facebookmetapixel
बॉन्ड बाजार में खुदरा निवेशक कम, सरकार की योजना कर मुक्त बॉन्ड पर जोरPayPal का भारत फोकस; घरेलू भुगतान नहीं, सीमा पार लेनदेन पर जोरAxis Bank का बड़ा प्लान, सभी प्रमुख कॉर्पोरेट्स को बैंकिंग सेवाएं देगासुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को CGHS दरों से बड़ा फायदासरकार कंसर्ट अर्थव्यवस्था को दोगुना करने पर कर रही जोर, प्रक्रिया होगी आसानStocks To Watch Today: Saatvik Green को ₹707 करोड़ के ऑर्डर, Anant Raj का QIP खुला; जानें आज किन शेयरों में रहेगी हलचलNetflix India ने छात्रों के लिए IICT और FICCI के साथ समझौता कियाग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 : एनपीसीआई ने नई सहायक कंपनी बनाईग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 : बड़े लेनदेन के लिए होगी चेहरे से पहचानटेक बेरोजगारी और अतीत से मिले सबक: क्या AI से मानवता के सिर पर लटकी है खतरे की तलवार?

अपनी वसीयत में ये बातें जरूर शामिल करें, वरना हो सकता है पारिवारिक झगड़ा

रजिस्टर्ड वसीयत को चुनौती देना आसान नहीं — सुप्रीम कोर्ट ने बताया क्यों सावधानी से बनानी चाहिए वसीयत

Last Updated- July 26, 2025 | 3:34 PM IST
Buy a home
Representative Image

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही के एक फैसले में साफ किया है कि अगर कोई वसीयत रजिस्टर्ड है, तो उसे असली माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति उसकी वैधता पर सवाल उठाता है, तो उसे ही यह साबित करना होगा कि वसीयत गलत या फर्जी है। अदालत ने Metpalli Lasum Bai (मृतक) बनाम Metapalli Muthaih (मृतक) केस में यह बात कही और साथ ही यह भी जोर दिया कि वसीयत बनाते समय पूरी सतर्कता बरती जानी चाहिए, ताकि बाद में कानूनी विवाद से बचा जा सके।

वसीयत क्या है?

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें यह लिखा होता है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा कैसे और किसे किया जाएगा। यह दस्तावेज तभी प्रभावी होता है जब वसीयत करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

CMS IndusLaw के पार्टनर पालेकांडा एम. चिन्नप्पा के अनुसार, वसीयत का मकसद यह होता है कि संपत्ति को लेकर व्यक्ति की इच्छाएं और निर्देश साफ तौर पर लिखे जाएं—कि कौन-कौन लाभार्थी होंगे, आश्रितों की देखभाल कैसे होगी, और कौन यह सुनिश्चित करेगा कि वसीयत के अनुसार सब कुछ ठीक से हो।

IndiaLaw LLP की डार्शना वेलानी कहती हैं कि वसीयत के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि संपत्ति उसी व्यक्ति की मर्जी के मुताबिक बांटी जाए और कानूनी वारिसों के बीच विवाद की संभावना कम हो।

वसीयत (Will) से जुड़ी जरूरी बातें:

वसीयत बनाने की शर्तें

वसीयत वही व्यक्ति बना सकता है जो मानसिक रूप से ठीक हो और कम से कम 18 साल का हो। वसीयत हाथ से लिखी हो या टाइप की गई हो, दोनों मान्य होती हैं। इसे सादे कागज पर भी लिखा जा सकता है और इसे नोटरी से प्रमाणित कराना ज़रूरी नहीं होता, लेकिन ऐसा करना कानूनी विवाद की स्थिति में फायदेमंद हो सकता है।

वसीयत में क्या होना चाहिए

वसीयत में आपकी सारी संपत्तियों का ज़िक्र होना चाहिए और ये स्पष्ट होना चाहिए कि किसको कौन-सी संपत्ति दी जाएगी। यह दस्तावेज़ पूरी तरह आपकी मर्ज़ी से और बिना किसी दबाव या धोखे के बना होना चाहिए। इसमें तारीख और आपकी (वसीयतकर्ता की) हस्ताक्षर ज़रूरी है।

