पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं के बारे में तो सब जानते हैं कि यह सुरक्षित, आसान और सरकार की गारंटी के साथ आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से हर एक पर टैक्स छूट नहीं मिलती? कुछ स्कीम्स के ब्याज पर TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) कटता है, खासकर अगर आपका ब्याज एक निश्चित सीमा से ज्यादा हो। ये नियम इनकम टैक्स एक्ट के तहत चलते हैं, और हाल ही में अप्रैल 2025 से कुछ बदलाव हुए हैं। चलिए, इसे सरल तरीके से समझते हैं।
अप्रैल 2025 से TDS की थ्रेशोल्ड लिमिट बढ़ गई है, ताकि छोटे निवेशकों पर बोझ कम पड़े। सामान्य नागरिकों के लिए, अगर पोस्ट ऑफिस स्कीम्स से मिलने वाला ब्याज सालाना 50,000 रुपये से ज्यादा हो, तो TDS कटेगा। पहले ये लिमिट 40,000 रुपये थी। वहीं, 60 साल से ऊपर के सीनियर सिटीजन को राहत मिली है – उनके लिए ये सीमा दोगुनी होकर 1 लाख रुपये हो गई है। इसका मतलब, अगर आपका ब्याज इससे नीचे रहे, तो कोई कटौती नहीं होगी। ये बदलाव बजट 2025 में घोषित हुए, और इसका फायदा छोटे बचत करने वालों को मिलेगा।
सभी पोस्ट ऑफिस स्कीम्स एक जैसी नहीं हैं। कुछ पर TDS कटता है, तो कुछ पूरी तरह टैक्स-फ्री हैं। उदाहरण के तौर पर, मंथली इनकम स्कीम (MIS) और टाइम डिपॉजिट (1 से 5 साल वाली) पर ब्याज टैक्सेबल होता है। अगर आपकी कमाई सीमा से ऊपर हो, तो पोस्ट ऑफिस वाले ही 10% TDS काट लेंगे। इसी तरह, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) पर भी ये लागू होता है, लेकिन निवेश पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख तक की छूट मिल सकती है। इसके उलट, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) जैसे स्कीम्स पर ब्याज टैक्स-फ्री रहता है, यहां कोई TDS नहीं कटेगा।
कई पोस्ट ऑफिस प्लान्स ऐसे हैं जहां TDS की चिंता ही नहीं करनी पड़ती। जैसे, सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह छूट प्राप्त है। कन्या वर्धा पत्र (KVP) या महिला सम्मान बचत पत्र जैसी योजनाओं पर भी टैक्स का कोई बोझ नहीं। यहां ब्याज की गणना सालाना होती है, लेकिन ये EEE (एग्जेम्प्ट-एग्जेम्प्ट-एग्जेम्प्ट) कैटेगरी में आती हैं, यानी निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी सब टैक्स-फ्री। अगर आप छोटी रकम जमा कर रहे हैं, तो ज्यादातर मामलों में TDS का सामना नहीं करना पड़ेगा। बस, अपनी कमाई का हिसाब रखें ताकि सरप्राइज न हो।