टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और आईटी शेयरों में तेज गिरावट के कारण बेंचमार्क सूचकांक आज 1 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दो दिन की की बैठक शुरू होने से पहले निवेशकों में घबराहट के कारण भी बाजार में गिरावट देखी गई।
सेंसेक्स 736 अंक के नुकसान के साथ 72,012 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 238 अंक की गिरावट के साथ 21,9817 पर बंद हुआ। निफ्टी का यह 13 फरवरी के बाद और सेंसेक्स का 14 फरवरी के बाद सबसे निचला बंद स्तर है। आज की गिरावट के बाद सेंसेक्स का इस साल अभी तक का रिटर्न ऋणात्मक हो गया है। निफ्टी मिडकैप 100 में 1.24 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप में 1.2 फीसदी गिरावट आई। बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 4.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 374 लाख करोड़ रुपये रह गया।
बाजार की गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ आईटी शेयरों का रहा। टीसीएस का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा टूट गया और सेंसेक्स तथा निफ्टी को सबसे ज्यादा नुकसान इसी की वजह से हुआ।
टाटा संस द्वारा करीब 9,300 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जाने से टीसीएस में गिरावट आई। टीसीएस का शेयर 4.04 फीसदी गिरकर 3,978 रुपये पर बंद हुआ और बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर टीसीएस के 10,311 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीद-बिक्री हुई।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति की घोषणा भी कल होनी है, जिस पर निवेशकों की निगाहें टिकी हैं। अमेरिका का केंद्रीय बैंक दरों को जस का तस रख सकता है मगर मुद्रास्फीति के आंकड़े अनुमान से ज्यादा रहने के कारण ब्याज दर लंबे अरसे तक ऊंची बनी रहने का डर भी सता रहा है।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि अमेरिकी आर्थिक स्थिति का सबसे ज्यादा असर आईटी शेयरों पर पड़ा है। निफ्टी आईटी सूचकांक करीब 3 फीसदी टूट गया। एचसीएल टेक, विप्रो और एमफैसिस में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हॉलेंड ने कहा, ‘पिछले सप्ताह आईटीसी में बड़ी हिस्सेदारी बेची गई थी और इस सप्ताह टीसीएस में हिस्सा बेचा है। इन बड़े सौदों से बाजार में तरलता कम हो जाती है। अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती पर जारी बहस की दिशा भी बदल गई थी। हाल के आर्थिक आंकड़ों को देखकर फेडरल रिज़र्व का रुख अधिक सतर्क हो सकता है। तेल एवं अन्य जिंसों के दाम नहीं बढ़ रहे हैं जो कुछ कंपनियों के लिए नागवार बात है।’
इस बीच बैंक ऑफ जापान ने पिछले 17 वर्षों में पहली बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं। हॉलैंड ने कहा कि ज्यादातर लोगों को पहले ही लग रहा था कि बैंक ऑफ जापान दरें बढ़ाएगा मगर उसने आगे के लिए अपना रुख नरम ही रखा है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगले महीने से आने वाले कंपनियों के वित्तीय नतीजे और चुनाव से जुड़ी खबरें कुछ समय तक बाजार की दिशा तय करेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘हमें लगता है कि बाजार का मिजाज गंभीर रहेगा क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर सबकी निगाहें होंगी। माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व अपने रुख में कोई बदलाव नहीं करेगा मगर इसकी टिप्पणी जरूर मायने रखेगी क्योंकि भविष्य में दरों पर रुख का काफी संकेत इसी से मिलेगा।’