आज के समय में जब ब्याज दरें बदल रही हैं, टैक्स के नियम सख्त हो रहे हैं और महंगाई बढ़ रही है, तो लोगों के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि पैसा कहां लगाएं। कुछ लोग सरकार की गारंटी वाली स्कीम्स जैसे SCSS और NSC को पसंद करते हैं, तो कुछ लोग बाजार से जुड़ी स्कीम जैसे डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं। लेकिन सवाल यही है कि किस स्कीम में पैसा लगाना सबसे ठीक रहेगा?
सीनियर सिटीज़न सेविंग स्कीम (SCSS) सिर्फ 60 साल या उससे ऊपर के लोगों के लिए है। इसमें अप्रैल से जून 2025 के बीच 8.2% सालाना ब्याज मिल रहा है जो हर 3 महीने में अकाउंट में आ जाता है। इस स्कीम की मियाद 5 साल की होती है, जिसे 3 साल और बढ़ाया जा सकता है। अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो इसमें 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। हालांकि ब्याज पर टैक्स देना होता है और अगर साल में ब्याज 50,000 रुपये से ज़्यादा हुआ तो TDS कटता है।
अगर आप रिटायर हो चुके हैं और हर तीन महीने में तय रकम कमाना चाहते हैं, तो यह स्कीम आपके लिए एकदम सही है। जैसे रानी जी जो 65 साल की हैं, अगर ₹15 लाख इस स्कीम में लगाती हैं तो हर तीन महीने में उन्हें ₹30,750 मिलते हैं – वो भी बिना किसी रिस्क के।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) हर भारतीय नागरिक के लिए है। इसमें 7.7% सालाना ब्याज मिलता है जो 5 साल बाद पूरा एकसाथ मिल जाता है। यह स्कीम भी 80C के तहत टैक्स बचाने में मदद करती है। इसमें हर साल मिलने वाला ब्याज फिर से उसी में जुड़ जाता है और उस पर भी टैक्स छूट मिलती है (सिर्फ आखिरी साल को छोड़कर)।
अगर आप 5 साल तक पैसा लॉक कर सकते हैं और हर महीने पैसे की ज़रूरत नहीं है, तो यह एक सुरक्षित और फिक्स्ड रिटर्न देने वाला ऑप्शन है। जैसे संजय जो 35 साल के हैं, उन्होंने ₹1.5 लाख NSC में लगाए और 5 साल बाद उन्हें ₹2.2 लाख मिले – वो भी बिना किसी जोखिम के।
डेट म्यूचुअल फंड्स में कोई भी उम्र का व्यक्ति पैसा लगा सकता है। इसमें आमतौर पर 6% से 8% तक का रिटर्न मिलता है, लेकिन यह पक्का नहीं होता – कभी ज़्यादा भी मिल सकता है और कभी कम भी। अब नए टैक्स नियमों के हिसाब से, इन फंड्स में होने वाला मुनाफा आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होता है।
अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसे पैसे की ज़रूरत कभी भी पड़ सकती है और आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं, तो डेट फंड्स आपके लिए सही हैं। जैसे प्रिया, जो 40 साल की हैं, उन्होंने ₹5 लाख एक कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में लगाए और 2 साल बाद जब उनके बच्चे की स्कूल फीस भरनी थी तो उन्होंने बिना किसी परेशानी के पैसा निकाल लिया।
2023 के बाद से डेट फंड्स में पुराने टैक्स फायदे नहीं मिलते, इसलिए जिनकी इनकम ज़्यादा है और वो 30% टैक्स स्लैब में आते हैं, उनके लिए अब SCSS और NSC ज़्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
अगर आप रिटायर हो चुके हैं और चाहते हैं कि आपको हर कुछ महीनों में तय रकम मिलती रहे, तो सीनियर सिटीज़न सेविंग स्कीम (SCSS) आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। इसमें सरकार की गारंटी होती है और हर तीन महीने में ब्याज के रूप में आमदनी मिलती है, जो रिटायरमेंट के बाद नियमित खर्चों के लिए बहुत मददगार होती है।
वहीं, अगर आप नौकरीपेशा हैं, टैक्स बचाना चाहते हैं और आपको पांच साल तक उस पैसे की ज़रूरत नहीं है, तो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) आपके लिए बेहतर रहेगा। यह स्कीम सुरक्षित है, इसमें रिटर्न तय होता है और टैक्स छूट का भी फायदा मिलता है।
अगर आप थोड़ा रिस्क उठा सकते हैं और ऐसी जगह पैसा लगाना चाहते हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर आसानी से निकाल सकें, तो डेट म्यूचुअल फंड्स को चुनना समझदारी हो सकती है। इसमें आपको फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है और बाजार से जुड़े रिटर्न का भी फायदा हो सकता है, हालांकि इसमें गारंटी नहीं होती।
अगर आप समझदारी से और संतुलित तरीके से निवेश करना चाहते हैं, तो आप इन तीनों विकल्पों का मिला-जुला इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इससे आपके पैसे को सुरक्षित बढ़ने, नियमित आमदनी मिलने और ज़रूरत पड़ने पर आसानी से निकालने – इन तीनों फायदे एक साथ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, SCSS में निवेश करने से आपको हर तीन महीने पर तय रकम मिलती रहेगी, जिससे रिटायरमेंट के बाद की ज़रूरतें पूरी होती रहेंगी। वहीं, NSC में लगाया गया पैसा बिना किसी जोखिम के पांच साल में अच्छा रिटर्न देगा और टैक्स छूट भी मिलेगी। साथ ही, डेब्ट फंड में थोड़ा पैसा लगाकर आप अपनी निवेश योजना में लचीलापन ला सकते हैं, जिससे जब चाहें तब पैसा निकाल सकें। इस तरह, यह मिश्रित रणनीति आपके पूरे निवेश को संतुलित और सुरक्षित बना सकती है।