Car Insurance: मॉनसून का मौसम अपने साथ बाढ़ और जलभराव की समस्याएं लाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपकी गाड़ी इस मौसमी खतरे और चूहों के हमलों से सुरक्षित है, जो इस दौरान बढ़ जाते हैं। साथ ही, अगर आपकी गाड़ी में तोड़फोड़ हो जाए तो क्या होगा? इसका जवाब आपके मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी की बारीकियों में छिपा है।
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस की चीफ कस्टमर ऑफिसर वर्षा गुजराथी कहती हैं, “भारत में ज्यादातर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ‘नामित जोखिम’ (नैम्ड पर्ल्स) के आधार पर काम करती हैं। इसका मतलब है कि केवल पॉलिसी में लिखे गए खास जोखिम ही कवर किए जाते हैं।”
एक सामान्य कॉम्प्रिहेंसिव प्लान में आग, चोरी, दंगे, भूकंप, बाढ़, तूफान और यहां तक कि तोड़फोड़ से होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है। हालांकि, लंबे समय तक धूप की वजह से होने वाला नुकसान, जैसे रबर गार्निश का पिघलना, कवर नहीं होता, क्योंकि इसे आकस्मिक नुकसान नहीं माना जाता।
चूहों से होने वाला नुकसान भी “आकस्मिक बाहरी कारणों” के तहत आता है और आमतौर पर इसका क्लेम किया जा सकता है। लेकिन इसमें एक पेंच है। गुजराथी बताती हैं, “अगर चूहों का नुकसान बार-बार होता है, तो इंश्योरेंस कंपनियां इसे पॉलिसीधारक की लापरवाही मान सकती हैं, अगर उन्होंने उचित सावधानी नहीं बरती। इससे क्लेम स्वीकृत होने में दिक्कत आ सकती है।”
कवरश्योर के संस्थापक और CEO सौरभ विजयवर्गीय कहते हैं, “एक सही मायने में कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी सिर्फ टक्कर के नुकसान तक सीमित नहीं होती। यह तब भी आपकी मदद करती है जब चूहे आपकी गाड़ी की वायरिंग खराब करें, तोड़फोड़ में पेंट को नुकसान पहुंचे या बाढ़ से गाड़ी खराब हो जाए।”
मॉनसून में खासकर निचले इलाकों में गाड़ियों को भारी नुकसान होता है। गुजराथी बताती हैं कि बाढ़ से होने वाला नुकसान आमतौर पर कवर होता है, बशर्ते घटना ‘नामित जोखिम’ की सूची में हो और पानी के घुसने के स्पष्ट सबूत हों।
हालांकि, अगर पानी से नुकसान का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है या पॉलिसी में बाढ़ और तूफान का कवर शामिल नहीं है, तो क्लेम खारिज हो सकता है।
आकस्मिक नुकसान को ओन डैमेज (OD) इंश्योरेंस में कवर नहीं किया जाता, लेकिन कार मालिक डीलरशिप से मिलने वाली एक्सटेंडेड वारंटी ले सकते हैं।
गुजराथी कहती हैं, “चूहों या मौसम से होने वाला नुकसान, जो आकस्मिक नहीं है, उसे वैकल्पिक ऐड-ऑन के जरिए कवर किया जा सकता है।”
विजयवर्गीय कहते हैं, “इंजन प्रोटेक्शन ऐड-ऑन की कीमत सालाना 1,500 से 3,000 रुपये होती है और यह इंजन की मरम्मत पर लाखों रुपये बचा सकता है। निल डेप्रिसिएशन और रोडसाइड असिस्टेंस कवर की कीमत कुछ सौ रुपये है और ये मॉनसून या नई गाड़ियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।”
क्लेम सेटलमेंट में परेशानी से बचने के लिए विशेषज्ञ कुछ आसान कदम सुझाते हैं:
– घटना से पहले और बाद में गाड़ी की तस्वीरें लें, जो सबूत के तौर पर काम आएंगी।
– सर्वेयर के निरीक्षण से पहले गाड़ी को धोएं या साफ न करें।
– बाढ़ वाले इलाकों में गाड़ी को ऊंचे स्थान पर पार्क करें ताकि पानी न घुसे।
– मौसम की चेतावनियों पर ध्यान दें और गाड़ी को समय रहते सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।
गुजराथी कहती हैं, “ये पहले से उठाए गए कदम नुकसान को कम करने और क्लेम प्रक्रिया को तेज करने में बहुत मदद करते हैं।”
यह न मानें कि आपकी गाड़ी हर नुकसान के लिए कवर है। अपनी पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से पढ़ें, खराब मौसम में सतर्क रहें और नुकसान से बचने के लिए जरूरी कदम उठाएं ताकि आप मुश्किल में न फंसें।