हर एक पर चार शेयर बोनस देने और 90 रुपये प्रति शेयर के लाभांश की घोषणा के बाद नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की मार्केट वैल्यू करीब 85,000 करोड़ रुपये बढ़कर 3.21 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। असूचीबद्ध बाजार में एनएसई का शेयर पिछले हफ्ते नतीजे की घोषणा से पहले 4,500 रुपये पर था जो अब उछलकर 6,000 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया है।
उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि इस शेयर में खुदरा और एचएनआई की दिलचस्पी बोनस इश्यू के कारण बढ़ी है। बोनस शेयर जारी होने के बाद यह शेयर 1,200-1,500 रुपये के दारये में कारोबार करेगा जो सस्ता नजर आएगा और नकदी में मजबूती लाएगा। कई का मानना है कि एनएसई बोर्ड की बोनस की घोषणा उसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के पहले का कदम हो सकती है।
एक्सचेंज पिछले पांच साल से सार्वजनिक निर्गम लाना चाह रहा है, लेकिन नियामक के पास उसके अनुरोध का नतीजा नहीं निकला है। इसी वजह से दिसंबर 2023 तक इसके शेयर की कीमत सीमित दायरे में थी और इस साल ही उसने रफ्तार पकड़ी है। आय की घोषणा के बाद एक्सचेंज ने कहा था कि आईपीओ को लेकर उसके पास नियामक से कोई अद्यतन जानकारी नहीं है।
अनलिस्टेड जोन के निदेशक दिनेश गुप्ता ने कहा, जब कोई एनएसई के शेयर को खरीदता या बेचता है तो उसी दिन पहले चरण की मंजूरी मिल जाती है। लेकिन चूंकि उसका आईएसआईएन फ्रीज है, लिहाजा शेयर हस्तांतरण प्रक्रिया मैनुअली होती है, जिसमें 2-3 महीने लगते हैं। एक्सचेंज व डिपॉजिटरी इस प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस मोर्चे पर बहुत ज्यादा प्रगति नहीं हुई है।
एक्सचेंज के प्रबंधन ने पिछले साल पुष्टि की थी कि वे प्रक्रिया का समय घटाकर एक हफ्ता करने पर काम कर रहे हैं। हालांकि यह अभी भी समय लगने वाली प्रक्रिया है क्योंकि नियामकों ने अनिवार्य कर रखा है कि एक्सचेंज सिर्फ फिट और प्रॉपर इकाइयों के पास ही हो।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि एनएसई के शेयर खरीदने पर मंजूरी के दो चरण हैं – पहला है केवाईसी और दूसरा शेयरों के हस्तांतरण की प्रक्रिया को मंजूरी। अगर किसी खरीदार ने विगत में शेयर खरीदे हैं तब केवाईसी का चरण दोबारा करने की जरूरत नहीं है। पहले चरण में करीब दो महीने का समय लग सकता है, वहीं दूसरे चरण में एक पखवाड़ा या एक महीने का समय लगता है।
गुप्ता ने कहा कि प्रतिस्पर्धी बीएसई के शेयरों में कई गुना उछाल देखते हुए एनएसई का मूल्यांकन अब वास्तव में ज्यादा आकर्षक है क्योंकि शेयर पिछले एक साल से आगे बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ा है, जिसकी वजह नियामकीय मसले और आईपीओ को लेकर अनिश्चितता है। बीएसई की बाजार हिस्सेदारी में इजाफे को लेकर चिंता है, लेकिन कुल ऑप्शन वॉल्यूम लगातार बढ़ रहा है।