कमजोर बाजार स्थितियों के बावजूद शुक्रवार को कई निवेश होल्डिंग कंपनियों (आईएचसी) के शेयरों में तेजी आई। यह तेजी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की इस घोषणा के बाद आई कि उनके उचित मूल्य की खोज के लिए विशेष कॉल नीलामी सत्र किया जाएगा।
होल्डिंग कंपनियों को आमतौर पर ‘होल्डको’ के नाम से जाना जाता है और ये ऐसी इकाइयां होती हैं जिनकी अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों सहित दूसरी परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी होती है। इनका ज्यादातर निवेश अपनी ही समूह कंपनियों में होता है।
वाडिया समूह की होल्डिंग कंपनी बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन का शेयर 3.8 प्रतिशत बढ़कर 1,683 रुपये पर बंद हुआ। कल्याणी ग्रुप की कल्याणी इन्वेस्टमेंट कंपनी का शेयर भी शुक्रवार के कारोबारी सत्र के अंत में 4.5 प्रतिशत तेजी के साथ 4,939 पर बंद हुआ। समूह इस्पात, रसायन, फोर्जिंग और विद्युत निर्माण जैसे व्यवसायों में लगा हुआ है। पिलानी इन्वेस्टमेंट, महाराष्ट्र स्कूटर्स और सुमित सिक्योरिटीज जैसी अन्य होल्डिंग कंपनियों के शेयर भी उतार-चढ़ाव भरे बाजार में बढ़त के साथ बंद हुए।
विश्लेषकों का कहना है कि ये शेयर अपनी वास्तविक बुक वैल्यू और होल्डिंग के मुकाबले काफी नीचे कारोबार कर रहे हैं। उनका कहना है कि समझदार निवेशक इस उम्मीद में इन शेयरों को खरीद रहे हैं कि वे विशेष सत्र के दौरान इन्हें अधिक ऊंचे मूल्य पर बेच सकें।
एक विश्लेषक ने नाम गुप्त रखने के अनुरोध के साथ कहा, ‘अक्सर, वैश्विक बाजारों में होल्डको के मूल्यांकन पर डिस्काउंट करीब 30-40 प्रतिशत है। भारत में, लाभांश भुगतान पर ऊंचे करों और अन्य विरासती मसलों की वजह से होल्डको अपनी आंतरिक वैल्यू से 70 प्रतिशत तक नीचे हैं। इस वजह से हमें यह देखना होगा कि क्या विशेष मूल्य खोज सत्र उचित मूल्य बताने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं।’
बाजार नियामक ने गुरुवार को एक विशेष कॉल नीलामी की घोषणा की जिसमें होल्डिंग कंपनियों की कीमत का पता लगाने के लिए कोई प्राइस बैंड नहीं होगा। ऐसा पहला सत्र अक्टूबर में आयोजित कराया जाएगा। विशेष कॉल नीलामी स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा की जाएगी। इस तरह का सत्र साल में एक बार होगा।
बाजार में 70 से अधिक सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनियां हैं। हालांकि ये सभी विशेष सत्र के लिए पात्र नहीं हो सकती हैं। इसमें भाग लेने के लिए निवेश कंपनी की 50 प्रतिशत परिसंपत्तियां अन्य सूचीबद्ध कंपनियों में निवेशित होनी चाहिए। इसके अलावा, कंपनी की 6 महीने की वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (वीडब्ल्यूएपी) भी प्रति शेयर बुक वैल्यू के 50 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।