आजकल, नए जमाने के मीडिया, सोशल मीडिया और जानकारी देने वाली वेबसाइटों की वजह से, शेयर बाजार और निवेश के बारे में सीखने के लिए बहुत कुछ मिल जाता है. इस वजह से, पूरे भारत में आम निवेशक पहले से ज्यादा शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं.
लेकिन, जानकारी और सलाहकारों की मदद लेने के बाद भी, निवेशक कई बार शेयर बाजार के बारे में गलतफहमियों में फंस जाते हैं और अपने दिल की सुनकर फैसले ले लेते हैं.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) ने हाल ही में एक रिपोर्ट में शेयर बाजार के बारे में गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की है। उनकी रिपोर्ट इस बात से तो सहमत है कि अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही है, कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है और भविष्य की ग्रोथ अच्छी रहेगी, लेकिन ये तर्क तभी काम आते हैं जब शेयरों की कीमतें सही हों। यह साफ है कि ये अच्छी बातें बहुत ऊंची कीमतों पर भी लागू नहीं होतीं।
मिथक 1: तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (GDP) शेयर बाजार में कमाई बढ़ाती है
सच: कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) की रिपोर्ट बताती है कि आंकड़ों के मुताबिक ऐसा हमेशा नहीं होता। भारत में कई बार तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ-साथ शेयर बाजार में गिरावट भी आई है।
चिंता की बातें
मिथक 2: भारतीय बाजार उचित मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है
सच: निफ्टी-50 इंडेक्स का मूल्यांकन इतिहास और बॉन्ड की ब्याज दरों के हिसाब से तो ठीक लग सकता है, लेकिन पिछले 2-3 सालों में ज्यादातर शेयरों की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं और अब उचित से ज्यादा या बहुत ज्यादा ऊंची लग रही हैं।
चिंता की बातें
मिथक 3: शेयर बाजार, बॉन्ड से ज्यादा मुनाफा देता है
सच: ये हमेशा सही नहीं होता है। शेयरों की कीमतें जितनी ज्यादा होंगी, मुनाफा (डिविडेंड और शेयरों की बिक्री से मिलने वाला पैसा) उतना ही कम होगा।
चिंता की बातें
मिथक 4: भारतीय कंपनियों का मुनाफा हमेशा बढ़ता रहेगा
सच: हालांकि यह माना जा सकता है कि भारतीय कंपनियों का मुनाफा लंबे समय तक अच्छा रहेगा, लेकिन इस बात को पक्का नहीं माना जा सकता।
चिंता की बातें
मिथक 5: विदेशी निवेशक या आम निवेशक, बाजार को ऊपर चढ़ाते हैं
सच: विदेशी या आम निवेशकों के बाजार में आने से ही शेयरों की कीमतें नहीं चढ़तीं। बल्कि, निवेशक बाजार की स्थिति और भविष्य के अनुमानों के आधार पर फैसला लेते हैं।
चिंता की बातें
शेयर बाजार में हमेशा कोई न कोई खरीदता है और कोई न कोई बेचता है। कुल मिलाकर, बाजार में पैसा हमेशा एक ही रहता है।
(कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट (3 जुलाई 2024) के अनुसार )