देसी इक्विटी बेंचमार्क में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट दर्ज हुई, जो 15 महीने में साप्ताहिक गिरावट की उनकी सबसे लंबी अवधि है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जीरोम पॉवेल के भाषण से पहले ज्यादातर वैश्विक बाजार शुक्रवार को सतर्क रहे। देश में महंगाई को लेकर फिर से पैदा हुई चिंता ने जोखिम से दूर रहने वाले सेंटिमेंट में इजाफा किया। सेंसेक्स 336 अंक टूटकर 64,886 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 121 अंकों की गिरावट के साथ 19,266 पर टिका।
इस हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 0.1 फीसदी व 0.2 फीसदी की गिरावट आई, जो मई 2022 के बाद गिरावट की सबसे लंबी साप्ताहिक अवधि है। इससे पहले अप्रैल 2020 में सेंसक्स व निफ्टी लगातार सात हफ्तों तक टूटता रहा था।
भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत बैठक के मिनट्स में अल्पावधि के दौरान महंगाई को लेकर जोखिम सामने आने के बाद निवेशकों का सेंटिमेंट खराब हुआ। ये मिनट्स गुरुवार को बाजार बंद होने के बाद जारी हुए थे।
मिनट्स में आरबीआई ने कहा है कि मुख्य महंगाई में बढ़त आगामी हफ्तों में जारी रह सकती है, जिसकी वजह प्रतिकूल मौसम हालात के कारण आपूर्ति में पैदा हुआ अवरोध है। केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के असर और भूराजनीतिक कारणों से वैश्विक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव से हमारे लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, आबीआई की बैठक के मिनट्स में बढ़ती मंहगाई और अतिरिक्त नकदी के परिदृश्य को लेकर चिंता जताए जाने से देसी बाजार दबाव में आ गए।
साथ ही फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जीरोम पॉवेल के भाषण से पहले निवेशक सतर्क नजर आए। हमें लगता है कि सकारात्मक संकेतों के अभाव में निफ्टी सीमित दायरे में रहेगा। इस बीच, मिड व स्मॉलकैप के उम्दा क्षेत्रों में हलचल बनी रहेगी।
सप्ताह के पहले तीन कारोबारी सत्रों में इक्विटी में इजाफा हुआ, लेकिन आखिरी दो सत्रों में इसने पूरी बढ़त गंवा दी। विश्लेषकों ने कहा कि अल्पावधि में और बिकवाली हो सकती है, जो देश-विदेश में केंद्रीय बैंकरों के रुख पर निर्भर करेगी।
इस बीच, चीन ने अपनी मॉर्गेज नीति में ढील दी है और इस तरह से अपनी बीमार अर्थव्यवस्था को सुदारने के लिए एक और कोशिश की है। हालांकि ये कदम इक्विटी बाजारों को उत्साहित करने में नाकाम रहे।
रेलिगेयर सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, निफ्टी ने शुक्रवार को अल्पावधि के मूविंग एवरेज 50 ईएमए के अहम समर्थन स्तर को तोड़ दिया है, जो बताता है कि नकारात्मक रुख बना रहेगा। हम 19,100 के अगले समर्थन स्तर पर नजर रखे हुए हैं। हालांकि क्षेत्रीय मोर्चे पर मिश्रित रुख हमें ट्रेड का मौका दोनों तरफ से मुहैया कराता रहेगा, ऐसे में इसी के मुताबिक ट्रेड की योजना बनाई जानी चाहिए।
हालांकि पिछले पांच हफ्तों में गिरावट के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि एशिया में भारत सबसे ज्यादा स्थिर बना रहेगा, जिसकी वजह ठोस फंडामेंटल और मजबूत निवेश है।
बीएनपी पारिबा ने एक नोट में कहा है, हमें लगता है कि दूसरी व तीसरी तिमाही में अब तक भारत का उम्दा प्रदर्शन मजबूत अर्थव्यवस्था और कंपनियों के राजस्व में वृद्धि, निवेश में नीतिगत कदमों के चलते रिकवरी, वैश्विक आपूर्ति शृंखला के कारण विनिर्माण में इजाफे की उम्मीद के अलावा शेयर बाजार की नकदी में मजबूत देसी प्रवाह के कारण स्थिरता की वजह से रहा है। मूल्यांकन महंगा बना हुआ है, लेकिन सापेक्षिक जोखिम का अभाव उन्हें अभी टिकाए रखेगा।
सेंसेक्स के करीब 80 फीसदी शेयर टूटे। एचडीएफसी बैंक में 1.07 फीसदी की गिरावट आई जबकि आईटीसी 1.53 फीसदी गिरा। दोनों का योगदान सेंसेक्स को नीचे लाने में अहम रहा। कैपिटल गुड्स के शेयर सबसे ज्यादा टूटे और बीएसई पर कैपिटल गुड्स इंडेक्स 1.3 फीसदी गिरा।