नवंबर महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कच्चे तेल आयात की मात्रा में 11 प्रतिशत बढ़ी ही, जबकि आयात बिल यथावत रहा है।
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में देश का तेल आयात बिल 9.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की तुलना में अपरिवर्तित है। भारत ने इस महीने के दौरान 211 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया, जो पिछले साल की समान अवधि में आयात किए गए 189 लाख टन की तुलना में काफी अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक आपूर्ति के डर के कारण 2025 में कच्चे तेल की कीमत कम रही है। इसकी वजह से अधिक तेल खरीद के बावजूद भारत का आयात बिल कम रहा। भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत नवंबर 2025 के दौरान औसतन 64.31 डॉलर प्रति बैरल रही, जबकि पिछले साल यह 73.02 डॉलर प्रति बैरल थी। अप्रैल से नवंबर की अवधि के दौरान देश के कच्चे तेल का आयात बिल लगभग 12 प्रतिशत घटकर 80.9 अरब डॉलर रह गया।
आपूर्ति की अधिकता के डर और यूक्रेन व रूस के बीच शांति समझौते की उम्मीदों के बीच बेंचमार्क ब्रेंट इस सप्ताह की शुरुआत में गिरकर 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया, जो पिछले 5 वर्षों में सबसे कम है। कच्चे तेल की कीमतों में 2026 में भी नरमी रहने की संभावना है क्योंकि पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन और उसके सहयोगी (या ओपेक प्लस) और अमेरिका जैसे उत्पादक देश घटती वैश्विक मांग के बावजूद बाजार हिस्सेदारी पाने की जंग में उत्पादन को बढ़ावा देने को तत्पर हैं।
रिस्टेड एनर्जी के मुख्य अर्थशास्त्री क्लाउडियो गैलिम्बर्टी ने कहा, ‘चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में आई उछाल के कारण तेल की मांग में कमी आई है और साथ ही व्यापक तौर पर वैश्विक आपूर्ति बढ़ रही है। साथ ही रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील की संभावना है। इन वजहों से तेल व गैस दोनों की कीमतें नीचे जाने का जोखिम है।
नवंबर में भारत के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात बिल भी 1.2 अरब डॉलर पर स्थिर रहा, जबकि आयात मात्रा में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत ने इस महीने में 2,844 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एमएमएससीएम) एलएनजी का आयात किया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,712 एमएमएससीएम का आयात किया था।
नवंबर में तेल और गैस आयात का शुद्ध बिल 4.12 प्रतिशत घटकर 9.3 अरब डॉलर रह गया। भारत के लिए ऊर्जा की कम कीमतें एक बड़ी राहत है, क्योंकि देश कच्चे तेल की कुल जरूरतों का लगभग 90 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की जरूरतों का 50 प्रतिशत आयात करता है।