पूंजी बाजार नियामक SEBI के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को एक ऐसी व्यवस्था लेकर आने का वादा किया जिसमें SEBI बोर्ड के सदस्यों के लिए हितों के टकराव के बारे में जनता को बताना जरूरी होगा। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के चेयरमैन का एक मार्च को पदभार संभालने वाले पांडेय ने अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि पारदर्शिता के दृष्टिकोण से ऐसा करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कदमों से SEBI को पूरी तरह भरोसा हासिल करने में मदद मिलेगी। पांडेय आर्थिक समाचार पोर्टल मनीकंट्रोल के ‘ग्लोबल वेल्थ समिट-2025’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पिछले साल अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने SEBI की पिछली मुखिया माधबी पुरी बुच के खिलाफ संभावित हितों के टकराव के संबंध में कई आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च का एक आरोप अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में बुच के निजी निवेश से जुड़ा हुआ था। इस आरोप पर बाजार नियामक ने कहा था कि बुच ने ‘प्रासंगिक खुलासे’ किए थे और जरूरत पड़ने पर उन्होंने खुद को इससे अलग भी कर लिया था।
पांडेय ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें विभिन्न उपायों पर अधिक पारदर्शी होने की जरूरत है। मसलन, बोर्ड के हितों के टकराव आदि पर पारदर्शी होना होगा।” उन्होंने कहा, “हम अपनी खुद की योजना के साथ आगे आएंगे ताकि अधिक पारदर्शिता के साथ हितों के टकराव आदि को जनता के सामने उजागर किया जा सके।” पांडेय ने कहा, “मुझे लगता है कि भरोसा और पारदर्शिता का मसला SEBI तक भी जाता है। हमें न केवल सभी हितधारकों का भरोसा अपने ऊपर बनाना है, बल्कि उस भरोसे को बनाए भी रखना है।”
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारतीय बाजार से बढ़ती निकासी को लेकर चिंता के बीच SEBI प्रमुख ने कहा कि नियामक उनके परिचालन को नियंत्रित करने वाले नियमों को और अधिक तर्कसंगत बना रहा है। उन्होंने कहा, “हम विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत को लेकर सजग हैं। हम विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) उद्योग प्रतिभागियों के साथ मिलकर उनकी कठिनाइयों का समाधान करने और संचालन को आसान बनाने के लिए विनियमों को और अधिक तर्कसंगत बनाने में खुश होंगे।”
उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी की रफ्तार कायम रखने के लिए घरेलू और विदेशी, दोनों प्रकार की पूंजी की जरूरत है।