दीवाली बोनस का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे खिल जाते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि इस बोनस का इंतजार बेसब्री से रहता है क्योंकि इससे लोग अपने घर में रंगाई-पुताई कराते हैं या ऐसा बड़ा और महंगा सामान खरीदते हैं, जिसकी हसरत उनके मन में एक अरसे से थी।
मगर एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के सदस्य जय ठक्कर की सलाह कुछ और है। वह कहते हैं, ‘बोनस में मिली रकम को आम तौर पर आलीशान ढंग से छुट्टियां मनाने या त्योहार से जुड़े अरमान पूरे करने में ही खर्च किया जाता है। मगर आगे तक की जिंदगी के लिए बेहतर योजना बनाने वाले इसका समझदारी से इस्तेमाल करें।’
मगर समझदारी से इस्तेमाल कैसे किया जाए? इसके कुछ तरीके हम बताते हैं:
कर्ज चुकाना
आपके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता कर्ज और खास तौर पर ऊंचे ब्याज वाले कर्ज कम करना होनी चाहिए। एमबी वेल्थ फाइनैंशियल सॉल्यूशन्स के निदेशक एम बर्वे कहते हैं, ‘सबसे पहले क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाइए और उसके बाद पर्सनल लोन जैसे बिना गिरवी वाले कर्ज निपटाइए।’ सही तो यह है कि निवेश से पहले ऊंचे ब्याज वाले कर्ज चुकाए जाएं।
बर्वे की सलाह है, ‘अगर आप महंगा कर्ज अपने सिर पर लेकर निवेश करते हैं तो असल में आप घाटे में चले जाते हैं। ऐसी वित्तीय चूक को मेंटल अकाउंटिंग कहते हैं।’ मेंटल अकाउंटिंग तब होती है, जब लोग अपने पैसे को अलग-अलग ‘अकाउंट’ में मान लेते हैं और सबको अलग-अलग तरीके से बरतते हैं। सोचिए कि क्रेडिट कार्ड बकाये पर 40 फीसदी ब्याज कट रहा है मगर आप बकाया निपटाने के बजाय अपनी रकम 7 फीसदी ब्याज के फेर में एफडी बनाकर बैंक में रख लेते हैं।
इमरजेंसी फंड बढ़ाएं
अगला काम है आकस्मिक जरूरतों के लिए इमरजेंसी फंड बनाना और बढ़ाना। हम फौजी इनीशिएटिव्स के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) कर्नल (सेवानिवृत्त) संजीव गोविला समझाते हैं, ‘अगर आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है तो इस रकम से वह फंड बनाएं।’
अगर आपने इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल कर लिया है तो दीवाली बोनस से इसकी भरपाई करें। सभी कहते हैं कि घर का महीने का बजट निकालिए और तीन से छह महीने के बजट के बराबर रकम बचाकर रखें। मगर कुछ सलाहकार साल भर के घर खर्च के बराबर नकदी अलग रखने के लिए कहते हैं। जिनकी आय अनियमित है और जो ऐसी नौकरी करते हैं, जो आर्थिक स्थिति गड़बड़ाते ही जा सकती है, उन्हें तो 12 महीने की रकम रखनी ही चाहिए।
ठक्कर का कहना है, ‘इमरजेंसी फंड ऊंची तरलता वाली, सुरक्षित और ब्याज दिलाने वाली योजना में रखना चाहिए जैसे स्वीप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), लिक्विड फंड और अधिक ब्याज वाले बचत खाते।’
सामान पर सोच समझकर खर्च
दीवाली पर लोग कंज्यूमर ड्यूरेबल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते ही हैं। साथ ही ऑफलाइन और ऑनलाइन खरीदारी पर भारी छूट के कारण गैजेट भी जमकर खरीदे जाते हैं। अब तो कार डीलर भी 25,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक छूट दे रहे हैं।
मगर इनके चक्कर में पड़कर कर्ज के जाल में न फंसें। गोविला कहते हैं, ‘आत्म-नियंत्रण का इस्तेमाल करें। केवल अच्छा ऑफर या बाय नाउ पे लेटर स्कीम देखकर कुछ खरीद न लाएं।’
सही मकसद में निवेश
दीवाली बोनस का बड़ा हिस्सा निवेश में जाना चाहिए। ठक्कर समझाते हैं, ‘यदि निकट भविष्य के लक्ष्य के लिए रकम कम जमा है तो बोनस के जरिये उस कमी की भरपाई करें।’ यदि आपके दीर्घकालिक लक्ष्य तय हैं और उनके लिए संपत्तियों का सही मिश्रण भी आपने तय कर रखा है तो जो भी रकम अलग से मिल गई है, उसे अपनी प्राथमिकता के आधार पर लगाएं। यह भी देखें कि तमाम लक्ष्य हासिल करने में आपके पास रकम की कितनी कमी है।
ठक्कर का कहना है, ‘इक्विटी म्युचुअल फंड या सीधे शेयरों में निवेश से आपको 10 साल या उससे ज्यादा समय बाद आने वाले लक्ष्य के लिए सबसे अच्छा रिटर्न मिल सकता है। इक्विटी म्युचुअल फंड में रकम लगानी है तो सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का सहारा लें। आपके पास एकमुश्त रकम है तो उसे शॉर्ट-टर्म डेट फंड में लगाएं और इक्विटी फंड में उसे भेजने का इंतजाम करें। अब तो ऐसा ही सिस्टमैटिक निवेश सीधे शेयरों में भी किया जा सकता है।’ अगर आपको नहीं पता कि कहां निवेश करना है तो निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में रकम लगाकर शुरुआत करें।
अपना कौशल बढ़ाएं
ज्यादातर उद्योग और क्षेत्रों में तेजी से तकनीकी और आर्थिक बदलाव आ रहा है। बर्वे कहते हैं, ‘अपनी प्राथमिकताओं के लिए निवेश करें। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) सब कुछ बदल रहा है, इसलिए बोनस की रकम खर्च कर नया कौशल हासिल करना सबसे बड़ी समझदारी होगी।’
तोहफे दीजिए
पैसा केवल जमा करने या खुद पर खर्च करने के लिए नहीं होता। इसे बांटा भी जाता है। बोनस से कुछ तोहफे खरीदकर परिजनों या दोस्तों को दीजिए या दान दे दीजिए। यकीन मानिए, आपको बहुत अच्छा लगेगा।