गोल्डमैन सैक्स की एक ताजा रिपोर्ट में विश्लेषकों ने चेताया है कि वैश्विक शेयर बाजारों में अभी भी काफी हद तक मंदी के हालात बने हुए हैं और जब तक
अनिश्चितता दूर नहीं हो जाती, तब तक बाजार में सुधार की राह स्थिर रहने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
उनके अनुसार मंदी के बाजार की तीन वजह हैं- मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में अभी भी वृद्धि होने का अनुमान है, आर्थिक वृद्धि कमजोर रह सकती है और मूल्यांकन ज्यादा मजबूत नहीं हैं।
यूरोप में गोल्डमैन सैक्स के लिए मुख्य वैश्विक इक्विटी रणनीतिकार एवं शोध प्रमुख पीटर ओपनहीमर ने रिपोर्ट में लिखा है, ‘हमारे बुनियादी आधार-केंद्रित बुल/बियर इंडिकेटर (जीएसबीएलबीआर) और धारणा-आधारित रिस्क एपिटाइट इंडिकेटर (जीएसआरएआईआई) से संभावित बदलाव संबंधित बिंदुओं का पता लगाने में मदद मिली है।’
गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि मंदी के बाजार से तेजी के बाजार की दिशा में शुरुआती बदलाव मजबूत होगा और यह मूल्यांकन वृद्धि पर केंद्रित होगा, भले ही बाजार में किसी भी तरह की मंदी हो। चूंकि मंदी के बाजार में तेजी सामान्य है, इसलिए इससे वास्तविक समय में इन बदलावों को पहचानना कठिन हो जाता है।
जून से कई वैश्विक बाजारों में इस उम्मीद से सुधार की रफ्तार ठहरी हुई है कि वैश्विक केंद्रीय बेंक दर वृद्धि को लेकर सुस्त रुख दिखा सकते हैं। इसकी वजह मुख्य तौर पर जिंस कीमतों में आई नरमी थी, खासकर कच्चे तेल में, जो तब से करीब 21 प्रश्तिात गिरकर अब 89 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया है।
आंकड़ों से पता चलता है कि नैस्डैक, एसऐंडपी 500, निक्केई 225 और सेंसेक्स जैसे प्रमुख सूचकांक जून 2022 से अब तक 13 प्रतिशत तक चढ़ चुके हैं। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि यह तेजी काफी हद तक इसे लेकर बढ़ते भरोसे का प्रतीक थी कि मुद्रास्फीति चरम स्तर पर पहुंच चुकी है और ब्याज दर चक्र में वृद्धि का चरम स्तर पहले की तुलना में ज्यादा करीब है।
ओपनहीमर ने लिखा है, ‘इस संदर्भ में, हमारी नजर में जून 2022 से ताजा तेजी मंदी के बाजार वाली तेजी है। इसकी अवधि और मात्रा पिछले दशकों के अनुभव के मुकाबले असामान्य नहीं थी। हमें बाजार के ठोस स्थिति में आने से पहले और अधिक कमजोरी और अनिश्चितता आने का अनुमान है।’
रिपोर्ट के अनुसार, औसत तौर पर मंदी के बाजारों में पिछले 44 दिन और एमएससीआई एसी वर्ल्ड का प्रतिफल 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत रहा है।
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि वृहद स्तर पर हालांकि मुद्रास्फीति चरम स्तर के नजदीक हो सकती है, लेकिन यह कुछ समय तक ऊंची बनी रहेगी, जिससे दरों पर दबाव पड़ रहा है।
