ITR Filing 2025: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के नए निर्देश के मुताबिक, टैक्सपेयर्स को अब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद 30 दिनों के अंदर इसे वेरीफाई करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो रिटर्न को अमान्य माना जाएगा, जिसके चलते जुर्माना, देरी और टैक्स लाभों का नुकसान हो सकता है। पहले यह समय सीमा 120 दिन थी, लेकिन 1 अगस्त 2022 से इसे घटाकर 30 दिन कर दिया गया है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट और 1 फाइनेंस में पर्सनल टैक्स की वर्टिकल हेड नियती शाह कहती हैं, “कई टैक्सपेयर्स गलती से समझते हैं कि रिटर्न फाइल करना ही काफी है।”
उन्होंने कहा, “लेकिन जब तक आप अपने रिटर्न को वेरीफाई नहीं करते, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे फाइल हुआ ही नहीं मानता।”
क्लियरटैक्स की टैक्स एक्सपर्ट शेफाली मुंद्रा ने कहा, “वेरिफिकेशन आपके रिटर्न की आधिकारिक पुष्टि का काम करता है। इसके बिना, समय पर और सही तरीके से भरा गया ITR भी अमान्य हो जाता है, जिसके चलते सेक्शन 234F के तहत जुर्माना लग सकता है।”
चार्टर्ड अकाउंटेंट और बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी के जॉइंट सेक्रेटरी मृणाल मेहता बताते हैं, “अगर आप 30 दिन की समय सीमा के बाद वेरीफाई करते हैं, तो वेरिफिकेशन की तारीख को ही फाइलिंग की तारीख माना जाएगा। इससे देरी से फाइलिंग की सारी सजा जैसे ब्याज, जुर्माना और नुकसान को आगे ले जाने का अधिकार खत्म हो जाता है।”
हाल ही में एक नौकरीपेशा व्यक्ति, जो अपने ITR को वेरीफाई करना भूल गया, उसे इक्विटी ट्रेडिंग से हुए कैपिटल लॉस को आगे ले जाने का मौका गंवाना पड़ा।
शाह कहती हैं, “जब वह दो महीने बाद हमारे पास आया, तब तक उसका रिटर्न अमान्य घोषित हो चुका था।”
एक अन्य मामले में, एक टैक्सपेयर 30 दिन की समय सीमा चूक गया। मुंद्रा ने कहा, “उसे 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ा, टैक्स रिफंड पर ब्याज गंवाना पड़ा और वह नई टैक्स व्यवस्था में चला गया, जिसके चलते उसे ज्यादा टैक्स देना पड़ा।”
मृणाल मेहता ने एक ऐसे क्लाइंट का जिक्र किया जो विदेश में था और ई-वेरिफिकेशन के लिए OTP नहीं ले सका। बाद में वेरिफिकेशन करने के बावजूद, देरी की वजह से रिटर्न को देर से फाइल माना गया और क्लाइंट को बड़ा कैपिटल लॉस कैरी-फॉरवर्ड लाभ गंवाना पड़ा।
एक्सपर्ट्स ने इसके कई कारण बताएं:
– यह गलतफहमी कि रिटर्न फाइल करना ही काफी है
– इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आने वाले रिमाइंडर ईमेल/SMS को नजरअंदाज करना
– OTP से जुड़ी तकनीकी समस्याएं
– फिजिकल ITR-वी फॉर्म भेजने में देरी
– फाइलिंग के दौरान पेशेवर सलाह की कमी
CBDT के अनुसार, ई-वेरिफिकेशन के कई तरीके हैं:
– आधार OTP (व्यक्तियों के लिए सबसे ज्यादा पसंदीदा)
– नेट बैंकिंग लॉगिन
– डीमैट या बैंक अकाउंट EVC
– डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (पेशेवरों और फर्मों के लिए)
– बैंक ATM
– CPC बेंगलुरु को हस्ताक्षरित ITR-V भेजकर
– ITR-वी फॉर्म भेजना (फिजिकल मोड)
शाह कहती हैं, “आधार OTP व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के लिए सबसे आसान विकल्प है। यह तुरंत काम करता है और इसके लिए OTP के अलावा किसी लॉगिन क्रेडेंशियल की जरूरत नहीं होती।”
मेहता कहते हैं, “गैर-कॉरपोरेट्स के लिए आधार OTP सबसे तेज है। लेकिन ऑडिटेड संस्थाओं के लिए DSC एक भरोसेमंद डिजिटल विकल्प है।”
सख्त समय सीमा और डिजिटल निगरानी के साथ, विशेषज्ञ टैक्सपेयर्स से रिटर्न फाइल करने के तुरंत बाद वेरिफिकेशन पूरा करने की सलाह देते हैं। शाह कहती हैं, “यह कोई औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक कानूनी सुरक्षा है। इसे miss करना आपको सिर्फ समय ही नहीं, बल्कि पैसे का भी नुकसान करा सकता है।”