अगस्त में छह महीने के निचले स्तर को छूने के बाद चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात (एडीआर) सितंबर में बढ़कर 1.05 पर पहुंच गया जो पिछले महीने 0.94 रहा था। चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात एक तय अवधि में चढ़ने वाले शेयरों की तुलना गिरने वाले शेयरों से करता है।
यह अनुपात एक से ऊपर होने से संकेत मिलता है कि गिरने वाले शेयरों के मुकाबले चढ़ने वाले शेयरों की संख्या ज्यादा है। बाजार के विश्लेषकों ने कहा कि सितंबर की तेजी शुरू में भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते और वस्तु एवं सेवा कर में कमी के आशावाद के चलते थी। हालांकि माह के दूसरे हिस्से में मनोबल सतर्कता भरा हो गया।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, एच-1बी वीज़ा का मसला फिर से उभर आया है, जिससे व्यापार विवाद के शीघ्र समाधान की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। आगे चलकर बाजार की व्यापकता कम होने की संभावना है क्योंकि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार में जारी उत्साह सेकंडरी बाज़ार में तरलता कम कर सकता है।
पिछले 12 महीनों में से छह महीनों में एडीआर 1 से नीचे रहा है, जिससे लगातार अस्थिरता का पता चलता है। एंबिट कैपिटल ने हालिया नोट में बताया कि सितंबर 2024 से शेयर बाजार में संकेंद्रण बढ़ रहा है और आय वृद्धि में ध्रुवीकरण रिटर्न के ध्रुवीकरण में भी तब्दील हो रहा है।
नोट में कहा गया है, 2025-26 की पहली तिमाही के नतीजों का सीजन कमजोर रहा। इसमें सभी इक्विटी समूहों में आय वृद्धि सामान्य रही। पिछली तिमाहियों में भी वृद्धि की अगुआई कुछ ही शेयरों ने की थी। 25 फीसदी से अधिक की असाधारण वृद्धि दर्ज करने वाली एनएसई 500 कंपनियों का हिस्सा महामारी के बाद से सबसे कम रहा। सकारात्मक आय के साथ चौंका देने वाले शेयरों का अनुपात इसी अवधि में दूसरा सबसे निचला आंकड़ा था। मुनाफे में ध्रुवीकरण ने रिटर्न में भी ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया है।