कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपनी 3 योजनाओं के लिए अलग-अलग बेंचमार्क यील्ड बनाने पर विचार कर रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से बेंचमार्क को ‘रीडिजाइन’ करने और अपने निवेशों के लिए एक खास रणनीति अपनाने के सुझावों के बाद यह सामने आया है।
सेवानिवृत्ति कोष निकाय 2 अलग-अलग बेंचमार्क पर विचार कर रहा है। एक कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए और दूसरा कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और कर्मचारी डिपॉजिट लिंक्ड बीमा (ईडीएलआई) फंड के लिए बेंचमार्क होगा।
इस मामले के जानकार एक सूत्र ने बताया, ‘चर्चा के बाद पोर्टफोलियो मैनेजर क्रिसिल द्वारा बेंचमार्क का एक मसौदा तैयार किया गया है। इसे विशेषज्ञों की बाहरी समिति द्वारा अनुमोदित किया जाना है। उसके बाद प्रस्ताव को विचार विमर्श के लिए निवेश समिति के सामने रखा जाएगा और सरकार को सिफारिश की जाएगी।’
इस साल की शुरुआत में केंद्रीय श्रम मंत्रालय को सौंपी गई एक विस्तृत रिपोर्ट पर केंद्रीय बैंक ने टिप्पणी की है कि अलग-अलग एक्चुएरियली एक्सेसिबल लायबिलिटीज वाली योजनाओं में निवेश का एक कॉमन पैटर्न लागू करना ‘उचित नहीं है’ और ‘पूंजी लगाने के तरीके को आदर्श रूप में हर योजना के लिए अलग अलग देनदारियों से मेल खाना चाहिए और इसी के मुताबिक इसे नए सिरे से डिजाइन किया जाना चाहिए।’
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट श्रम मंत्रालय के अनुरोध के बाद आई है। मंत्रालय ने ईपीएफओ की निवेश रणनीति और लेखांकन, जोखिम प्रबंधन व आंतरिक शासन सहित फंड प्रबंधन की प्रथाओं में अंतराल की पहचान करने के लिए केंद्रीय बैंक की विशेषज्ञता के कारण उसकी राय मांगी थी।
ईपीएफओ सेवानिवृत्ति की 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक संपदा का प्रबंधन करता है, जो औपचारिक क्षेत्र के 30 करोड़ कर्मचारियों का धन है।
ईपीएफओ के बारे में फैसला करने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत लगभग 80 लाख पेंशनधारकों को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के माध्यम से डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) की घर पर डिलिवरी की सुविधा को मंजूरी देने वाला है।
सीबीटी से इसकी मंजूरी मिलने के बाद सेवानिवृत्ति कोष निकाय आईपीपीबी के साथ समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा और यह सेवा शुरू हो जाएगी। इस समय डाक विभाग इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों को 70 रुपये शुल्क पर डीएलटी की डिलिवरी करता है। समझौते के तहत शुल्क घटकर 50 रुपये हो जाएगा। केंद्रीकृत पेंशन भुगतान और समाधान केंद्र (सीपीपीआरसी) के माध्यम से इसका भुगतान ईपीएफओ द्वारा सीधे आईपीपीबी को कर दिया जाएगा। आईपीपीबी के साथ यह काम शुरू में 2-3 वर्षों के लिए होने की उम्मीद है, इस दौरान पेंशनर्स को अंततः फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नॉलजी (एफएटी) के माध्यम से स्वतंत्र रूप से डीएलसी जमा करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा।