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रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बीच सोने पर लट्टू निवेशक जरूर जान लें टैक्स से जुड़े ये नियम; क्या बजट में इनमें हुए हैं बदलाव?

सोने में निवेश से पहले इसके अलग-अलग फॉर्म पर लगने वाले टैक्स नियमों को लेकर जरूर सचेत होना चाहिए ताकि आपका रिटर्न प्रभावित न हो।

Last Updated- February 06, 2025 | 1:48 PM IST
Gold

सोने में फिलहाल रिकॉर्ड तोड़ तेजी है। घरेलू स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट दोनों में सोने की बेंचमार्क कीमतें बुधवार को 84 हजार रुपये के ऊपर पहुंच गई । ग्लोबल मार्केट में तो सोना 2,900 डॉलर प्रति औंस का लेवल तोड़ने को बेताब है। जानकारों की मानें तो ट्रेड वॉर को लेकर ग्लोबल इकॉनमी में बढ़ती अनिश्चितता के मद्देनजर सोने के लिए आउटलुक बुलिश है। वहीं घरेलू इक्विटी मार्केट सितंबर के बाद लगातार हिचकोले खा रहा है जिस वजह से निवेशकों के लिए गोल्ड फिलहाल बेहद आकर्षक एसेट क्लास बन गया है। लेकिन सोने में निवेश से पहले इसके अलग-अलग फॉर्म पर लगने वाले टैक्स नियमों को लेकर जरूर सचेत होना चाहिए ताकि आपका रिटर्न प्रभावित न हो। जहां तक रही बजट की बात  इस महीने की पहली तारीख को पेश किए गए आम बजट (Budget 2025) में  गोल्ड की बिक्री से संबंधित टैक्स नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया।

अब सोने के अलगअलग फॉर्म में निवेश पर टैक्स नियमों को जानते हैं: –

फिजिकल गोल्ड (physical gold)

खरीदने के समय
गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के समय गोल्ड की कीमत के ऊपर 3 फीसदी जीएसटी (GST) चुकाना होता है जबकि मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। इसको इस तरह से समझते  हैं – मान लीजिए आपने 1 लाख रुपये सोने की कीमत का ज्वेलरी खरीदा जिस पर मेकिंग चार्ज 10 फीसदी यानी 10 हजार रुपये है। इस मामले में आपको 1 लाख रुपये सोने की कीमत पर 3 फीसदी जीएसटी यानी 3 हजार रुपये जबकि 10 हजार रुपये के मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी यानी 500 रुपये चुकाने होंगे। इस तरह से आपको इस मामले में कुल 1,10,500 रुपये चुकाने होंगे।

गोल्ड ज्वेलरी  की खरीद पर  टैक्स की गणना:

गोल्ड का बेस प्राइस – 1,00,000 रुपये (6 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी मिलाकर)

गोल्ड के बेस प्राइस पर 3 फीसदी जीएसटी – 3,000 रुपये

प्राइस (बेस प्राइस +जीएसटी)  : 1,0,3000 रुपये

मेकिंग चार्ज 10 फीसदी (बेस प्राइस पर) – 10,000 रुपये

प्राइस (बेस प्राइस +जीएसटी+मेकिंग चार्ज ) : 1,13,000 रुपये

मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी : 500 रुपये

कुल प्राइस (बेस प्राइस +जीएसटी+मेकिंग चार्ज +मेकिंग चार्ज पर जीएसटी) : 1,13,500 रुपये

फिजिकल गोल्ड बेचने के समय

जब आप फिजिकल फॉर्म में खरीदे गए सोने यानी यानी ज्वेलरी (गहने), सिक्के, बार (बिस्किट) बेचते हैं तो टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता है।

बजट 2024 में किए गए बदलाव के मुताबिक यदि आप 23 जुलाई 2024 या उसके बाद फिजिकल गोल्ड खरीदने के बाद 24 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 24 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स का भुगतान करना होगा। 

जबकि 23 जुलाई 2024 से पहले के नियमों  के अनुसार यदि आप फिजिकल गोल्ड खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले बेच देते तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) मानकर आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाता और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस धनराशि पर टैक्स चुकाना पड़ता। लेकिन अगर आप 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होता। इंडेक्सेशन के तहत महंगाई के हिसाब से परचेज प्राइस को बढ़ा दिया जाता था, जिससे कैपिटल गेन में कमी आती थी और टैक्स देनदारी घटती थी।

डिजिटल गोल्ड (Digital gold) 

फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड की खरीद पर भी आपको 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होता है। इसकी बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर भी टैक्स के मौजूदा नियम फिजिकल गोल्ड जैसे हैं।

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)

नए नियमों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड ईटीएफ को 12 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा, जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 और 31 मार्च 2025 के बीच यदि आप गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको टैक्स डेट फंड की तरह ही चुकाना होगा। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा, जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

जबकि 1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं। लेकिन यदि आप खरीदने के 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी  शार्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। 

गोल्ड म्युचुअल फंड (Gold mutual fund)

नए नियमों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड म्युचुअल फंड को 24 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा, जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 24 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 और 31 मार्च 2025 के बीच यदि आप गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको टैक्स डेट फंड की तरह ही चुकाना होगा। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा, जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

जबकि 1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं। लेकिन यदि आप खरीदने के 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी  शार्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कोई भी सीरीज फरवरी 2024 के बाद लॉन्च नहीं की गई है और सरकार इसे आगे जारी नहीं करने के मूड में दिख रही है इसलिए आप सिर्फ स्टॉक एक्सचेंज के जरिए इस बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। अब इस गोल्ड बॉन्ड से संबंधित टैक्स नियमों को जानते हैं: –

मैच्योरिटी के बाद रिडेम्प्शन

पेपर गोल्ड में निवेश के बेहद प्रचलित विकल्प यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियम-अलग हैं। नियमों के अनुसार अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। यदि आप इस बॉन्ड को सेंकेंडरी मार्केट में भी खरीदते हैं और मैच्योरिटी तक उसे होल्ड करते हैं तो आपको रिडेम्प्शन के बाद मैच्योरिटी की राशि पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा।

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पांच साल के बाद रिडीम करने का विकल्प होता है। लेकिन वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने डीमैट फॉर्म में भी इस बॉन्ड को खरीदा है वे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच सकते हैं।

नए नियमों के मुताबिक यदि आप 23 जुलाई 2024 को या उसके बाद  सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को  12 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा, जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस कैपिटल गेन पर टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स की देनदारी होगी।

सेकेंडरी मार्केट (स्टॉक एक्सचेंज) में भी यदि आप इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले भुनाते हैं तो आपको टैक्स इन नियमों के मुताबिक ही चुकाने होंगे। 

लेकिन 23 जुलाई 2024 से पहले के नियमों  के अनुसार अगर आप मैच्योरिटी पीरियड से पहले इसे रिडीम करते तो आपको टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह चुकाना पडता। मतलब अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते  तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) मानकर इसे आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाता और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पडता। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होता।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर प्रत्येक वित्त वर्ष 2.5 फीसदी ब्याज (कूपन)  भी मिलता है। लेकिन इस ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब यह ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर आपके ग्रॉस इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार इस पर टैक्स देना होगा। एक बात और — सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।

First Published - February 5, 2025 | 2:43 PM IST

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