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विदेशी निवेशकों की बिकवाली से Sensex और Nifty में गिरावट, FPI ने 8,300 करोड़ रुपये के शेयर बेचे

Stock Market Today: ईरान के तेल संयंत्रों पर इजरायली हमले की आशंका और होर्मुज स्ट्रेट में बाधा के डर से पिछले सात दिनों से कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है।

Last Updated- October 07, 2024 | 10:31 PM IST
Drop in Block deal: Decrease in wholesale deals due to market decline, falling to 6 month low in November बाजार में गिरावट से थोक सौदों में आई कमी, नवंबर में 6 महीने के निचले स्तर पर आया

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली के झटके से बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी आज लगातार छठे सत्र में लुढ़क गए। कंपनियों की आय में धीमी वृद्धि की आशंका और अमेरिकी फेड द्वारा दर कटौती की गति पर चिंता ने भी निवेशकों की परेशानी बढ़ा दी है। इतना काफी नहीं था तो इजरायल-ईरान संघर्ष के साथ विदेशी निवेशकों ने भी गिरावट बढ़ाई, जो भारतीय बाजार से निवेश निकालकर चीन के बाजार में डाल रहे हैं।

सेंसेक्स 639 अंक की गिरावट के साथ 81,050 पर बंद हुआ। निफ्टी 219 अंक नीचे 24,796 पर बंद हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण आज 8.9 लाख करोड़ रुपये घटकर 452 लाख करोड़ रुपये रह गया। पिछले 6 कारोबारी सत्र में निफ्टी 5.4 फीसदी और सेंसेक्स 5.6 फीसदी लुढ़क चुका है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 3,493 शेयर नुकसान में और 568 लाभ में बंद हुए। निफ्टी मिडकैप में 2 फीसदी और स्मॉलकैप में 2.75 फीसदी की गिरावट आई।

एफपीआई ने आज करीब 8,300 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इस महीने अभी तक उन्होंने बाजार से तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। देसी संस्थागत निवेशकों ने आज 13,245 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जो एक दिन में उनकी सबसे बड़ी लिवाली है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैं​शियल सर्विसेज ने एक नोट में अनुमान लगाया है कि सितंबर तिमाही के अंत में निफ्टी की आय 2 फीसदी बढ़ सकती है, जो 17 तिमाही में सबसे कम वृद्धि है। खबर हैं कि सीएलएसए ने भारत में निवेश घटा दिया है और चीन में निवेश तथा भार बढ़ाया है। इन खबरों ने भी निवेशकों का हौसला कुंद कर दिया।

अमेरिका में पिछले हफ्ते रोजगार के अच्छे आंकड़े आए, जिससे नवंबर में दरें ज्यादा घटने की उम्मीद धूमिल हो गई है। 10 साल मियाद वाले अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4 फीसदी पहुंच गई, जो 31 जुलाई के बाद सबसे अ​धिक है। पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा था कि अगर आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि में आई सुस्ती कम हुई है तो दरों में कटौती की रफ्तार भी घट जाएगी।

नए आंकड़े अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी की चिंता दूर कर रहे हैं, जिनके कारण निफ्टी आईटी 0.6 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। आईटी फर्मों की आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से ही आता है।

अवेंडस कैपिटल प​ब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘अमेरिका में रोजगार के आंकड़े मजबूत हैं। कुछ हफ्ते पहले लग रहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक दर में कटौती कर सकता है मगर अब इसकी संभावना नहीं है। कुछ हफ्ते पहले तक तरलता अच्छी दिख रही थी लेकिन ​कंपनियों के नतीजे नरम रहे तो शेयरों का मूल्यांकन भी कम हो सकता है।’

भारत से निवेश निकलकर चीनी बाजार में जाने के कारण भी निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। चीन में सरकार के प्रोत्साहनों की घोषणा और शेयरों के भाव नीचे होने के कारण निवेशक अब वहां का रुख कर रहे हैं। मगर बाजार के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजारों में तेजी थोड़े समय में थम सकती है।

येस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा, ‘2020 से चीन के बाजार में औसतन दो महीने बढ़त दिखती है और उसके बाद बाजार गिरना शुरू हो जाते हैं। भारत की बात करें तो सितंबर तिमाही में कंपनियों की आय नरम रह सकती है मगर वित्त और कुछ अन्य क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है। ऊर्जा और सीमेंट क्षेत्र में नरमी देखी जा सकती है।’

इस बीच ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। 16 अगस्त, 2024 के बाद कच्चा तेल पहली बार वहां तक पहुंचा है। ईरान के तेल संयंत्रों पर इजरायली हमले की आशंका और होर्मुज स्ट्रेट में बाधा के डर से पिछले सात दिनों से कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है।

First Published - October 7, 2024 | 10:28 PM IST

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