अप्रत्यक्ष कर संबंधी विवादों को हल करने के लिए बनाई गई वैधानिक संस्था माल एवं सेवा कर अपील पंचाट (जीएसटीएटी) के राज्य पीठों में कामकाज शुरू करने का लक्ष्य दिसंबर से आगे खिसकने वाला है। इस मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित पीठों के लिए आवश्यक कर्मचारी नहीं हैं और इससे संबंधित बुनियादी ढांचा अभी तक तैयार नहीं है।
जीएसटी अपीली प्रधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई और करदाताओं को न्याय के लिए एक स्वतंत्र मंच प्रदान करने के लिए इन पीठों का गठन किया गया है। इसके लिए एक प्रधान पीठ नई दिल्ली में स्थापित है और 45 स्थानों पर 31 राज्यों के पीठ स्थापित हैं। इनके माध्यम से जीएसटीएटी की पहुंच पूरे देश में है।
प्रत्येक राज्य पीठ में केंद्र द्वारा नियुक्त 2 न्यायिक सदस्य होने चाहिए और इनके साथ 2 तकनीकी सदस्य होने चाहिए, जिनमें एक की नियुक्ति केंद्र व एक की नियुक्ति राज्य सरकार करती है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की नियुक्तियां पूरी कर ली हैं, लेकिन किसी भी नियुक्त सदस्य को अब तक पोस्टिंग आदेश नहीं मिला है, हालांकि वे सितंबर से ही वेतन ले रहे हैं।
ज्यादातर राज्यों को अभी तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति करनी है। एक सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित सिर्फ 4 राज्यों ने अपने तकनीकी सदस्य नियुक्त किए हैं। शेष राज्यों को अभी नियुक्ति करनी है।’ इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का जवाब खबर प्रकाशित होने तक नहीं मिला है।
सूत्रों ने कहा कि पंचाट अभी काम नहीं कर रहा है। ऐसे में जीएसटी सिस्टम में करीब 6 लाख कर अपील लंबित हैं। इसकी वजह से कारोबारियों व करदाताओं को फैसले के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। मई 2024 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्र को जीएसटीएटी का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
जीएसटीएटी के प्रक्रियात्मक ढांचे को 24 अप्रैल, 2025 को जीएसटीएटी (प्रक्रिया) नियमों के माध्यम से अधिसूचित किया गया था। अगस्त में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि न्यायाधिकरण पीठों को अक्टूबर 2025 से चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा, जिसमें डिजिटल फाइलिंग और वर्चुअल सुनवाई होगी और इसमें पुराने लंबित मामलों को प्राथमिकता पर लिया जाएगा।