गवाह की भूमिका

वसीयत को दो गवाहों की उपस्थिति में साइन किया जाना चाहिए। ये गवाह यह सुनिश्चित करें कि वसीयतकर्ता ने अपनी इच्छा से दस्तावेज़ बनाया है। गवाह कोई भी 18 साल से ऊपर का, समझदार व्यक्ति हो सकता है — लेकिन उसका वसीयत से कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए। एक वकील और एक डॉक्टर को गवाह बनाना अच्छा विकल्प हो सकता है। जिन लोगों को वसीयत में हिस्सा मिलना है या उनके जीवनसाथी, उन्हें गवाह नहीं बनाना चाहिए।

कार्यपालक (Executor) का चयन

एक कार्यपालक या निष्पादक नियुक्त करना समझदारी होती है। उसका काम आपकी मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति को सही तरीके से बाँटना और टैक्स या कर्ज जैसे मामलों को सुलझाना होता है। इससे विवादों की संभावना कम हो जाती है।

वसीयत का रजिस्ट्रेशन

वसीयत को रजिस्टर्ड कराना ज़रूरी नहीं है, लेकिन ऐसा करने से दस्तावेज़ की वैधता साबित करना आसान हो जाता है। रजिस्ट्रेशन के लिए वसीयतकर्ता को गवाहों के साथ रजिस्ट्रार ऑफिस जाना होता है और कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने होते हैं।

समय-समय पर संशोधन

वसीयत को हर 3 से 5 साल में या फिर जीवन में बड़े बदलाव (जैसे शादी, बच्चे, नई संपत्ति) के बाद अपडेट करना चाहिए। पुरानी वसीयत को रद्द करने के लिए एक नई वसीयत बना सकते हैं या एक codicil (संशोधन पत्र) भी बनाया जा सकता है। पुरानी वसीयत को फाड़ देना या जला देना भी ज़रूरी है।

वसीयत को चुनौती देना

वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है अगर ये साबित किया जाए कि:

  • वसीयतकर्ता मानसिक रूप से अक्षम था, 
  • वसीयत पर दबाव, धोखा या ज़बरदस्ती थी, 
  • गवाह सही तरीके से शामिल नहीं हुए, 
  • या वसीयत स्पष्ट नहीं है। 

अगर वसीयत में कोई गैरकानूनी शर्त है तो वो भी अमान्य हो सकती है।

कानूनी उपाय

अगर किसी लाभार्थी को वसीयत में उनका हिस्सा नहीं दिया गया या विवाद किया गया, तो वे कोर्ट में दस्तावेज़ के वैध होने की दलील दे सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति वसीयत को गलत तरीके से रोक रहा है या संपत्ति का दुरुपयोग कर रहा है, तो अलग से दावा किया जा सकता है।

वसीयत की वैधता साबित करना

कोर्ट में वसीयत को सही ठहराने के लिए उसकी मूल प्रति (original copy) पेश करनी होती है। कम से कम एक गवाह को कोर्ट में पेश होकर वसीयत की पुष्टि करनी होती है। साथ ही यह साबित करना होता है कि वसीयतकर्ता मानसिक रूप से स्वस्थ था और उसने अपनी इच्छा से दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे।

वसीयत बनाते समय सावधानियां

  • भाषा सीधी और स्पष्ट होनी चाहिए 
  • हर movable और immovable संपत्ति का ज़िक्र किया जाए 
  • सभी लाभार्थियों का नाम ठीक से लिखा जाए 
  • हर पेज पर तारीख और हस्ताक्षर हों 
  • अगर किसी उत्तराधिकारी को संपत्ति से वंचित कर रहे हैं, तो कारण साफ लिखा जाए


विवाद से बचाव के लिए सुझाव

  • आपसी समझौते के ज़रिये (family settlement) झगड़े टाले जा सकते हैं 
  • असमान बंटवारा, मौखिक वसीयत, या भावनात्मक भाषा से बचें 
  • वसीयत में अपनी मंशा साफ तौर पर लिखें

First Published - July 26, 2025 | 1:11 PM IST

संबंधित पोस्ट