जेन स्ट्रीट एक ऐसी अग्रणी वैश्विक ट्रेडिंग फर्म है जो अपने प्रॉपराइटरी ट्रेडिंग कारोबार और क्लाइंट ट्रेडिंग गतिविधियों को बढ़ाने के लिए उन्नत क्वांटीटेटिव एनालिसिस का लाभ उठाती है। न्यूयॉर्क में व्यापारियों और टेक्नॉलजी विशेषज्ञों की एक टीम ने वर्ष 2000 में इसे स्थापित किया था। फर्म के दुनिया भर में पांच कार्यालय हैं। इनमें 3,000 पेशेवरों को रोजगार मिला हुआ है। यह फर्म एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में अपनी विशेषज्ञता के लिए मशहूर है और वैश्विक इक्विटी, बॉन्ड और ऑप्शंस बाजारों की महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी है।
पिछले साल जेन स्ट्रीट ने अपनी प्रतिद्वंद्वी मिलेनियम मैनेजमेंट और उसके पूर्व कर्मचारियों- डगलस शेडवाल्ड और डैनियल स्पोटिसवुड -पर मुकदमा किया। मुकदमे में उसने आरोप लगाया कि उसके पूर्व कर्मचारियों ने उसकी गोपनीय ट्रेडिंग स्ट्रैटजी चुरा ली और मिलेनियम में अपनी नई नौकरियों में इसका उपयोग किया। जेन स्ट्रीट के वकील ने दावा किया कि उसके पूर्व कर्मचारियों ने जिस स्ट्रैटजी का चुराया, वह उसकी सबसे अधिक लाभ कमाने वाली रणनीति थी और कहा कि उसने एक विशेष बाजार में इसका इस्तेमाल करके 2023 में 1 अरब डॉलर कमाए।
हालांकि भारत और विश्व स्तर पर जेन स्ट्रीट के कमाए लाभ नए नहीं हैं। रिपोर्टों से पता चला है कि फर्म ने 2024 में भारत में इक्विटी डेरिवेटिव से 2.3 अरब डॉलर का शुद्ध राजस्व कमाया। विश्व स्तर पर इसने 20.5 अरब डॉलर का शुद्ध ट्रेडिंग राजस्व अर्जित किया। भारत सहित कई बाजारों में अपने विस्तार के कारण जेन स्ट्रीट का शुद्ध ट्रेडिंग राजस्व 2024 में बैंक ऑफ अमेरिका और सिटीग्रुप से भी अधिक हो गया।
जेन स्ट्रीट के खिलाफ सेबी की जांच डेरिवेटिव कारोबारियों का नुकसान कम करने के प्रयासों का हिस्सा है। यह मामला तीन साल पुराना है। सेबी की जांच की खबर जेन स्ट्रीट पर भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई की एक जांच बंद होने के बाद आई है। जनवरी में, एनएसई ने जेन स्ट्रीट जैसे हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडरों की ओर से किए गए विशिष्ट सौदों को पकड़ा था, जिनमें कथित तौर पर बाजार दरों से बहुत ज्यादा अधिक या कम कीमत पर सौदों का उलटना पलटना शामिल था।
जेन स्ट्रीट जैसी हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्मों ने इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग में महामारी के बाद आई तेजी के बाद भारत में प्रवेश किया है। महामारी के बाद से इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों की दिलचस्पी काफी ज्यादा बढ़ गई है। जेन स्ट्रीट जैसी ट्रेडिंग फर्मों और अन्य विदेशी फंडों (जो एल्गोरिदम और आधुनिक ट्रेडिंग रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं) ने भारत के खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी की कीमत पर पिछले दशक के डेरिवेटिव
ट्रेडिंग बूम पर सवार होकर अरबों का मुनाफा कमाया है। सितंबर 2024 में प्रकाशित सेबी के एक अध्ययन में कहा गया कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 के बीच इक्विटी वायदा एवं विकल्प सेगमेंट में 10 में से 9 कारोबारियों को नुकसान हुआ और उनका कुल नुकसान बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।