भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा को परिवारों की बचत का धन बैंक से निकलकर शेयर बाजार में जाने पर किसी तरह की चिंता नहीं है। उनकी राय में पारिवारिक बचत का पैसा शेयरों में निवेश होना अच्छी बात है। जब मल्होत्रा से पूछा गया कि जमा पर ब्याज दरें घटने से परिवारों की बचत बैंकों से निकलकर शेयर बाजार में चली जाएगी तो उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि बैंकों से निकलकर रकम शेयरों में जा रही है। मेरे हिसाब से यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है। इसके बढ़ने से बेहतर मिला-जुला निवेश मिलेगा। हम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं और बेकार में फिक्र करने की जरूरत नहीं है।’
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति फरवरी से अब तक रीपो दर 100 आधार अंक घटा चुकी है, जिसके बाद बैंकों ने भी जमा और कर्ज पर ब्याज दर बदली हैं। कटौती के बाद नई जमा पर वेटेड एवरेज डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट रेट (डब्ल्यूएडीटीआर) 87 आधार अंक कम हुआ है।
जमा पर ब्याज घटने से रकम की लागत कम होगी और बैकों को ब्याज से शुद्ध मुनाफा (एनआईएम) बढ़ाने में मदद मिलेगी। मगर इससे बैंकों की धन जुटाने की क्षमता कम हो सकती है। आंकड़ों के मुताबिक परिवारों की बैंक में जमा रकम (सावधि जमा, बचत खाते में जमा, चालू खाते में जमा) 2020 में 53 प्रतिशत थी, जो 2024 में घटकर 42 प्रतिशत रह गई। मगर इसी दौरान इक्विटी, म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस/अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड में निवेश 25 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो 2020 में 15 प्रतिशत ही था।
इसके अलावा बीमा पॉलिसियों की बिक्री के लिए बैंकेश्योरेंस चैनल पर विश्वास व्यक्त करते हुए गवर्नर ने कहा कि एक ही नेटवर्क पर कई उत्पाद बेचने पर खर्च कम हो जाता है। इसके अलावा बैंकेश्योरेंस से खासकर ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समावेशन को मदद मिलती है। बैंकेश्योरेंस को लेकर गवर्नर का बयान ऐसे समय में आया है, जब पिछले एक साल में कई हिस्सेदारों ने इसे लेकर चिंता जताई है।