धनतेरस के मौके पर लोग ज्यादातर सोने के सिक्के या इससे बने आभूषण-गहने आदि खरीदते रहे हैं। भारत में धनतेरस पर सोने की खरीदारी शुभ मानी जाती है। मगर पिछले कुछ वर्षों में भौतिक सोना (साबुत सोना, सोने की गिन्नी, गहने आदि) एवं इससे बने गहने के अलावा दूसरे फायदेमंद विकल्प भी सामने आए हैं। अब लोग गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के तौर पर भी सोना खरीद सकते हैं।
परंपरा एवं रीति-रिवाज के लिहाज से सोने का भारतीय समाज में खास महत्त्व होता है। वित्तीय बाजार में अस्थिरता के समय सोने में किया गया निवेश निवेशकों के पोर्टफोलियो को झटकों से बचाने में मददगार होता है। आने वाले समय में सोने की मांग और बढ़ सकती है जिसका सीधा मतलब होगा कि इसकी कीमतें कम नहीं होंगी।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट में शोध प्रमुख जोसेफ थॉमस कहते हैं, वर्तमान अनिश्चितताओं एवं संबंधित जोखिमों को देखते हुए सोने को 1,930 डॉलर और 1,960 डॉलर प्रति औंस के बीच मजबूत समर्थन मिल रहा है। तकनीकी तौर पर सोने का अनुमानित भाव 2,030 डॉलर से 2,060 डॉलर के बीच रह सकता है।
कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन भी सोने से जुड़ी संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित दिख रहे हैं। वह कहते हैं, ‘हमें लगता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें 2,400 डॉलर (एमसीएक्स में 68,000 रुपये प्रति 10 ग्राम) का स्तर छू सकती हैं। अमेरिका में मानक ब्याज दर में और बढ़ोतरी की गुंजाइश थमने और संभावित लचीली नीति से यह संभव हो सकता है। भू-राजनीतिक स्तर पर तनाव कम नहीं हुए तो सोना और मजबूत हो सकता है।‘
भारत में लोगों का रुझान प्रायः बिस्कुट और गिन्नी सहित भौतिक सोना खरीदने की तरफ रहा है। सोना बेचना भी आसान होते हैं। क्वांटम म्युचुअल फंड में फंड प्रबंधक- अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स, गज़ल जैन कहते हैं, ‘सोने में जहां तक निवेश की बात है तो लोग ज्यादातर भौतिक सोना ही खरीदते हैं। मगर इसकी शुद्धता, इसे संभाल कर रखने पर आने वाला खर्च और बेचने पर कुछ रकम कटना लोगों के निवेश में सेंध लगा देते हैं।‘
कई लोग स्वयं या लोगों को उपहार स्वरूप देने के लिए गहने आदि खरीद सकते हैं। गहने खरीदते वक्त यह जरूर देख लें कि इन पर हॉलमार्क का निशान मौजूद है। यह भी देख लें कि विक्रेता आपसे सोने के मौजूदा बाजार भाव के लगभग बराबर ही रकम ले रहा है।
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जैन कहते हैं, ‘गहने के दाम बढ़ते रहे हैं और इन्हें बेचने पर मुनाफा भी मिलता है। मगर क्या ये निवेश के अच्छे विकल्प माने जा सकते हैं। सोने की शुद्धता, मेकिंग चार्ज, खुदरा नुकसान और बेचने के समय कम मूल्य मिलना ये सभी कारण निवेश के एक विकल्प के रूप में आभूषण की अहमियत कम कर देते हैं। गहने आदि बेचते वक्त दुकानदार आपको 10 प्रतिशत तक कम दाम दे सकता है।’
हाल में वर्षों में एसजीबी की लोकप्रियता बढ़ी है। इन बॉन्ड पर सालाना 2.5 प्रतिशत तक ब्याज मिलता है। इनके साथ डिफॉल्ट की आशंका न के बराबर रहती है। एसजीबी एक ग्राम सोने की मौजूदा कीमतों पर जारी होते हैं और अवधि पूरी होने पर मौजूदा कीमतों के अनुरूप ही भुगतान किया जाता है।
इन बॉन्ड की अवधि 8 वर्षों की होती है। पूंजीगत लाभ परिपक्वता के समय कर मुक्त होते हैं। ये बॉन्ड स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं मगर इनका कारोबार हमेशा उचित मूल्य के इर्द-गिर्द नहीं होता है।
जैन कहते हैं, एसजीबी सालाना ब्याज का भुगतान करते हैं और कर देनदारी के लिहाज से भी कम झमेले वाले होते हैं। मगर द्वितीयक बाजार (सेकंडरी मार्केट) में इनका कारोबार अधिक नहीं होने से कीमतों पर फर्क पड़ जाता है। जो लोग एसजीबी में निवेश करते हैं उन्हें लंबे समय तक निवेश बनाए रखना चाहिए।
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सोने के एक विकल्प के रूप में ईटीएफ उन निवेशकों के लिए अहम है जो मध्यम अवधि के लिए दांव खेलना चाहते हैं। जैन कहते हैं, ‘सितंबर 2023 तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में 1,659.5 करोड़ रुपये निवेश हुए और यह डिजिटल गोल्ड में निवेश के उम्दा विकल्पों में एक है।
गोल्ड ईटीएफ सर्वाधिक शुद्धता वाले भौतिक सोने में निवेश करते हैं और इनकी नजरें घरेलू बाजार में सोने की कीमतों पर टिकी होती हैं। लोग 0.01 ग्राम के समतुल्य ईटीएफ में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।’
बेशक सोना निवेशकों के लिए आकर्षक साधन रहा है मगर इसमें आंख मूंदकर निवेश करने से बचना चाहिए। थॉमस कहते हैं, ‘पोर्टफोलियो में निवेश के साधन के रूप में सोने की हिस्सेदारी 5-10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें निवेश करते वक्त जोखिम लेने की अपनी क्षमता का मूल्यांकन अवश्य कर लें।’