वॉल स्ट्रीट से चली मंदी की आंधी से ढहते बाजार और उद्योग जगत को बचाने के लिए अब सरकार मैदान में कूद पड़ी है।
इसके तहत जहां एक ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सोमवार को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौती की, वहीं दूसरी ओर बाजार नियामक सेबी ने भी विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा जारी किए जाने वाले भागीदारी पत्र (पी नोट्स) को जारी किए जाने पर लगाया गया प्रतिबंध भी हटा दिया।
रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखी जाने वाली रकम के अनुपात यानी सीआरआर में हुई कटौती के बाद बैंकों के लिए लगभग 200 अरब रुपये की नकदी मुहैया हो सकेगी। इससे बैंकों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से उपजे दबावों से निबटने में खासी मदद मिल सकेगी।
इसी तरह पी नोट्स पर लगी पाबंदी हटाने से शेयर बाजार से बैक गियर लगा रहे विदेशी निवेशकों के वापस लौटने और विदेशी निवेश के बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। सेबी के अध्यक्ष सी.बी. भावे ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद यह पाबंदी हटाने की घोषणा करते हुए कहा कि नियामक नकद और डेरिवेटिव्स, दोनों फंडों में पी नोट्स जारी करने के संबंध लगाया गया 40 फीसदी का प्रतिबंध समाप्त कर दिया है।
यही नहीं, वैश्विक हलचल के मद्देनजर सेबी ने विदेशी संस्थागत निवेशक के ढांचे की व्यापक समीक्षा का भी निर्णय किया है। नियामक ने पिछले साल अक्टूबर में भारी अटकलों के बीच ये प्रतिबंध लगाए थे।भावे ने माना कि इससे पी नोट्स जारी किए जाने की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा – हम अक्तूबर 2007 की स्थिति को फिर से ला रहे हैं, जब कोई प्रतिबंध नहीं था।
पिछले एक साल में कई विदेशी संस्थागत निवेशकों और सब अकाउंट ने पंजीकरण किया है और हम चाहते हैं कि यह रुख बरकरार रहे। शॉर्टसेलिंग के बारे में उन्होंने कहा- दूसरे बाजारों में क्या हो रहा है, हम इसकी निगरानी कर रहे हैं। हमें यह देखना होगा कि हमारे बाजार के लिए क्या सही है। कोई संस्थागत शॉर्टसेलिंग नहीं हो रही है। समस्या तब होती है जब कोई डिलीवरी नहीं होती।
सेंसेक्स धराशायी, 12 हजार से नीचे पहुंचा
यूरोपीय बाजारों से होते हुए एशिया पहुंची अमेरिकी मंदी की आंधी ने देश के शेयर बाजारों को एक बार फिर ढहा दिया। मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक सेंसेक्स तो सोमवार को 724 अंक का जबरदस्त गोता लगा कर 12 हजार के नीचे आ पहुंचा। यह दो सालों में इसका सबसे निचला स्तर है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी भी 215 अंक लुढ़क कर 3600 के स्तर पर जा गिरा। मुंबई शेयर बाजार में तो कमोबेश सभी शेयरों की हालत पतली रही।
उपभोक्ता टिकाऊ क्षेत्र के शेयर सूचकांक में 11 फीसदी, अचल संपत्ति और धातु क्षेत्र में नौ फीसदी, पूंजीगत वस्तु और ऊर्जा में सात फीसदी, मझोले और छोटे शेयर सूचकांक में सात फीसदी, तेल और गैस में साढ़े छह फीसदी, आईटी व तकनीकी क्षेत्र में साढ़े पांच फीसदी, फार्मा, एफएमसीजी, बैंक में चार फीसदी तथा पीएसयू व वाहन क्षेत्र में साढ़े तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
विभिन्न कंपनियों के शेयरों की अगर बात की जाए तो सोमवार को किसी भी कंपनी का शेयर बढ़त पर नहीं रहा। सबसे ज्यादा लुढक़ने वाले शेयरों में स्टरलाइट 15 फीसदी, रिलायंस इन्फ्रा, जेपी एसोसिएट्स साढ़े तेरह फीसदी, टाटा स्टील 11 फीसदी, डीएलएफ, टाटा पावर 10 प्रतिशत और रिलायंस कम्युनिकेशंस व ग्रासिम साढ़े नौ फीसदी गिरे।
ताकि हमको न कसे यह पंजा
गोता लगाते बाजारों और सुस्त पड़ते उद्योगों से घबराई सरकार
रिजर्व बैंक ने आधा फीसदी घटाकर सीआरआर की दर की 8.5 फीसदी
सेबी ने हटाया अक्टूबर 2007 से लगा पी नोट्स पर प्रतिबंध
वाया यूरोप मंदी पहुंची एशिया
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को रौंदते वैश्विक आर्थिक संकट के कारण एशियाई और यूरोपीय बाजारों ने भी सोमवार को गोता खाया। लंदन स्टॉक एक्सचेंज के एफटीएसई 100 समेत प्रमुख शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज हुई। वित्तीय हलचल से प्रभावित जर्मनी, बेल्जियम, आयरलैंड और आईसलैंड जैसे यूरोपीय देश संबंधित वित्तीय संस्थानों के लिए राहत पैकेज लेकर आए हैं।