भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी बढ़ने के साथ ही उनके लिए विशेष आवासीय परियोजनाओं का प्रदर्शन भी अच्छा दिख रहा है। इस क्षेत्र में विकास की एक वजह यह है कि ऐसे वरिष्ठ नागरिकों का कुनबा बढ़ रहा है जिनके पास रिटायरमेंट के बाद अच्छा जीवन जीने के लिए वित्तीय साधनों की कमी नहीं है और जो पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं पर निर्भर रहने के बजाय ऐसे ही समुदाय के लिए विशेष रूप से तैयार की गई सभी सुविधाओं से लैस आवासीय परियोजनाओं में निवेश करने का विकल्प चुन रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर 92 वर्ष की सुमित्रा राजापति चार साल से बेंगलूरु के एक लक्जरी रिटायरमेंट होम कॉम्प्लेक्स मनसुम अविघ्न में रह रही हैं। वह कहती हैं, ‘मैंने इस जगह को अपना घर बना लिया है। हम यहां जन्मदिन, वर्षगांठ और सभी त्योहार बेहद खुशी और उत्साह से मनाते हैं।’
मनसुम अविघ्न कॉम्प्लेक्स का दायरा एक एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसमें 110 एक बेडरूम वाले अपार्टमेंट हैं जहां वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। यहां जिम, प्रार्थना हॉल, लाइब्रेरी के साथ-साथ 24 घंटे स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाएं भी उपलब्ध है। सुरक्षा के लिए आपातकालीन घंटी का इंतजाम है। वॉशरूम भी बुजुर्गों की सुरक्षा के अनुरूप ही बनाए गए हैं। इसके अलावा अपार्टमेंट के कॉरिडोर में अच्छी रोशनी रहती है और खिड़कियां भी कुछ इस तरह डिजाइन की गई हैं कि यहां स्वाभाविक रूप से अच्छी रोशनी आती रहे।
राजापति हर महीने 32,000 रुपये किराया चुकाती हैं और उनकी तरह अन्य लोगों ने भी इस जगह पर अपने लिए घर खरीद लिया है। उदाहरण के तौर पर 62 वर्षीय आर उमा को कोई किराया नहीं देना पड़ता लेकिन वह हर महीने 8,000 रुपये खाने के लिए चुकाती हैं। उमा कहती हैं, ‘यहां अकेले रहकर भी मैं योग कक्षाओं, भाषा से जुड़े सत्र और रोजाना की प्रार्थना का आनंद लेती हूं। आपातकालीन स्थिति के लिए यहां ऐंबुलेंस हमेशा तैयार रहती है और वे लोग परिवार को तुरंत सूचना दे देते हैं।’
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में वरिष्ठ उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त 81 वर्षीय विक्रम दीक्षित भी अपने इस नए आवास में नवंबर 2020 में आ गए। वह कहते हैं, ‘जब तक मुझे मनसुम का पैम्फलेट नहीं मिला था तब तक मुझे यही लग रहा था कि मैं ओल्ड एज होम में जाऊंगा।’
मनसुम में वरिष्ठ नागरिकों को यह सुविधा मिलती है कि वे कोई फ्रीहोल्ड यूनिट खरीद लें या फिर वे रोजाना या फिर लंबी अवधि के आधार पर किराये वाले पैकेज का विकल्प चुन लें। यहां वन-बीएचके यूनिट की कीमत 40 लाख रुपये से शुरू होती है। यहां के वन-बेडरूम वाला सेट 18 साल से अधिक उम्र के लोग खरीद सकते हैं लेकिन वे इसमें 55 वर्ष का होने के बाद ही रह सकते हैं, हालांकि जो इसके मालिक होंगे उनके बच्चे यहां थोड़े समय के लिए रहने के लिए आ सकते हैं।
मनसुम ने 200 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है जिसमें दो वर्षों तक विभिन्न निवेशकों की तरफ से सीड फंडिंग किया जाना भी शामिल है ताकि वरिष्ठ नागरिकों के रहने के लिए 12 नई परियोजनाओं पर काम किया जा सके। इसके तहत 2,500 से अधिक लक्जरी और किफायती यूनिट बेंगलूरु और गोवा जैसे शहरों में तैयार किए जाने हैं। लक्ष्य यह है कि वित्त वर्ष 2025 तक वरिष्ठ नागरिकों के लिए मौजूदा 400,000 वर्गफुट में बने अपार्टमेंट का विस्तार करते हुए इसे 6,00,000 वर्गफुट तक बढ़ाया जाए।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह मांग केवल बेंगलूरु तक ही सीमित नहीं है। पुणे की परांजपे स्कीम्स (कंस्ट्रक्शन) ने भी इसी रुझान को भुनाने अपने अथश्री सीनियर लिविंग प्रोजेक्ट का विस्तार करने की योजना बनाई है ताकि वर्ष 2030 तक 10,000 वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं दी जा सकें।
