भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) फ्रेमवर्क के तहत शुरू किए जाने वाले लार्ज वैल्यू फंड्स (LVFs) के लिए न्यूनतम निवेश सीमा घटाने का प्रस्ताव दिया है। फिलहाल लार्ज वैल्यू फंड्स AIFs के लिए न्यूनतम सीमा ₹70 करोड़ है, जिसे सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया पूरी होने के बाद घटाकर ₹25 करोड़ किया जा सकता है। इसका मकसद निवेशकों की संख्या बढ़ाना है। साथ ही, घरेलू संस्थानों की भागीदारी को बढ़ावा देना है, जिनके पास एक ही फंड में ज्यादा निवेश करने की पूरी तरह से आजादी नहीं होती है।
सेबी की इस पहल का उद्देश्य इन LVF AIFs को, विशेष रूप से घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए, और ज्यादा सरल और आकर्षक बनाना है। साथ ही, इसमें मान्यता प्राप्त निवेशकों से जुड़ी जरूरतों को भी बनाए रखा जाएगा।
LVFs ऐसे स्कीम होते हैं, जिनमें हर निवेशक एक मान्यता प्राप्त निवेशक होता है और फिलहाल कम से कम ₹70 करोड़ का निवेश करता है। 30 जून तक ऐसी 62 LVF स्कीमें मौजूद थीं, जिनमें ₹1.34 लाख करोड़ से ज्यादा की प्रतिबद्धताएं थीं। इन स्कीमों ने करीब ₹60,000 करोड़ का निवेश किया है।
सेबी को उद्योग से मिली प्रतिक्रिया में यह बात सामने आई कि मौजूदा ऊंची सीमा और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के मुकाबले नियमों में असंगतियां एक चुनौती हैं। PMS में LVF की सीमा ₹10 करोड़ तय है।
उदाहरण के तौर पर, घरेलू बीमा कंपनियों को नियामकीय नियमों के तहत सीमित निवेश की अनुमति मिलती है। सीमा घटाने से ज्यादा बीमा कंपनियां LVF उत्पादों में निवेश कर सकेंगी।
मान्यता प्राप्त निवेशकों को वित्तीय रूप से समझदार माना जाता है और वे विशेषज्ञ सलाहकार रखने में सक्षम होते हैं। इसी वजह से उन्हें कुछ अनुपालन और निगरानी से जुड़ी आवश्यकताओं से छूट दी जाती है।
ये प्रस्ताव सेबी की ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस वर्किंग ग्रुप’ और ‘अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट पॉलिसी एडवाइजरी कमेटी’ की सिफारिशों के बाद लाए गए हैं। दोनों ने LVFs के लिए प्रवेश की बाधाएं कम करने और अनुपालन के नियम आसान बनाने की वकालत की है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर जनता से 29 अगस्त तक सुझाव मांगे हैं।