बीएसई के सेंसेक्स और एनएसई के निफ्टी में सितंबर में करीब 4 प्रतिशत की तेजी आई। हालांकि चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात (एडीआर) नकारात्मक रहा। इससे संकेत मिलता है कि गिरने वाले शेयरों की संख्या इस महीने चढ़ने वालों की तुलना में ज्यादा रही। पिछली बार यह अनुपात मई में 1 से नीचे आ गया था। तब बेंचमार्क भी लाल निशान में बंद हुए थे।
बाजार धारणा का लोकप्रिय संकेतक एडीआर यह बताता है कि व्यापक बाजार में कमजोरी का अन्य बड़े सूचकांकों पर पूरा असर नहीं आया है। जहां निफ्टी मिडकैप 100 में 1.85 प्रतिशत की तेजी आई है वहीं निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक 0.3 प्रतिशत तक गिरा जिससे माइक्रोकैप या टॉप-500 से बाहर के शेयरों में कमजोरी का पता चलता है।
विश्लेषकों का मानना है कि इन सेगमेंटों में ऊंचे मूल्यांकन के कारण निवेशकों ने ज्यादा नरम मूल्यांकन वाले क्षेत्रों की ओर रुख किया।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है, ‘गिरावट ज्यादा महंगे स्मॉलकैप और माइक्रोकैप में हो रही है जबकि अच्छी गुणवत्ता के शेयरों में मजबूती बनी हुई है। यह रुझान जारी रहने की संभावना है क्योंकि इन स्तरों पर इनके लिए खरीदार मिलना मुश्किल है।’