facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

Dhanteras 2023 : गोल्ड में निवेश का कौन सा ऑप्शन टैक्स बचाने के लिए बेहतर

यदि आप धनतेरस के शुभ मौके पर सोना खरीदने जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी जरूर ले लें कि आखिर सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश करने पर कैसे और कितना टैक्स लगता है?

Last Updated- November 30, 2023 | 11:21 AM IST
Buying Gold on Diwali

Dhanteras 2023 : इस धनतेरस लोग सोने (gold) में निवेश को लेकर उत्साहित हैं। इसकी बड़ी वजह कीमतों में आगे और तेजी की संभावना है। लेकिन आम लोगों को गोल्ड की खरीद-बिक्री से संबंधित टैक्स नियमों की ज्यादा जानकारी नहीं होती है। 1 अप्रैल 2023 से पेपर गोल्ड में निवेश के दो लोकप्रिय विकल्पों- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) और गोल्ड म्युचुअल फंड (Gold Mutual Fund) को लेकर टैक्स नियमों में बदलाव भी किए गए हैं।

इसलिए यदि आप 10 नवंबर 2023 को धनतेरस के शुभ मौके पर सोना खरीदने जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी जरूर ले लें कि आखिर सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश करने पर कैसे और कितना टैक्स लगता है? साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत में गोल्ड की कीमतें इंटरनेशनल बेंचमार्क कीमतों से ज्यादा क्यों होती हैं।

घरेलू कीमतें ज्यादा क्यों?

भारत में गोल्ड की कीमतें इंटरनेशनल बेंचमार्क कीमतों से ज्यादा मुख्यतया इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से होती है। हालांकि करेंसी की वैल्यू में बदलाव और डिमांड-सप्लाई भी इस बात को कुछ हद तक तय करते हैं कि आखिर घरेलू कीमतें डिस्काउंट या प्रीमियम में रहेंगी। भारत में गोल्ड और सिल्वर पर फिलहाल कुल इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी (10 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी + 5 फीसदी एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) है।

Also read: दीवाली पर बोनस पाएं तो महंगा कर्ज पहले चुकाएं

अब सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश पर टैक्स नियमों को जानते हैं :

फिजिकल गोल्ड (physical gold)

खरीदने के समय

गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के समय गोल्ड की कीमत के ऊपर 3 फीसदी जीएसटी (GST) चुकाना होता है। जबकि मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। इसको इस तरह से समझते हैं – मान लीजिए आपने 1 लाख रुपये सोने की कीमत का ज्वेलरी खरीदा, जिस पर मेकिंग चार्ज 10 फीसदी यानी 10 हजार रुपये है। इस मामले में आपको 1 लाख रुपये सोने की कीमत पर 3 फीसदी जीएसटी यानी 3 हजार रुपये देने होंगे। जबकि 10 हजार रुपये के मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी यानी 500 रुपये। इस तरह से आपको कुल 1,13,500 रुपये चुकाने होंगे।

गोल्ड ज्वेलरी  की खरीद पर  टैक्स की गणना :

गोल्ड का बेस प्राइस – 1,00,000 रुपये (15 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी मिलाकर)

गोल्ड के बेस प्राइस पर 3 फीसदी जीएसटी – 3,000 रुपये

मेकिंग चार्ज 10 फीसदी (बेस प्राइस पर) – 10,000 रुपये

मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी : 500 रुपये

कुल: 1,13,500 रुपये

फिजिकल गोल्ड  बेचने के समय

जब आप फिजिकल फॉर्म में खरीदे गए सोने यानी यानी ज्वेलरी (गहने), सिक्के, बार (बिस्किट) बेचते हैं तो टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता है।

नियमों के अनुसार अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। इंडेक्सेशन के तहत महंगाई के हिसाब से परचेज प्राइस को बढ़ा दिया जाता है। जिससे कैपिटल गेन में कमी आती है और टैक्स देनदारी घटती है।

Also read: Dhanteras 2023: पिछले धनतेरस से 22 फीसदी महंगा हुआ सोना, निवेश का कौन सा विकल्प बेहतर

डिजिटल गोल्ड

फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड की खरीद पर भी आपको 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होता है। साथ ही इसकी बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर भी टैक्स के नियम फिजिकल गोल्ड जैसे हैं।

गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड (gold ETF, gold mutual fund)

गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर टैक्स डेट फंड/ debt fund (35 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर इक्विटी में नहीं) की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं।

सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)

मैच्योरिटी के बाद रिडेम्प्शन

पेपर गोल्ड में निवेश के एक अन्य बेहद प्रचलित विकल्प यानी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियम अलग हैं। नियमों के अनुसार अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन

लेकिन अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। मतलब अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा।

Also read: Sovereign Gold Bond सब्सक्रिप्शन के लिए अभी उपलब्ध नहीं फिर भी इस धनतेरस इसमेंं कर सकते हैं निवेश

सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को पांच साल के बाद रिडीम करने का विकल्प होता है। साथ ही वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने डीमैट फॉर्म में भी बॉन्ड लिया है वे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच सकते हैं।

सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर प्रत्येक वित्त वर्ष 2.5 फीसदी ब्याज (कूपन) भी मिलता है। लेकिन इस ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब यह ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर आपके ग्रॉस इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। एक बात और — सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।

सलाह

अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी तक होल्ड कर सकते हैं तो टैक्स के नजरिए से यह निवेश का सबसे बेहतर विकल्प है। क्योंकि मैच्योरिटी पीरियड के बाद अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को रिडीम करते हैं तो रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

First Published - November 9, 2023 | 5:14 PM IST

संबंधित पोस्ट