परांजपे स्कीम्स (कंस्ट्रक्शन) के प्रबंध निदेशक शशांक परांजपे का कहना है, ‘भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र के भविष्य में वरिष्ठ लोगों के विशेष आवास की अहम भूमिका होगी जिसमें सामाजिक लाभ और कारोबारी मौके की पेशकश की जाएगी।’ कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 तक 4,000 से अधिक यूनिट जोड़ने की योजना बनाई है और इसका लक्ष्य यह है कि वर्ष 2030 तक 10,000 वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं दी जाएं।
दिल्ली का आशियाना हाउसिंग भी इसी मांग वाले रुझान को भुनाने की कोशिश में है और इसकी योजना यह है कि चार वर्षों के भीतर इसकी सालाना बिक्री दोगुनी कर 1,000 यूनिट के स्तर तक पहुंचाई जाए। इसका पूरा जोर वरिष्ठ नागरिकों के लिए मध्यम स्तर के सेगमेंट या फिर लक्जरी सेगमेंट से जुड़ी योजनाओं की पेशकश करने पर है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसकी परियोजनाओं का दायरा 40 लाख रुपये से लेकर 2 करोड़ रुपये के दायरे में है।
आशियाना हाउसिंग के संयुक्त प्रबंध निदेशक अंकुर गुप्ता कहते हैं, ‘हम सरकार के साथ पूरी सक्रियता से साझेदारी चाहते हैं ताकि वरिष्ठ नागरिकों की जीवनशैली के स्तर में सुधार लाया जाए क्योंकि यह क्षेत्र वर्ष 2030 तक 12 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है। बिक्री में सालाना बढ़ोतरी हुई है और यह 200 से 450-500 यूनिट तक हो गई है।’
बेंगलूरु में प्राइमस सीनियर लिविंग भी इस क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है जो अगली तिमाही में कोलकाता में अपना विस्तार कर रही है और यह कुल 1,500 आवास की पेशकश करने वाली है।
प्राइमस सीनियर लिविंग के संस्थापक और एमडी आदर्श नरहरि कहते हैं, ‘हम ज्यादा मांग वाले क्षेत्रों में मशहूर और स्थापित डेवलपरों की तरफ से सीधे विकास और साझेदारी के विकल्प तलाश रहे हैं। हम स्वास्थ्य सेवा तकनीक में निवेश कर रहे हैं और निगरानी के लिए ऐसा तंत्र बनाने पर जोर दे रहे हैं जिससे हमारे नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो।’
शुभारंभ डेवलपर्स के साझेदार, दीपक पाटिल वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर्नाटक के बेलगांव में आवासीय सेवाएं देने जा रहे हैं और इसके लिए टैंक्विलो मिडो रियल एस्टेट परियोजना की पेशकश की जा रही है। अन्य क्षेत्रों की तरह 90 यूनिट वाले प्रोजेक्ट की कीमत 55 लाख रुपये से लेकर 85 लाख रुपये है और इसमें मेडिकल रूम, फिटनेस सेंटर और मेहमानों के लिए रहने की जगह से लेकर सब तरह की सुविधाएं हैं। पाटिल कहते हैं, ‘हमने 45 करोड़ रुपये का निवेश किया है और हम इसका विस्तार अगले पांच वर्षों में पुणे, बेंगलूरु और गोवा में करने की योजना बना रहे हैं।’
इसी तरह बेंगलूरु का एंबेसी ग्रुप भी वरिष्ठ लोगों के लिए आवास की पेशकश करने के लिए ‘सिरीन अमारा’ नाम की परियोजना के साथ इस क्षेत्र में प्रवेश करने कोशिश कर रहा है जो इसके बड़े स्प्रिंग्स टाउनशिप का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत 239 वन-टू और थ्री बीएचके आवास की पेशकश, दो 17 मंजिले टावर में की जाएगी। इसकी कीमत की शुरुआत 78 लाख रुपये से होगी और इसमें वरिष्ठ नागरिकों पर केंद्रित कई किस्म की सुविधाएं दी जाएंगी जिसमें योग डेक और वेलनेस रूम भी शामिल है।
एंबेसी ग्रुप की सहयोगी उपाध्यक्ष (प्रीमियम बिक्री और रेसिडेंशियल) शांभवी कदम का कहना है कि पहले चरण के पूरा होने की समय-सीमा 2025 है और भविष्य में इसका विस्तार अन्य शहरों में किया जाना है।
कॉमर्शियल रियल एस्टेट कंपनी, कॉलियर्स की एक ताजा रिपोर्ट में भारत के वरिष्ठ नागरिकों के आवास वाले बाजार की संभावनाओं पर जोर दिया गया है।