आईटी दिग्गजों में कमजोरी और दरों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच सोमवार को लगातार सातवें कारोबारी सत्र में भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में गिरावट दर्ज हुई। सितंबर 2022 के बाद सेंसेक्स में गिरावट का यह सबसे लंबा दौर है। कारोबारी सत्र के दौरान इंडेक्स में 537 अंकों की गिरावट आई थी, लेकिन अंत में यह नुकसान की कुछ भरपाई करते हुए 175 अंक टूटकर 59,288 पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी 73 अंक यानी 0.4 फीसदी टूटकर 17,392 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र में निफ्टी 200 दिन के मूविंग एवरेज (डीएमए) से नीचे चला गया था, जो अंत में इससे ऊपर बंद होने में कामयाब रहा।
विश्लेषकों ने कहा, निवेशकों को लग रहा है कि केंद्रीय बैंक की नीतियां बाजारों की उम्मीद से ज्यादा लंबे समय तक आक्रामक रह सकती हैं।
आईटी शेयरों की कमजोरी ने इंडेक्स के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान दिया। इन्फोसिस में 2.7 फीसदी की गिरावट आई जबकि टीसीएस 2 फीसदी टूटा और सेंसेक्स के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान किया। अदाणी पोर्ट्स को छोड़कर अदाणी समूह के सभी शेयरों में गिरावट आई और समूह का बाजार पूंजीकरण (mcap) 34,000 करोड़ रुपये घटा। मुख्य कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में सबसे ज्यादा 9.2 फीसदी की गिरावट आई।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 2,593 शेयर टूटे जबकि 956 में बढ़त दर्ज हुई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 2,022 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, आईटी, धातु और वाहन दिग्गजों पर दबाव ने नकारात्मक रुख बनाए रखा, हालांकि बैंकिंग शेयरों में मजबूती से क्षति सीमित हो गई। साथ ही व्यापक सूचकांकों में नई गिरावट से अवधारणा कमजोर हुई। इसके अलावा अमेरिकी बाजारों में कमजोरी निराशावाद में इजाफा कर रहा है।