कनाडा और मेक्सिको पर 25 फीसदी आयात शुल्क और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर अतिरिक्त 10 फीसदी शुल्क लगाने के अमेरिका की घोषणा का असर भारतीय बाजार पर भी दिखा। भारतीय बाजार में आज रुपये एवं शेयर मार्केट में गिरावट दर्ज की गई।
रुपया लुढ़क कर 87 प्रति डॉलर के पार पहुंच गया। मुद्रा बाजार में भारी उठापटक को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हस्तक्षेप किया जिससे रुपये ने कुछ नुकसान की भरपाई की मगर कारोबार की समाप्ति पर यह डॉलर के मुकाबले 0.7 फीसदी गिरावट के साथ 87.19 पर बंद हुआ।
बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी करीब आधा-आधा फीसदी नुकसान में रहे। हालांकि वैश्विक बाजारों की तुलना में देसी शेयर बाजार में गिरावट अपेक्षाकृत कम रही। प्रमुख वैश्विक बाजारों में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने से व्यापार युद्ध शुरू होने के डर से ताइवान, इंडोनेशिया, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया की मुद्रा का प्रदर्शन ज्यादा खराब रहा। डॉलर सूचकांक 1.35 फीसदी चढ़कर 109.83 पर पहुंच गया।
कारोबार के दौरान सेंसक्स और निफ्टी 1-1 फीसदी नीचे आ गया था। सेंसेक्स 76,756 के निचले स्तर को छूने के बाद 319 अंक गिरकर 77,187 पर बंद हुआ। निफ्टी 121 अंक के नुकसान के साथ 23,361 पर बंद हुआ। निफ्टी स्मॉलकैप में 2.1 फीसदी और मिडकैप में 0.93 फीसदी की गिरावट आई।
डॉलर के मुकाबले रुपये में 13 जनवरी के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक रुपया 4.34 फीसदी नरम पड़ चुका है। इस साल यह1.81 फीसदी कमजोर हुआ है। महज 15 कारोबारी सत्र में रुपया 86 से लुढ़क कर 87 के पार पहुंच गया। 85 से गिरकर 86 प्रति डॉलर आने में 46 कारोबारी सत्र लगे थे। बजट में पूंजीगत खर्च ज्यादा नहीं बढ़ाए जाने के कारण रेल और सड़क बुनियादी ढांचा से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में ज्यादा गिरावट आई। लार्सन ऐंड टुब्रो 4.6 फीसदी गिरा और दो दिन में यह 7 फीसदी टूट चुका है।
उपभोक्ता वस्तु कंपनियों के शेयरों में भी नरमी देखी गई और निफ्टी एफएमसीजी 1.7 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। दुनिया के सबसे बड़े धातु उत्पादक देश चीन पर ट्रंप प्रशासन द्वारा 10 फीसदी अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की घोषणा से धातु शेयरों में भी नरमी आई।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा रीपो दर में कटौती की उम्मीद से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है। अगर शुक्रवार को रीपो दर में कटौती होती है तो रुपया 87.50 प्रति डॉलर तक लुढ़क सकता है।
एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘ट्रंप द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने से रुपये में नरमी आई है और रीपो दर में कटौती की उम्मीद से भी उस पर दबाव बना हुआ है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर पड़ रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘बजट में खपत मांग को बढ़ावा देने के उपाय कर परोक्ष तरीके से दर कटौती का संकेत दिया गया है। रुपये की तेज गिरावट को देखते हुए आरबीआई ने डॉलर बाजार में डॉलर की बिकवाली जिससे रुपया 87.25 प्रति डॉलर से नीचे आया। मुझे लगता है कि 2 से 3 अरब डॉलर की बेचे गए होंगे। अगर रीपो दर में कटौती होती है तो रुपया 87.50 प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है।’
इसकी उम्मीद की जा रही है कि मौद्रिक नीति समिति करीब 5 साल बाद रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर सकती है।