हैं और इनमें से 46 करोड़ रुपये वह समय से नहीं चुका पाई है। इससे पहले एमटीएनएल ने यह भी बताया था कि जून और अगस्त 2024 के बीच उसे कई सरकारी बैंकों के 519 करोड़ रुपये चुकाने थे, जो वह नहीं चुका पाई है।

एमटीएनएल सूचीबद्ध कंपनी है, जिसमें भारत सरकार की 56.25 प्रतिशत और भारतीय जीवन बीमा निगम की 13.12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। मार्च 2024 में इसकी नेटवर्थ (हैसियत) 23,663 करोड़ रुपये घट गई थी क्योंकि वित्त वर्ष 2023 में 2,915.1 करोड़ रुपये का घाटा झेलने के बाद वित्त वर्ष 2024 में भी इसे 3,302 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। उस पर कुल 35,600 करोड़ रुपये के करीब का कर्ज है, जिसमें 27,700 करोड़ रुपये के केंद्र की गारंटी वाले बॉन्ड हैं। इन बॉन्डों की अब भी ‘एएए (सीई)’ रेटिंग ही चल रही है।

सीई का मतलब है कि सरकार की गारंटी मिलने पर कर्ज बढ़ाया गया है। बाकी 7,900 करोड़ रुपये यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक, पीएनबी, पंजाब ऐंड सिंध बैंक और यूको बैंक से सावधि ऋण और पूंजीगत ऋण के तौर पर मिले हैं।

आरआईएनएल को विजाग स्टील भी कहा जाता है और उसमें सरकार की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसे वित्त वर्ष 2023 में (नवीनतम ऑडिट आंकड़ों के मुताबिक) 2,858 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और मार्च 2023 में इसकी नेटवर्थ 391 करोड़ रुपये थी। लेकिन वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में यह नेटवर्थ भी खत्म हो गई क्योंकि कंपनी को 2,058 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।

आरआईएनएल पर कुल 20,413 करोड़ रुपये का ऋण है। इसमें 10,812 करोड़ रुपये के सावधि ऋण और 9,601 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी है। एमटीएनएल की तरह ही जून में यह कंपनी भी किस्त और ब्याज चुकाने में नाकाम हो गई, जो सिलसिला अब तक चल रहा है। लगता है कि सभी बैंकों ने सितंबर तिमाही में आरआईएनएल और एमटीएनएल के खातों को फंसे ऋण की श्रेणी में डाल दिया है। सरकार हरकत में नहीं आई तो सभी को बट्टे खाते में डालना पड़ सकता है।

सरकार ने एमटीएनएल को जुलाई 1997 और आरआईएनएल को नवंबर 2010 में नवरत्न का दर्जा दिया। नवरत्न कंपनियां केंद्रीय पीएसयू होती हैं और देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। आम तौर पर इन्हें पूंजीगत व्यय, सहायक कंपनियों और संयुक्त उद्यमों में निवेश तथा मानव संसाधन प्रबंधन जैसे मामलों में स्वायत्तता हासिल होती है।

एमटीएनएल की स्थापना 1 अप्रैल 1982 में की गई थी। इसका मकसद देश के प्रमुख महानगरों दिल्ली और मुंबई में दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने, टेलीकॉम नेटवर्क बढ़ाने, नई सेवाएं शुरू करने और दूरसंचार विकास की जरूरतों के लिए राजस्व हासिल करना था।

भारत का पहला टेलीफोन एक्सचेंज 1882 में मुंबई में ही लगाया गया था। एमटीएनएल की वेबसाइट आखिरी बार फरवरी 2018 में अपडेट की गई थी और 2012 के बाद से ही उसने अपनी बड़ी उपलब्धियों का जिक्र करना बंद कर दिया है।

पहले हासिल की गई जिन उपलब्धियों का जिक्र है, उनमें 1992 में वॉयसमेल की शुरुआत, 2000 में मिलेनियम टेलीकॉम लिमिटेड और 2003 में महानगर टेलीफोन मॉरिशस लिमिटेड जैसी पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनियों की स्थापना तथा 2008 में 3जी मोबाइल सेवा की शुरुआत शामिल हैं।

सरकार ने बैंकिंग उद्योग को हाल ही में आश्वासन दिया है कि एमटीएनएल बॉन्ड धारकों के पैसे चुकाने में नहीं चूकेगी और इसे चलाने का काम मिनीरत्न कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को दे दिया जाएगा। दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि बैंकों का बकाया चुकाने के लिए इसकी संपत्तियों से कमाई करने का प्रयास भी चल रहा है।

दूरसंचार कंपनी ने पहले बैंकों के सामने प्रस्ताव रखा था कि उसका 60 प्रतिशत कर्ज माफ कर दिया जाए तो वह बाकी 40 प्रतिशत कर्ज चुका देगी। मगर बैंकों को यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया।

आम तौर पर पीएसयू को ऋण सुरक्षित माना जाता है। मगर इनमें भुगतान न होने के कई मामले सामने आए हैं और कर्ज निपटाने के फेर में बैंकों को काफी रकम से हाथ भी धोना पड़ा है। निजी बातचीत में बैंकर पीएसयू को कर्ज देने के अपने अनुभव बताने भी लगे हैं।

मिनीरत्न पीएसयू स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसटीसी) के पूर्ण स्वामित्व वाली एसटीसीएल लिमिटेड (पुराना नाम स्पाइस ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड) को बंद करने की याचिका एक दशक से भी ज्यादा समय से कर्नाटक उच्च न्यायालय में लटकी है। मार्च 2023 में एसटीसीएल पर आठ सरकारी और निजी बैंकों के 4,559 करोड़ रुपये बकाया थे। उन्हें वसूलने के मुकदमे ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) और ऋण वसूली अपील पंचाट (डीआरएटी) के पास पड़े हुए हैं।

केंद्र की मिनीरत्न पीएसयू हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड में बैंकों को 65 प्रतिशत बकाये से हाथ धोना पड़ा। यह समझौता ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी के जरिये हुआ, मंत्रालय स्तर की वैसी वार्ता के जरिये नहीं, जैसी एमटीएनएल और आरआईएनएल के लिए हो रही है।

आरआईएनएल और एमटीएनएल के ऋण निपटान का फैसला बैंकों का समूह नहीं बल्कि सचिवों की समिति ले रही है। आईबीसी कानून है और सही कीमत आंकने के लिए बाजार है। इनकी जगह निजी बातचीत में सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि बात करने वाले का पलड़ा कितना भारी है। अब अगर सरकार ही बातचीत करेगी तो क्या सरकारी बैंक जमकर मोलभाव कर पाएंगे?

First Published - October 17, 2024 | 10:38 PM IST

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