पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये रकम जुटाने की गतिविधियां साल 2025 के पहले पांच महीने में सुस्त रहने के बाद जून में बहाल हो गईं। दूसरी छमाही में यह गतिविधि मजबूत रह सकती है। बाजार के फिर से तेज होने के कारण कंपनियों को बड़े इश्यू के लिए अनुकूल मूल्यांकन मिल गए हैं और नकदी भी पर्याप्त है।
2025 के पहले पांच महीनों में 13 कंपनियों ने क्यूआईपी से 15,408 करोड़ रुपये जुटाए जबकि 2024 के पहले पांच महीनों में 30 कंपनियों ने इसके जरिये 29,518 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस साल जून में 7 कंपनियों ने 14,085 करोड़ रुपये जुटाए। जून 2024 में सात कंपनियों ने क्यूआईपी से कुल मिलाकर 3,009 करोड़ रुपये जुटाए थे।
2025 में अब तक 22 कंपनियों ने 30,535 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस साल अब तक का सबसे बड़ा क्यूआईपी बायोकॉन का था जो 4,500 करोड़ रुपये का था। उसके बाद सीजी पावर ऐंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस का स्थान है, जिसने 3,000 करोड़ रुपये और हिताची एनर्जी इंडिया ने 2,521 करोड़ रुपये का क्यूआईपी पेश किया। भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी ने इससे 2,006 करोड़ रुपये जुटाए। यूको बैंक और कैप्री ग्लोबल ने 2,000-2,000 करोड़ रुपये जुटाए।
एचएसबीसी इंडिया के सह-प्रमुख (निवेश बैंकिंग) रणवीर दावड़ा ने कहा, क्यूआईपी का आकर्षण बढ़ रहा है क्योंकि कंपनियां वृद्धि के लिए पूंजीगत व्यय पर ध्यान दे रही हैं, खासकर वित्तीय, औद्योगिक और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में। हमारा मानना है कि क्यूआईपी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नई पूंजी जुटाने का सबसे कारगर तरीका बना रहेगा। सेबी का कीमत निर्धारण फॉर्मूला और इससे मिलने वाले लचीलेपन, खासतौर पर विभिन्न प्रकार के साधन जारी करने की क्षमता, के कारण क्यूआईपी नई पूंजी जुटाने के सबसे आकर्षक तरीकों में से एक है।
दावड़ा ने कहा कि यह रकम पूंजीगत व्यय, विलय और अधिग्रहण के लिए जुटाई जा रही है और भारतीय आर्थिक हालात में सुधार के साथ बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए भी ऐसा किया जा रहा है। बैंकरों ने जनवरी और फरवरी में क्यूआईपी में नरमी के लिए इक्विटी बाजार में व्यापक बिकवाली को कारण बताया जबकि उनकी राय में अप्रैल और मई में कमी की वजह मार्च तिमाही के आंकड़ों का अपडेशन रही।
सेंट्रम कैपिटल में पार्टनर (निवेश बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, कागजी कार्रवाई में समय लगता है और मांग के आकलन में भी। निवेशक क्यूआईपी के लिए किसी भी कीमत प्रतिबद्धता से पहले मार्च के आंकड़ों का इंतजार करेंगे और ये आंकड़े अप्रैल-मई तक आए होंगे।
क्यूआईपी रकम जुटाने का एक ऐसा जरिया है जिसमें एक कंपनी चुनिंदा निवेशकों को मौजूदा बाजार दर से कम कीमत पर नए शेयर जारी करती है। सस्ता और समय पर हो जाने के कारण यह फॉलो अप कैपिटल जुटाने का पसंदीदा तरीका है।
साल की बाकी अवधि के लिए क्यूआईपी के प्रस्ताव मजबूत दिख रहे हैं। 2025 में अब तक लगभग 151 कंपनियों को क्यूआईपी के लिए बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है। एक दर्जन से ज्यादा सेक्टरों की कंपनियां धन जुटाने पर विचार कर रही हैं। हालांकि इस सूची में बैंक और वित्तीय सेवा कंपनियां सबसे आगे हैं। एसबीआई ने बुधवार को अपना 25,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी शुरू किया, जो अब तक का सबसे बड़ा निर्गम है।
श्रीवास्तव ने कहा, कंपनियां मंजूरियां तैयार रखना चाहती हैं ताकि मांग आने पर समय बर्बाद न हो।