हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 के अनुसार, भारत में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम मुश्किल दौर में है। 2017 के बाद पहली बार, यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली स्टार्ट-अप कंपनियां) निर्माण में गिरावट आई है। हुरुन इंडिया के संस्थापक और चीफ रिसर्चर अनस रहमान जुनैद ने कहा, “शेयर बाजार में उछाल के बावजूद, भारत में मंदी आ रही है। इसका मुख्य कारण स्टार्ट-अप में निवेश की कमी है।”
जुनैद ने यह भी बताया कि भारतीय संस्थापक अब विदेशों में, खासकर अमेरिका में, भारत की तुलना में अधिक यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियां) स्थापित कर रहे हैं।
ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024
यह इंडेक्स 2000 के दशक में स्थापित दुनिया के सबसे मूल्यवान स्टार्ट-अप को दर्शाता है। इनमें से प्रत्येक स्टार्ट-अप की कीमत कम से कम 1 अरब डॉलर है और अभी तक वे किसी सार्वजनिक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं हुए हैं।
2024 में दुनिया के टॉप 10 यूनिकॉर्न
दुनिया के टॉप 10 यूनिकॉर्न में से 8 चीन और अमेरिका से हैं। ऑस्ट्रेलिया और माल्टा से एक-एक यूनिकॉर्न इस लिस्ट में शामिल हैं। इन 10 यूनिकॉर्न का मूल्य $198 बिलियन है। पिछले एक साल में दुनिया भर में यूनिकॉर्न का मूल्यांकन 45% बढ़ गया है।
हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024: मुख्य बातें
यूनिकॉर्न अब 53 देशों और 291 शहरों में फैले हुए हैं। इस मामले में अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं, भारत इनोवेटिव स्टार्टअप के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
शहरों की रैंकिंग
सैन फ्रांसिस्को दुनिया में सबसे ज़्यादा यूनिकॉर्न कंपनियों वाला शहर बना हुआ है। सिंगापुर यूनिकॉर्न कंपनियों के लिए तेज़ी से बढ़ता हुआ हब बन रहा है।
भारत की AI के क्षेत्र में प्रगति और वैश्विक अंतर
भारत ने अपना पहला AI यूनिकॉर्न “Krutim” खड़ा किया है। AI इनोवेशन में भारत अभी भी अमेरिका और चीन से काफी पीछे है। अमेरिका में 60 और चीन में 37 AI यूनिकॉर्न कंपनियां हैं। जुनैद कहते हैं कि यह स्थिति भारत के लिए महत्वपूर्ण है। अगर भारत आगे नहीं बढ़ा तो वो प्रमुख टेक्नॉलजी सेक्टर में और भी पीछे रह जाएगा।
आर्थिक मंदी के बावजूद चीन और अमेरिका आगे
हुरुन रिपोर्ट के चेयरमेन रूपर्ट हुगेवर्फ ने बताया कि पिछले एक साल में दुनिया में हर दो दिन में एक यूनिकॉर्न कंपनी बनी है। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका लगातार नए यूनिकॉर्न तैयार कर रहे हैं, और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भी उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है। पिछले पांच सालों में यूनिकॉर्न की संख्या में बहुत तेज़ी से वृद्धि हुई है, और दुनिया के कई देशों और शहरों ने इस ग्लोबल ट्रेंड में योगदान दिया है।
हुगेवर्फ ने 2024 को “AI का वर्ष” बताया। उन्होंने कहा कि OpenAI का मूल्य 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया भर के सभी यूनिकॉर्न का संयुक्त मूल्य अब 5 ट्रिलियन डॉलर है, जो जापान की जीडीपी के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा, इन यूनिकॉर्न को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है: अमेरिका, चीन और बाकी दुनिया। दुनिया के आधे यूनिकॉर्न अमेरिका में हैं, जिनकी सॉफ्टवेयर, फिनटेक और AI क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति है। दुनिया के एक चौथाई यूनिकॉर्न चीन में हैं, जो AI, सेमीकंडक्टर और न्यू एनर्जी क्षेत्रों में हावी हैं। शेष यूनिकॉर्न फिनटेक और ई-कॉमर्स क्षेत्रों में हैं, जो ‘बाकी दुनिया’ में फैले हुए हैं। भले ही अमेरिका में सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न हैं लेकिन आर्थिक मंदी के बावजूद चीन यूनिकॉर्न को सार्वजनिक करने में अमेरिका और बाकी दुनिया से आगे रहा है।