US Fed rate cut impact on Indian market: अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट या 0.25% की कटौती करने का ऐलान किया है। फेडरल रिजर्व ने 2024 में तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। फेडरल रिजर्व की कटौती के इस फैसले ने फाइनेंशियल बाजारों में अनिश्चितता की लहर पैदा कर दी है।
वॉल स्ट्रीट के निवेशकों ने ब्याज दरों कटौती के फैसले पर नेगेटिव रिस्पांस दिया। ब्लू-चिप डॉव जोन्स 1123.03 अंक या 2.58% गिरकर 42,326.87 पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स 3.56 प्रतिशत और एसएंडपी 500 2.95 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ।
फेडरल रिजर्व के इस फैसले का असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा। गुरुवार (19 दिसंबर) को शुरूआती कारोबार में सेंसेक्स 1000 से ज्यादा अंक तक लुढ़क गया और निफ्टी भी बुरी तरह फिसल गया।
फेड ने संकेत दिया है कि भविष्य में इंटरेस्ट रेट में कटौती पहले के अनुमान से कम हो सकती है। फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि 2025 में केवल दो और बाद ब्याज दरों में कटौती की जायेगी। हालांकि, पहले केंद्रीय बैंक ने 2025 में 4 बार कटौती करने का संकेत दिया था। इस वजह से बाजार का मूड खराब हो गया।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के डायरेक्टर पलका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि फेडरल रिजर्व के फैसले ने दुनिया भर के फाइनेंशियल बाजारों में अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है।
उन्होंने कहा, ”लंबे समय तक हाई इंटरेस्ट रेट और इकनॉमिक ग्रोथ पर इसके प्रभाव की संभावना से घबराए निवेशकों ने तेज बिकवाली के साथ रिस्पांस दिया है। प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर इंडेक्स दो साल के हाई लेवल पर पहुंच गया। यह फेड के रुख पर बाजार की प्रतिक्रिया को दर्शाता है।”
चोपड़ा ने कहा कि फेड चेयरमैन पॉवेल की तीखी कमेंट्री के साथ डॉलर में मजबूती बताती है कि फेड इकनॉमिक ग्रोथ की बजाय महंगाई को कण्ट्रोल करने पर अधिक फोकस कर रहा है। फेड के इस रुख से वैश्विक स्तर पर वित्तीय स्थिति सख्त हो सकती है।
वीएसआरके कैपिटल के डायेक्टर स्वप्निल अग्रवाल ने कहा कि फेडरल रिजर्व के ताजा फैसले ने वैश्विक बाजारों में तेजी बिकवाली देखने को मिली है। इस रेट काट के बाद विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार कम आकर्षक बन गए है जिससे बाजार में बिकवाली आई है। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये के निचले स्तर पर पहुंचने की वजह से निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ और मांग में कमी प्रमुख सेक्टर्स में प्राइसिंग को लेकर नेगेटिव प्रभाव के साथ एक और चुनौती पेश करती है। ऐसे में शार्ट टर्म में बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि, निवेशकों को इन उतार-चढ़ाव के दौरान घबराहट में बिकवाली से बचना चाहिए और वैश्विक कारकों के न्यूनतम जोखिम के साथ फंडामेंटली मजबूत सिक्योरिटीज पर फोकस करना चाहिए। अनिश्चितता के इस दौर से निपटने के लिए शांत और स्ट्रैटिजीकल आउटलुक बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा।