Senior Citizen Savings Scheme: बुजुर्गों के लिए वित्तीय सुरक्षा और नियमित आय का एक भरोसेमंद जरिया मानी जाने वाली सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) की ब्याज दर अप्रैल-जून 2025 तिमाही के लिए तय हो गई है। सरकार ने इस बार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिसके चलते SCSS की ब्याज दर 8.2% सालाना पर बरकरार रहेगी। यह योजना पोस्ट ऑफिस और कुछ चुनिंदा बैंकों के जरिए उपलब्ध है और रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय की तलाश करने वाले सीनियर सिटीजन के बीच खासी लोकप्रिय है। हर तिमाही में सरकार इन योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करती है, लेकिन इस बार दरें स्थिर रखने का फैसला लिया गया।
SCSS न सिर्फ सुरक्षित निवेश का विकल्प देती है, बल्कि टैक्स छूट और हर तीन महीने में ब्याज भुगतान जैसे फायदे भी मुहैया कराती है। इस योजना में न्यूनतम 1,000 रुपये से खाता खोला जा सकता है और अधिकतम 30 लाख रुपये तक निवेश की सीमा है। आइए, इस योजना के नियमों, ब्याज दर, टैक्सेशन और समय से पहले बंद करने की शर्तों को विस्तार से समझते हैं।
SCSS में निवेश करने वाले सीनियर सिटीजन को अप्रैल से जून 2025 तक 8.2% की सालाना ब्याज दर मिलेगी। यह ब्याज हर तिमाही यानी तीन महीने में खाते में जमा होता है, जिससे बुजुर्गों को नियमित आय का सहारा मिलता है। सरकार हर तिमाही में ब्याज दरों की समीक्षा करती है, लेकिन इस बार कोई बढ़ोतरी या कटौती नहीं की गई। इसका मतलब है कि पिछले तिमाही की तरह ही इस बार भी निवेशकों को यही दर मिलेगी।
इस योजना में खाता खोलने के लिए कम से कम 1,000 रुपये जमा करने होंगे और इसके बाद 1,000 के गुणज में राशि बढ़ाई जा सकती है। हालांकि, एक सीनियर सिटीजन इस योजना में कुल 30 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकते। यह सीमा सभी सक्रिय SCSS खातों के कुल निवेश पर लागू होती है। योजना की अवधि 5 साल की है, जिसे बाद में 3 साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय तक स्थिर रिटर्न चाहते हैं।
SCSS में निवेश करने से टैक्स में भी राहत मिलती है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत निवेशक 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा कर सकते हैं। हालांकि, इस योजना से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स के दायरे में आता है। अगर किसी वित्तीय वर्ष में सभी SCSS खातों से मिलने वाला कुल ब्याज 1 लाख रुपये से ज्यादा होता है, तो TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) काटा जाता है। पहले यह सीमा 50,000 रुपये थी, लेकिन बजट 2025 में इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया। यह नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है।
अगर निवेशक फॉर्म 15G या 15H जमा करते हैं और उनकी कुल ब्याज आय तय सीमा से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा। यह सुविधा खास तौर पर उन बुजुर्गों के लिए मददगार है जिनकी आय सीमित है और वे अतिरिक्त टैक्स बोझ से बचना चाहते हैं।
SCSS में निवेशकों को लचीलापन भी दिया गया है। खाता खोलने के बाद इसे कभी भी बंद किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें और जुर्माने हैं। अगर खाता 1 साल से पहले बंद किया जाता है, तो कोई ब्याज नहीं मिलेगा और पहले जमा हुआ ब्याज भी वापस ले लिया जाएगा। वहीं, 1 साल के बाद लेकिन 2 साल से पहले बंद करने पर मूल राशि का 1.5% जुर्माना काटा जाता है। अगर खाता 2 साल के बाद लेकिन 5 साल से पहले बंद होता है, तो 1% की कटौती होती है।
5 साल की अवधि पूरी होने के बाद खाते को 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस बढ़ाई गई अवधि में अगर खाता 1 साल बाद बंद किया जाता है, तो कोई जुर्माना नहीं लगता। ये नियम निवेशकों को अपनी जरूरत के हिसाब से फैसला लेने की आजादी देते हैं, लेकिन समय से पहले निकासी पर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
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अगर खाताधारक की मृत्यु 5 साल की अवधि से पहले हो जाती है, तो उसके बाद खाते पर पोस्ट ऑफिस बचत खाते की ब्याज दर लागू होती है। लेकिन अगर खाता संयुक्त रूप से पति-पत्नी के नाम है या पति-पत्नी में से कोई एकमात्र नामांकित (नॉमिनी) है, तो वे खाते को SCSS की मूल ब्याज दर पर जारी रख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि वे खुद SCSS के लिए योग्य हों और उनकी कुल निवेश सीमा 30 लाख रुपये से अधिक न हो।
खाता 5 साल बाद परिपक्व (मैच्योर) हो जाता है और इसे बंद करने के लिए पोस्ट ऑफिस में पासबुक के साथ आवेदन देना होता है। अगर निवेशक चाहें, तो परिपक्वता के 1 साल के भीतर खाते को 3 साल के लिए बढ़ा सकते हैं। इस दौरान ब्याज दर वही होगी जो मूल खाते की परिपक्वता के समय नए SCSS खातों के लिए लागू होगी।