EPFO Withdrawal Rules: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा के लिए बनाई गई योजना है। लेकिन कई बार अचानक खर्चों की जरूरत पड़ती है और ऐसे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने सब्सक्राइबर्स को आंशिक या पूरी निकासी की सुविधा देता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस विकल्प का उपयोग केवल आपात स्थिति में ही करना चाहिए, क्योंकि इससे रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ता है।
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अपने बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते का 12% हर महीने ईपीएफ में जमा करना होता है। नियोक्ता (Employer) भी उतनी ही राशि योगदान करता है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.25% तय की गई है।
निकासी के प्रकार
EPF तीन तरह की निकासी की अनुमति देता है:
बेरोजगारी: एक महीने से ज्यादा समय तक बेरोजगार रहने पर बैलेंस का 75% तक निकाला जा सकता है। दो महीने तक नौकरी न मिलने पर शेष राशि भी निकाली जा सकती है।
घर खरीदने या बनाने के लिए: तीन साल की सदस्यता पूरी करने के बाद पीएफ बचत का 90% तक घर खरीदने, बनाने या होम लोन चुकाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
चिकित्सा खर्च: खुद या आश्रितों के इलाज के लिए बेसिक वेतन व महंगाई भत्ते के छह महीने या फिर कर्मचारी के योगदान और उस पर ब्याज – इनमें जो कम हो, उतनी रकम निकाली जा सकती है।
शादी और शिक्षा: सात साल की सेवा के बाद अपने योगदान का 50% तक बच्चे की पढ़ाई (10वीं के बाद) या शादी के खर्च के लिए निकासी संभव है।
विशेष परिस्थितियां: नियोक्ता की कंपनी बंद होने या दो महीने से ज्यादा वेतन न मिलने पर भी एडवांस निकासी की जा सकती है।
पांच साल से पहले निकासी पर टैक्स लग सकता है। हालांकि 50,000 रुपये से कम की निकासी पर टीडीएस नहीं कटेगा।
नौकरी बदलने पर पैसा निकालने की ज़रूरत नहीं होती। यूएएन (UAN) एक्टिव होने पर बैलेंस आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है।
अंतिम सेटलमेंट 58 साल की उम्र में, रिटायरमेंट के समय किया जा सकता है।
ईपीएफ सदस्य अपने यूएएन का उपयोग कर ईपीएफओ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, कॉम्पोजिट क्लेम फॉर्म (आधार/नॉन-आधार) के जरिए ऑफलाइन भी निकासी की जा सकती है।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार पीएफ से बार-बार निकासी से बचना चाहिए। ऐसा करने से आपका रिटायरमेंट फंड धीरे-धीरे कम होता है और कंपाउंडिंग से मिलने वाला ब्याज भी घट जाता है।