अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के कनाडा से आयातित कुछ उत्पादों पर 35 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा और दूसरे अधिकांश देशों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना जताई। इसके बाद अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर नई चिंता पैदा हो गई। इस वजह से शुक्रवार को भारतीय बाजारों में गिरावट आई। शुक्रवार को सेंसेक्स 690 अंक यानी 0.83 फीसदी की गिरावट के साथ 82,500 पर बंद हुआ। निफ्टी 50 इंडेक्स 205 अंक यानी 0.8 फीसदी की फिसलन के साथ 25,150 पर बंद हुआ।
इस हफ्ते सेंसेक्स में 1.1 फीसदी और निफ्टी में 1.2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। दोनों सूचकांकों में 11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के बाद पहली बार लगातार दूसरी साप्ताहिक गिरावट आई। बीएसई में सूचीबद्ध फर्मो का बाजार पूंजीकरण 3.6 लाख करोड़ रुपये घटकर 456.7 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस हफ्ते बाजार पूंजीकरण में 4.5 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
ट्रम्प ने गुरुवार को कनाडा से आने वाले उन सामान पर 35 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की जिनका व्यापार अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते के नियमों के तहत नहीं होता। ट्रम्प ने यह भी घोषणा की कि वह अपने अधिकांश कारोबारी साझेदारों पर 15 से 20 फीसदी का एकमुश्त शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं। अभी लगभग सभी अमेरिकी व्यापार साझेदारों पर शुल्क की न्यूनतम दर 10 फीसदी है। ट्रम्प की इस घोषणा को उनकी प्रमुख आर्थिक नीति से पीछे न हटने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
डॉलर इंडेक्स 97.8 अंक यानी 0.2 फीसदी की बढ़त के साथ 24 जून के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। डॉलर इंडेक्स 97.73 पर कारोबार कर रहा था जो दो हफ्तों से ज्यादा का उच्चतम स्तर है। सोना 0.9 फीसदी की बढ़त के साथ 3,354 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। व्यापार टकराव में यह नई वृद्धि ऐसे समय हुई है जब भारतीय शेयरों में तेजी आ रही थी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, व्यापार वार्ताओं को लेकर अनिश्चितता के कारण बाजारों के एक दायरे में बने रहने की संभावना है। निवेशक अब प्रमुख घरेलू आर्थिक आंकड़ों पर ध्यान देंगे जिनमें सीपीआई और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़े शामिल हैं। साथ ही वे आय के अलावा भारत-अमेरिकी व्यापार समझौते के अपडेट पर भी नजर रखेंगे। जैसे-जैसे नतीजे आते जाएंगे, शेयर विशेष के चलते बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 5,104 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे जो 24 जून 2025 के बाद उनकी सबसे बड़ी एकदिवसीय बिकवाली थी। इसी दौरान घरेलू संस्थान 3,559 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे।
विदेशी निवेशकों की अहम हिस्सेदारी वाले एचडीएफसी बैंक में 1.1 फीसदी की गिरावट आई और उसने सेंसेक्स की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज 1.5 फीसदी टूटा और टीसीएस में 3.5 फीसदी की गिरावट आई। इन दोनों का भी सेंसेक्स की गिरावट में अहम योगदान रहा। कमजोर आय के बीच टीसीएस सेंसेक्स का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर भी रहा। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1.8 फीसदी की गिरावट आई।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, कमाई के सीजन की नरम शुरुआत और अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने की धमकी के कारण भारतीय बाजार गिरकर बंद हुए। निवेशक गिरावट पर खरीदारी की रणनीति के तहत तिमाही आय पर ध्यान लगा सकते हैं। लेकिन निकट भविष्य में मौजूदा प्रीमियम मूल्यांकन और कम खर्च व टैरिफ की अनिश्चितता जैसी वैश्विक बाधाएं नए निवेश को रोक सकती हैं। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और बीएसई पर 2,516 शेयर टूटे जबकि 1,503 में इजाफा हुआ।