Stock Market: भारतीय शेयर बाजार का पिछले कुछ समय से एक दायरे में है। निवेशक एक अच्छा रिटर्न बनाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी50 और सेंसेक्स पिछले एक साल से अपने ऑल टाइम हाई के लेवल को पार करने के लिए जूझ रहे हैं। यह हालात तब जब घरेलू मोर्चे पर जीएसटी रिफॉर्म्स, बेहतर जीडीपी ग्रोथ, इनकम टैक्स रेशनलाइजेशन जैसे कई बड़े नीतिगत रिफॉर्म्स हुए। इसके बावजूद बाजार में वो रैली नहीं देखने को मिली है, जिसका सब अनुमान लगा रहे थे। ऐसे में निवेशकों का यह सवाल लाजमी है कि बाजार रफ्तार क्यों नहीं पकड़ रहा है। अमेरिकी टैरिफ और जियोपोलिटिकल टेंशन ने हालांकि चिंता जरूर पैदा की है लेकिन उसका बड़ा असर अभी तक देखने को नहीं मिला है।
ऑटो और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे चुनिंदा सेक्टर और स्टॉक्स को छोड़कर अन्य सेक्टर्स की चाल मोटे तौर पर सपाट या नेगेटिव रही है। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स में एक साल में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स 5 सितंबर 2024 को 63,742 पर था जबकि शुक्रवार (5 सितंबर) को यह 56,292 पर था।
बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) एक साल यानी 5 सितंबर 2024 को 82,201 के लेवल पर था। जबकि 5 सितंबर 2025 को सेंसेक्स 80,710 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी50 (Nifty50) का भी लगभग यही हाल है। यह पिछले साल इसी दिन 25,145 के लेवल पर था जबकि शुक्रवार (5 सितंबर) को यह 24,741 पर बंद हुआ।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर पुनीत सिंघानिया का मानना है कि भारतीय बाजार की सतर्क प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि निवेशक फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी कटौती से भले ही थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन इसका वास्तविक असर आने वाले समय में ही नजर आएगा कि यह ग्रोथ को कैसे प्रभावित करता है। वहीं, टैरिफ से जुड़ी नई नीतियों के लागू होने से अनिश्चितता और बढ़ गई है। इससे निवेशक ओवरऑल आउटलुक को लेकर अभी भी सतर्क बने हुए हैं।
वहीं, वीटी मार्केट्स में ग्लोबल स्ट्रेटेजी लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा कि भारतीय बाजार बाहरी और घरेलू चुनौतियों के कारण अन्य एशियाई बाजारों से पीछे रह गए हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस साल भारी बिकवाली की है। फाइनेंशियल सेक्टर्स से रिकॉर्ड निकासी हुई है। कई वैश्विक फंड अपने निवेश को सस्ते बाजारों जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन की ओर शिफ्ट कर रहे हैं, जो बेहतर मूल्यांकन और उच्च-वृद्धि वाले क्षेत्रों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में एक्सपोजर प्रदान करते हैं। ये ऐसे अवसर हैं जो कई भारतीय इक्विटीज़ से छूट रहे हैं।
एनएसई निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स लगातार 9वें साल चढ़ने के साथ 2024 के अंतिम तीन-चार महीनों में भारी गिरावट के बावजूद क्रमश: 8.80% और सेंसेक्स 8.17% चढ़कर बंद हुए थे। वहीं, 2025 के 8 महीनों यानी 1 जनवरी से 30 अगस्त तक सेंसेक्स में 1302 अंक या 1.66% की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इस दौरान निफ्टी50 तेजी देखने को मिली है। 1 जनवरी से अब तक निफ्टी50 में 995 अंक की वृद्धि हुई है, जो लगभग 4.19% की बढ़ोतरी है।
अवधि | इंडेक्स | अंक में बदलाव | प्रतिशत बदलाव (%) |
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1 जनवरी – 30 अगस्त 2025 | Sensex | 1302 | 1.66% |
1 जनवरी – 30 अगस्त 2025 | Nifty 50 | 995 | 4.19% |
मंथली बेसिस पर दोनों इंडेक्स अगस्त में 1 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ बंद हुए। यह लगातार दूसरा महीना है जब बाजार मासिक आधार पर गिरावट में रहे। टैरिफ संबंधी टेंशन और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के कारण विदेशी निवेशकों (FIIs) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 3.3 अरब डॉलर ( करीब ₹29 हजार करोड़) की निकासी की है। यह फरवरी के बाद से विदेशी निवेशकों की भारतीय इक्विटी बाजारों से सबसे बड़ी निकासी है।
अमेरिका के भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50% टैरिफ पर रॉस मैक्सवेल ने कहा कि इसने दबाव बढ़ा दिया है। इससे भारत के निर्यात की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा है। हालांकि देश की जीडीपी ग्रोथ मजबूत बनी हुई है, लेकिन कॉरपोरेट कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर रहे हैं और रेवेन्यू ग्रोथ कई तिमाहियों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसके साथ ही भारतीय बाजारों में ऊंचे वैल्यूएशन की वजह से, जब कमाई की रफ्तार धीमी हो, तो भारत क्षेत्रीय देशों की तुलना में कम आकर्षक दिखाई देता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि भारत की डॉमेस्टिक पॉलिसी समर्थन अस्थायी रूप से वैश्विक कारकों जैसे टैरिफ अस्थिरता और अन्य वजहों से प्रभावित हो सकती है, जो बाजार के सेंटीमेंट्स भावना पर असर डाल सकती है। हालांकि, रिकॉर्ड जीडीपी ग्रोथ, जीएसटी जैसे स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स और सरकार की निरंतर नीतिगत पहलों के समर्थन से भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगातार मजबूती और लचीलापन दिखाया है। भारत की घरेलू ताकतें बाहरी प्रभाव को सीमित कर सकती हैं और हमारी अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में मदद करेंगी।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त तेजी के बाद भारतीय बाजार में शेयरों के दाम काफी महंगे हो गए थे। इससे बाजार में एक कंसोलिडेशन की स्थिति बनी। वर्तमान में बाजार एक ठहराव के दौर में प्रतीत हो रहा है। आगे की तेजी मुख्य रूप से कंपनियों के तिमाही नतीजे और आने वाले तिमाहियों में वृद्धि की संभावनाओं पर निर्भर करेगी।
जीएसटी स्लैब में उम्मीद से अधिक कटौती के बावजूद बाजार में जोरदार तेजी देखने को नहीं मिली। जीएसटी रिफॉर्म्स के ऐलान के बाद बाजार ने गुरुवार को भले ही जोरदार शुरुआत की लेकिन अंत में मामूली बढ़त में बंद हुए।
एक्सपर्ट के अनुसार, हाल ही में जीएसटी स्लैब में कटौती और आयकर में छूट निश्चित रूप से बाजार के लिए सकारात्मक कारक हैं। लेकिन, निवेशक फिलहाल सतर्क रवैया अपनाए हुए हैं। खासकर क्योंकि बाजार के कई सेक्टरों में वैल्यूएशन पहले से ही काफी ऊंचे स्तर पर हैं। समय के साथ, जीएसटी सुधार और कर छूट टैरिफ से जुड़ी कुछ चिंताओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि असली बाजार की संभावनाएं आने वाले समय में आर्थिक ग्रोथ की गति पर निर्भर करेंगी।