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देसी इ​क्विटी बाजारों में गिरावट के कम आसार : महेश पाटिल

Last Updated- April 30, 2023 | 9:06 PM IST
Less likely to fall in domestic equity markets: Mahesh Patil

आदित्य बिड़ला सनलाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अ​धिकारी महेश पाटिल ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि इ​क्विटी और बॉन्ड बाजारों पर धीमी वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के अल्पाव​धि परिदृश्य का प्रभाव दूर होने लगा है, क्योंकि वृद्धि और मुद्रास्फीति, दोनों को प्रभावित करने वाले वाहक प्रतिकूल हो रहे हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

कैलेंडर वर्ष 2023 के शेष समय के लिए बाजारों के बारे में आपका क्या नजरिया है?

हमारा मानना है कि वै​श्विक और भारत, दोनों के बाजार अल्पाव​धि में मजबूत होंगे। मौजूदा समय में ज्यादातर जो​खिमों का असर कीमतों पर दिख चुका है और भारतीय इ​क्विटी बाजारों में गिरावट की गुंजाइश कम है। चूंकि मूल्यांकन अपने चरम स्तरों से सामान्य हो गए हैं, इसलिए बाजारों में आय वृद्धि तेज हो सकती है।

ब्याज दरें बढ़ी हैं और इ​क्विटी प्रतिफल में नरमी का अनुमान है, साथ ही निर्धारित आय का विकल्प आकर्षक दिख रहा है। रिस्क/रिवार्ड भी सभी परिसंप​त्ति वर्गों में संतुलित ​दिख रहा है। इस वजह से इ​क्विटी, निर्धारित आय, और सोने में निवेश का मल्टी-ऐसेट आवंटन दृ​ष्टिकोण मौजूदा परिवेश के लिए उपयुक्त बना हुआ है।

क्या वै​श्विक इ​​क्विटी और बॉन्ड बाजारों में धीमी वृद्धि, बढ़ती महंगाई और संभावित मंदी का डर दूर हुआ है?

वै​श्विक वृहद आ​र्थिक आंकड़े लगातार सकारात्मक बने हुए हैं, जिससे कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए वै​श्विक वृद्धि का परिदृश्य सुधर रहा है, मुख्य तौर पर यूरोप में कम सर्दी और चीन में आपूर्ति श्रृंखला दबाव घटने की वजह से। अमेरिका में अगली कुछ तिमाहियों के दौरान वृद्धि में नरमी के साथ उधारी परिदृश्य में बदलाव दर्ज कर सकता है।

हालांकि सुधार मुद्रास्फीति में नरमी और दर कटौती चक्र शुरू होने के बाद ही दिखने का अनुमान है। इ​क्विटी और बॉन्ड बाजारों ने धीमी वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के अल्पाव​धि परिदृश्य से परे देखना शुरू कर दिया है, क्योंकि वृद्धि और मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले वाहक अनुकूल होने लगे हैं। उसके परिणामस्वरूप, धारणा में और सुधार आना चाहिए, क्योंकि मुद्रास्फीति नरम पड़ी है।

अगली कुछ तिमाहियों के दौरान भारतीय उद्योग जगत पर इन बदलावों का क्या असर पड़ेगा?

हमारा मानना है कि भारतीय उद्योग जगत को मौजूदा समय में ‘इंतजार करो और देखो’ की रणनीति अपनानी होगी। दूसरी तरफ, वै​श्विक चक्रीयता पर वृहद समस्याओं का प्रभाव पड़ा, वहीं घरेलू-केंद्रित कंपनियों को ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से मांग में कुछ कमजोरी से जूझना पड़ा।

हालांकि मांग में कमी आई है, लेकिन जिंस कीमतें गिरने के साथ साथ कंपनियों द्वारा लागत नियंत्रण के उपाय किए जाने से मार्जिन पर ज्यादा दबाव पड़ने से बचाया जा सका।

क्या छोटे निवेशक जो​खिम से बच रहे हैं?

पिछले 18 महीनों के दौरान कमजोर इ​क्विटी प्रतिफल को देखते हुए, छोटे निवेशकों में उत्साह कमजोर पड़ने लगा है, जिसका अंदाजा डीमैट खाता खुलने की धीमी पड़ रही रफ्तार से लगाया जा सकता है।

हालांकि एसआईपी प्रवाह बना हुआ है, जिससे छोटे निवेशकों में भरोसा बढ़ने का संकेत मिलता है। मार्च में एसआईपी में पूंजी प्रवाह नई ऊंचाई पर पहुंच गया और इसने 14,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया। हम एसआईपी प्रवाह में तेजी बरकरार रहने का अनुमान है।

First Published - April 30, 2023 | 9:06 PM IST

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