यूबीएस ग्लोबल रिसर्च ने कई भारतीय सीमेंट कंपनियों के शेयरों को ‘खरीदने’ के लिए अपग्रेड किया है। यूएसबी का कहना है कि सीमेंट क्षेत्र में जो भी जोखिम थे, उनके हिसाब से शेयरों की कीमतें आ चुकी हैं और अगले वित्त वर्ष में कंपनियों की कमाई बढ़ने की उम्मीद है। ब्रोकिंग कंपनी ने अंबुजा सीमेंट के शेयरों के लिए लक्षित कीमत 620 रुपये, अल्ट्राटेक सीमेंट के लिए 13,000 रुपये और डालमिया भारत के लिए 2,100 रुपये रखी है। एसीसी के लिए पहले की लक्षित कीमत 2,250 रुपये बरकरार रखी गई है।
रिसर्च फर्म के विश्लेषकों का कहना है कि मांग में कमी और अदाणी समूह के इस क्षेत्र में आने के बाद प्रतिस्पर्द्धा बढ़ने के कारण जुलाई 2023 से ही इस क्षेत्र को लेकर नकारात्मक नजरिया था। यूबीएस के नोट में कहा गया कि ये जोखिम अब खत्म हो गए हैं और वित्त वर्ष 2026 में कमाई में तेजी की उम्मीद है। यूएसबी की रेटिंग अपग्रेड के बाद सीमेंट कंपनियों के शेयरों में उछाल देखी गई। मंगलवार को अल्ट्राटेक सीमेंट के शेयर 3.71 फीसदी चढ़कर 11,461 रुपये पर पहुंच गए लेकिन अंत में 3.35 फीसदी की बढ़त पर बंद हुए। अंबुजा सीमेंट और एसीसी शेयरों में क्रमशः 2.75 फीसदी और 1.79 फीसदी की तेजी देखी गई जबकि डालमिया भारत के शेयरों में 2.42 फीसदी की बढ़त हुई।
यूबीएस का अनुमान है कि इन कंपनियों का मजबूत एबिटा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई)वित्त वर्ष 2024-25 के मुकाबले वित्त वर्ष 2026-27 के दौरान 18 से 43 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगा।
यह वृद्धि आवास क्षेत्र में तेजी और सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण मांग सुधरने से आएगी। बेहतर मार्जिन, कीमतों के नीचे स्तर तक पहुंचने और अल्ट्राटेक और अंबुजा जैसे शीर्ष दो कंपनियों की अगुआई में सीमेंट क्षेत्र में मजबूती भी यूबीएस की चेटिंग अपग्रेड का कारण है।
इसके अलावा, अंबुजा के विलय और अधिग्रहण पर निर्भर रहने से अधिक आपूर्ति की चिंता भी अब कम हो गई है। यूएसबी का कहना है कि लागत कम करने के कई तरीके हैं। जैसे अक्षय ऊर्जा को अपनाना, रेल परिवहन के जरिये माल ढुलाई कर लागत में कमी लाना, कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के समय में कमी लाना और सक्षम लॉजिस्टिक्स प्रबंधन के जरिये लागत कम की जा सकती है।
ब्रोकिंग कंपनी का अनुमान है कि उद्योग की क्षमता में शीर्ष दो खिलाड़ियों की हिस्सेदारी वर्ष 2023-24 के 33 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2029-30 में 44 फीसदी हो जाएगी जबकि शीर्ष चार कंपनियों की हिस्सेदारी 48 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी हो जाएगी।