अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप | फाइल फोटो
अमेरिका की ट्रंप सरकार एक नई योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस योजना के तहत, बिना परिवार के अमेरिका आए नाबालिग प्रवासियों को 2500 डॉलर देकर उनके देश वापस भेजा जाएगा। यह जानकारी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (HHS) ने दी है। यह योजना पहले 17 साल के बच्चों के लिए शुरू होगी। पैसा तब दिया जाएगा, जब कोई इमिग्रेशन जज बच्चे की वापसी की मंजूरी देगा और वह अपने देश सुरक्षित पहुंच जाएगा।
HHS के मुताबिक, यह योजना उन बच्चों के लिए है जो अकेले अमेरिका आए हैं। इसका मकसद बच्चों को अपनी मर्जी से अपने भविष्य का फैसला करने का मौका देना है। अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। बच्चे अपनी इच्छा से अपने देश लौटने का फैसला कर सकते हैं।
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इस योजना को लेकर बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन और वकील चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह योजना बाद में 17 साल से कम उम्र के बच्चों, जैसे 14 साल के बच्चों तक भी पहुंच सकती है। आलोचकों का मानना है कि इससे बच्चों पर शरण या दूसरी कानूनी सुरक्षा छोड़ने का दबाव पड़ सकता है। इससे बच्चों को नाबालिग होने की वजह से मिलने वाली कानूनी सुरक्षा भी कम हो सकती है।
किड्स इन नीड ऑफ डिफेंस नाम के संगठन की प्रमुख वेंडी यंग ने इसे सत्ता का गलत इस्तेमाल बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना बच्चों की सुरक्षा के लिए बने कानूनों को कमजोर करती है। अमेरिका ने हमेशा कमजोर बच्चों को हिंसा, तस्करी, शोषण और उत्पीड़न से बचाने का वादा किया है। वेंडी ने मांग की है कि गृह सुरक्षा विभाग इस योजना को तुरंत रोके।
अमेरिकी कानून में नाबालिग प्रवासियों को बड़ों की तुलना में ज्यादा सुरक्षा मिलती है। कई दशक पुराने एक कोर्ट समझौते के तहत बच्चों को हिरासत में रखने की सीमाएं हैं। जहां बड़ों को कानूनी मदद की गारंटी नहीं होती, वहीं नाबालिग बच्चे अक्सर बिना वकील के ही इमिग्रेशन प्रक्रिया का सामना करते हैं। अगस्त तक HHS के पास लगभग 2000 अकेले आए नाबालिग बच्चे थे, जो ऑफिस ऑफ रिफ्यूजी रिसेटलमेंट की देखरेख में हैं।