Zee Sony settlement news: ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (Sony Pictures Networks India) के बीच विलय विवाद के समाधान की खबर से ज़ी पर से एक बड़ा संकट तो कम हो गया है, लेकिन एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर की कीमतों में सुधार की संभावना फिलहाल नहीं दिखती। उन्होंने बुधवार को चेतावनी दी कि Zee को अगर कोई नया पार्टनर या स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर मिलता है, तभी कोई ठोस सुधार हो सकता है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज (Emkay Global Financial Services) के रिसर्च एनालिस्ट पुलकित चावला ने कहा, ‘विलय विवाद का समाधान तीन साल की कठिन यात्रा का अंत है। यह समाधान संकट तो कम करता है, लेकिन प्रमुख रणनीतिक निवेशक की कमी भरोसा नहीं जगाती।’ ब्रोकरेज ने ‘रिड्यूस’ रेटिंग को बरकरार रखते हुए 150 रुपये का टारगेट प्राइस (Zee Entertainment Share Target Price) दिया है।
ज़ी ने अपनी सब्सिडियरी कंपनी बंगला एंटरटेनमेंट के साथ मिलकर कल यानी 27 अगस्त को Sony Pictures Networks India के साथ ‘मैत्रीपूर्ण गैर-नकद समाधान’ (an amicable non-cash settlement) पर सहमति जताई। दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे के खिलाफ सभी दावों को वापस ले लिया और कहा कि अब किसी भी पक्ष के पास किसी भी तरह की लंबित या जारी दायित्व (liabilities) नहीं होंगे।
हालांकि विश्लेषक मौजूदा चुनौतीपूर्ण व्यावसायिक परिवेश में ज़ी एंटरटेनमेंट के भविष्य को लेकर सतर्क हैं। उनका कहना है कि कंपनी के लिए एक मुख्य समस्या डिज्नी-रिलायंस की संयुक्त इकाई के खिलाफ गहराती प्रतिस्पर्धा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, वायकॉम18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और वॉल्ट डिज्नी कंपनी ने फरवरी में कहा था कि वे वायकॉम18 और स्टार इंडिया के कारोबार को संयुक्त करने के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाने के समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगी। 8.5 अरब डॉलर के इस सौदे का संयुक्त उपयोगकर्ता आधार 55.8 करोड़ होगा और यह डिजिटल प्रसारण उद्योग में एक बड़ी कंपनी का निर्माण करेगा। इस सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी भी मिल गई है।
Citi के एनालिस्ट्स ने ‘SELL’ रेटिंग के साथ 137 रुपये का टारगेट प्राइस (Zee Entertainment share target price) दिया है और कहा कि, ‘विवादों के समाधान से निवेशकों की चिंताओं में कमी आएगी, लेकिन हम कंपनी के लागत बचत उपायों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच रेवेन्यू आउटलुक को लेकर चिंतित हैं।’
बाजार में, बुधवार को NSE पर Zee के शेयर की कीमत 3% गिरकर 146.30 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुई, जबकि मंगलवार को यह 11.45 प्रतिशत तक उछली थी।
हाल ही में समाप्त हुई अप्रैल-जून तिमाही (Q1FY25) में ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने 118.10 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ (consolidated net profit) दर्ज किया, जबकि पिछले साल 53.42 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा (net loss) था। ज़ी का कामकाजी मुनाफा यानी एबिटा (Ebitda) 75 प्रतिशत सालाना आधार पर (Y-o-Y) बढ़कर 271.70 करोड़ रुपये हो गया, और Ebitda मार्जिन Q1FY24 के 7.8 प्रतिशत से और Q4FY24 के 9.7% से बढ़कर Q1FY25 में 12.8% हो गया।
सेगमेंट वाइज देखा जाए तो, ज़ी के विज्ञापन राजस्व (Advertisement revenues) में 3 प्रतिशत की गिरावट आई क्योंकि जून तिमाही के दौरान ही क्रिकेट वर्ल्ड कप और आम चुनाव हुए थे। सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अन्य बिक्री और सर्विसेज में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 232 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जिसे ‘मैदान’ फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता ने प्रेरित किया।
Zee का OTT रेवेन्यू ग्रोथ Y-o-Y के हिसाब से 15 प्रतिशत तक धीमी हो गई, जबकि इस सेगमेंट के घाटे में तिमाही आधार (Q-o-Q) के हिसाब से 33 प्रतिशत की कमी आई और यह 180 करोड़ रुपये हो गया।
हालांकि, एनालिस्ट्स का मानना है कि Q4FY24 को छोड़कर, पिछली आठ तिमाहियों में (Y-o-Y आधार पर) ज़ी के विज्ञापन राजस्व में गिरावट आई है, हालांकि, पिछले कुछ तिमाहियों में गिरावट की मात्रा में कमी आई है।
JM Financial के एनालिस्ट्स ने अपनी रिव्यू रिपोर्ट में कहा, ‘हमारे FY25-27 के लिए प्रति शेयर आय (EPS) 3-4 प्रतिशत कम हो गई है क्योंकि बेहतर मार्जिन को कम करने के प्रभाव से ऑफसेट किया गया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा, Viacom18-Star के विलय की संभावना, एक महत्वपूर्ण रिस्क है। हम राजस्व कम कर रहे हैं और मार्जिन अनुमानों को बढ़ा रहे हैं क्योंकि हम निकट-भविष्य के OTT ग्रोथ में कटौती करते हैं, लेकिन मार्जिन रिकवरी को आगे बढ़ा रहे हैं।’
इसके अलावा, पिछले कुछ महीनों में ZEEL के कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है, जिसमें अनिमेश कुमार (HR और ट्रांसफॉर्मेशन के प्रेसिडेंट), पुनीत मिश्रा (कंटेंट और इंटरनेशनल मार्केट के प्रेसिडेंट), नितिन मित्तल (ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर), और राहुल जौहरी (बिजनेस के प्रेसिडेंट) शामिल हैं।
एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी कि प्रबंध निदेशक (MD) और CEO पुनीत गोयनका SEBI के खिलाफ कथित फंड गबन मामले (fund siphoning case) में हैं। किसी भी अनुकूल फैसले के अभाव में क्रिकेट अधिकार और पुनीत गोयनका मामलों में, मैनेजमेंट का ग्रोथ प्लान पटरी से उतर सकता है।