पायलट का प्रशिक्षण ले रहे साद बख्शी को शेयर बाजार में निवेश की लत है। वह ज्यादातर शेयरों में निवेश और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में निवेश करते हैं। एक समय वह क्रिप्टो ट्रेडिंग के प्रति आकर्षित हुए थे, मगर अब उसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। भारी नुकसान के डर से 22 वर्षीय बख्शी डेरिवेटिव्स में कारोबार करने से बचते हैं, मगर वह ऑप्शन्स श्रेणी के भाव में रोज हो रहे जबरदस्त उतार-चढ़ाव से चकित हैं। उन्होंने कहा ‘अगर मुझे शेयरों की बेहतर समझ हो गई तो मैं ऑप्शन्स में भी अपनी किस्मत आजमाऊंगा।’
बख्शी ने बताया कि किस प्रकार उनके माता-पिता ने उन्हें पायलट बनाने के लिए बैंक की जमा पूंजी को भी निकाल लिया। उनकी पढ़ाई नियमित नहीं है और इसलिए उनके पास पर्याप्त खाली समय उपलब्ध रहता है। वह अपने खाली समय का उपयोग शेयर बाजार में बड़ा दांव लगाने में करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं शेयर बाजार में दांव इसलिए लगाना चाहता हूं ताकि अपने माता-पिता का ऋण बोझ कम कम कर सकूं और सबसे अहम बात यह है कि इससे जुड़े अपराधबोध को कम कर सकूं।’बेशक, जब वह पूरी तरह पायलट बन जाएंगे तो अच्छी कमाई कर सकेंगे, मगर उसमें अभी काफी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इससे कभी-कभी उन्हें काफी बेचैनी हो जाती है।
विमान में बख्शी की दिलचस्पी उस समय शुरू हुई थी जब उनकी उम्र बमुश्किल 3 साल थी। बचपन में वह विमान के उड़ने की आवाज सुनते ही अपनी बालकनी की ओर दौड़ पड़ते थे। मगर शेयर बाजार में निवेश के प्रति उनका आकर्षण अपेक्षाकृत नया है। वित्तीय बाजार की उनकी कोई पृष्ठभूमि नहीं है और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त करता है। वह उन 5 करोड़ नए निवेशकों शामिल हैं जो कोविड लॉकडाउन के दौरान खाली समय और डीमैट खाता खोलने में आसानी के कारण शेयर बाजार में दांव लगाने के लिए आकर्षित हुए हैं।
बख्शी ने कहा, ‘इसकी शुरुआत खेल-खेल में हो गई। मेरे कई दोस्तों ने भी कोविड महामारी के बाद शेयर और क्रिप्टो में खरीद-फरोख्त के लिए खाते खुलवाए थे।’उन्होंने कहा कि कुछ रुकावटों को छोड़ दिया जाए तो अप्रैल 2020 के बाद शेयरों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में अधिक से अधिक निवेश करने लगे, लेकिन हमने शुरुआत बेहद मामूली रकम के साथ की थी।’
मार्च 2020 में कोविड वैश्विक महामारी के मद्देनजर बाजार में 40 फीसदी की गिरावट के बाद, वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में तेजी से सुधार हुआ। अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को लगभग शून्य किए जाने और क्वांटीटेटिव ईजिंग (क्यूई) कार्यक्रम शुरू किए जाने से बाजार की सुधार को गति मिली। उसका एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में चला गया।
साल 2020 में बाजार का स्वाद चखने के बाद बख्शी और उनके दोस्तों ने शेयर बाजार में लघु अवधि के दांव लगाना शुरू कर दिया। इसके लिए अधिकांश जानकारी वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (अब एक्स) पर चैट के जरिये, कारोबारी चैनलों को देखकर और टेलीग्राम एवं व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिये जुटाते थे।
कुछ ने उन कंपनियों में भी काफी निवेश किया जो शांत दिखती थीं। बख्शी ने बताया कि जब 2021 में कोविड की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी हो गई थी, तो उन्होंने वैसी तमाम कंपनियों में पैसा लगा दिया जिनके नाम में ऑक्सीजन जुड़ा था। चूंकि उनका ऑक्सीजन से कोई लेना-देना नहीं था इसलिए ज्यादातर पैसा डूब गया।
सेंसेक्स कोविड काल 23 मार्च 2020 के निचले स्तर 25,639 अंक से 2.7 गुना बढ़त दर्ज कर चुका है। इस साल सेंसेक्स 72,000 के स्तर को पार कर चुका है और निफ्टी भी 21,000 के पार है।
अगर किसी ने 10 लाख रुपये का निवेश किया होगा तो 22 दिसंबर के बंद भाव के अनुसार उनका निवेश 27 लाख रुपये हो चुका होगा। मिडकैप और स्मॉलकैप श्रेणियों ने भी बख्शी जैसे खुदरा निवेशकों को आकर्षित किया जहां इस साल जबरदस्त बढ़त दर्ज की गई। निफ्टी मिडकैप100 में 43.12 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप100 में 52.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
बख्शी ने बजार में अपने निवेश का खुलासा करने से हिचकिचाते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि मेरा निवेश दोगुना हो गया है। मैंने मुनाफा जरूर कमाया है, मगर वह सेंसेक्स में तेजी अथवा स्मॉलकैप शेयरों में बढ़त के लिहाज से कम है।’
उन्होंने कहा कि शेयरों की तेजी में लिवाली और बिकवाली नहीं की,अन्यथा उनकी कमाई बढ़ सकती थी।
अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच शेयर बाजार में काफी हद तक तेजी का रुख रहा। मगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व एवं अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें बढ़ाए जाने और महामारी के बाद प्रोत्साहन उपायों को वापस लिए जाने से बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगा। पिछले दो वर्षों के दौरान बाजार का रिटर्न कमजोर रहा है जहां सेंसेक्स ने 10 फीसदी से भी कम रिटर्न दिया है। यह उन तमाम नए निवेशकों के लिए वास्तविकता से अवगत होने का समय रहा जिन्होंने यह सोचकर शेयर बाजार में दस्तक दी थी कि जबरदस्त रिटर्न का दौर लगातार जारी रहेगा।
ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि बाजार का रिटर्न अंततः लगभग 12 फीसदी प्रति वर्ष के अपने दीर्घकालिक औसत पर वापस आ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि निवेश को लंबी अवधि के लिए बरकरार रहते हुए यह रिटर्न हासिल किया जा सकता है।