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NSE IPO: एनएसई और सेबी के बीच ऐतिहासिक समझौता, आईपीओ को मिल सकती है रफ्तार

एनएसई ने इससे पहले साल 2019 में आर्थिक दंड की कार्रवाई के तहत सेबी के पास 1,108 करोड़ रुपये जमा कराए थे। सूत्रों ने कहा कि करीब 1,000 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में पड़े हुए हैं

Last Updated- June 25, 2025 | 10:41 PM IST
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NSE IPO: नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) काफी समय से लंबित कोलोकेशन और डार्क फाइबर मामला बाजार नियामक सेबी के साथ 1,388 करोड़ रुपये में निपटाने पर सहमत हो गया है। एनएसई के इस कदम को उसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए अहम माना जा रहा है। यह निपटान का अब तक का सबसे बड़ा और एनएसई का दूसरा मामला है जिससे उसकी बहुप्रतीक्षित सूचीबद्धता की बड़ी बाधा दूर होती है।

एक्सचेंज ने सेबी के पास 20 जून को निपटान आवेदन जमा कराया है। एक सूत्र ने कहा, निपटान राशि सेबी के नियमों के अनुरूप है और इसे जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है जिससे आईपीओ प्रक्रिया में तेजी आएगी। एक्सचेंज ने इस वित्त वर्ष में आईपीओ लाने पर ध्यान दिया है। इस बारे में सेबी और एनएसई को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

एनएसई अपने आईपीओ का मसौदा आगे बढ़ाने के लिए सेबी से अनापत्ति प्रमाण पत्र का इंतजार कर रहा है। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने हाल में संभावित निपटारे का संकेत देते हुए कहा है कि आईपीओ के लिए अब कोई और बाधा नहीं बची है।

कोलोकेशन का मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय के पास लंबित है। यह उन आरोपों से जुड़ा है कि कुछ ब्रोकरों को 2015 और 2016 के बीच एनएसई के सर्वर तक तरजीही पहुंच मिली थी। अगर सेबी इस समझौते को मंजूरी दे देता है तो उसे अपनी अपील वापस लेने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर करना होगा।

जनवरी 2023 में प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने मामले में गैर-मौद्रिक दंड बरकरार रखा था, लेकिन अवैध कमाई वापस करने के आदेश को खारिज कर दिया और इसके बजाय ड्यू डिलिजेंस में चूक के लिए एनएसई पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। उसी साल बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सेबी को आदेश दिया कि मामले से संबंधित 300 करोड़ रुपये वह एनएसई को वापस लौटाए।

एनएसई ने इससे पहले साल 2019 में आर्थिक दंड की कार्रवाई के तहत सेबी के पास 1,108 करोड़ रुपये जमा कराए थे। सूत्रों ने कहा कि करीब 1,000 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में पड़े हुए हैं।

अक्टूबर 2023 में एनएसई के पूर्व सीईओ विक्रम लिमये और आठ अन्य ने ट्रेडिंग एक्सेस पॉइंट्स (टीएपी) के दुरुपयोग से जुड़े एक अलग मामले को 643 करोड़ रुपये में सुलझा लिया था। सेबी ने ओपीजी सिक्योरिटीज के साथ मिलीभगत के अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए कोलोकेशन मामले में एनएसई और पूर्व अधिकारियों के खिलाफ भी आरोप हटा दिए थे।

पिछले एक साल में एनएसई के गैर-सूचीबद्ध शेयरों में 87 फीसदी की उछाल आई है। यह शेयर अभी 2,325 रुपये पर कारोबार कर रहा है जिससे निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी पता चलती है। देश के सबसे बड़े शेयर बाजार का मूल्यांकन अभी करीब 6 लाख करोड़ रुपये है, जो कई सूचीबद्ध फर्मों के मूल्यांकन के आगे बहुत कम लगता है।

आईएमसी टास्क फोर्स ऑन कैपिटल मार्केट्स के चेयरमैन और एमसीक्यूब में मैनेजिंग पार्टनर मृगांक परांजपे ने कहा, बाजार के नजरिए से इस समाधान से बहुत जरूरी स्पष्टता मिलती है और इससे एनएसई के गवर्नेंस और अनुपालन को प्राथमिकता देने के इरादे का पता चलता है। यह मसला पीछे छूट जाने के बाद एक्सचेंज के लिए अब सार्वजनिक सूचीबद्धता की ओर बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। ऐसे में एनएसई के मजबूत फंडामेंटल्स और बाजार में दबदबे को देखते हुए निवेशकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ने की संभावना है।

सेबी ने पहले भी क्लियरिंग कॉरपोरेशनों की स्वतंत्रता पर चिंता जताई है, जिसमें वाणिज्यिक प्राथमिकताओं के ऊपर सार्वजनिक हित पर जोर दिया गया है। एक कार्यसमूह अब स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए शुल्क ढांचे की समीक्षा कर रहा है।

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज बीएसई या मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज (एमएसईआई) पर सूचीबद्धता की संभावना तलाश सकता है क्योंकि सेबी के नियमों के तहत फिलहाल खुद के एक्सचेंज पर सूचीबद्धता पर रोक है। देश का एकमात्र सूचीबद्ध इक्विटी एक्सचेंज बीएसई विशेष रूप से एनएसई पर सूचीबद्ध है।

अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञ उदय तारडालकर ने कहा, सेबी के नियमों के तहत भारत में स्टॉक एक्सचेंजों को हितों के टकराव से बचाने और नियामीयक निष्ठा सुनिश्चित करने के लिए अपने यहीं पर सूचीबद्ध होने की अनुमति नहीं है। इसलिए एनएसई अपने ही प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध नहीं हो सकता और उसे बीएसई या एमएसईआई जैसे प्रतिस्पर्धी एक्सचेंज पर सूचीबद्धता करानी होगी।

First Published - June 25, 2025 | 10:40 PM IST

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