पिछले सप्ताह अमेरिकी सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग ‘एएए’ से घटाकर ‘एए1’ पर लाने की मूडीज की घोषणा के बाद सोमवार को भारतीय आईटी शेयरों में गिरावट आई और निफ्टी आईटी सूचकांक 1.3 प्रतिशत लुढ़क गया। आईटी सूचकांक में शामिल लगभग सभी शेयर गिरावट का शिकार हुए। एम्फेसिस 2.5 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा गिरा। इसके बाद इन्फोसिस में 1.9 फीसदी और कोफोर्ज में 1.8 फीसदी की कमजोरी आई।
मूडीज ने कहा है कि उसकी यह डाउनग्रेड अमेरिकी सरकार के ऋण और ब्याज भुगतान अनुपात में एक दशक से अधिक समय में हुई बड़ी वृद्धि को दर्शाती है और यह अनुपात ऐसी ही रेटिंग वाले संप्रभु देशों की तुलना में काफी अधिक है। मूडीज ने शुक्रवार को कहा था, ‘अमेरिकी प्रशासन और वहां की कांग्रेस बड़े सालाना राजकोषीय घाटे और बढ़ते ब्याज खर्च के रुझान को बदलने के उपायों पर काम करने में लगातार विफल रहे हैं।’
मूडीज ने अमेरिका की सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग ऐसे समय में कमी की है जब वहां की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के साझेदार देशों के संग कारोबारी समझौतों को पुनर्गठित करने में लगे हुए हैं। आईटी शेयरों में इसलिए गिरावट आई क्योंकि भारतीय टेक कंपनियों का राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। हालांकि विश्लेषकों ने आईटी शेयरों में गिरावट को अस्थायी प्रतिक्रिया बताया है और कहा है कि इस डाउनग्रेड का आईटी फर्मों के परिदृश्य पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है, ‘अमेरिकी बाजार अतीत में इस तरह की डाउनग्रेड के बाद भी चढ़ते रहे हैं। आईटी शेयरों पर प्रभाव अस्थायी होगा। लेकिन आईटी शेयरों की अपनी समस्याएं हैं।
आईटी कंपनियां डॉलर में कमजोर एक अंक की राजस्व वृद्धि दर्ज कर रही हैं जो मौजूदा रेटिंग कार्रवाई की वजह से बहुत अधिक प्रभावित नहीं होगी।।’चोकालिंगम ने कहा कि बड़ी आईटी कंपनियां नकदी से संपन्न हैं और उनके पास विस्तार के कम अवसर हैं।
चोकालिंगम ने कहा, ‘बड़ी आईटी कंपनियां विविधीकरण के बजाय बायबैक या लाभांश के माध्यम से शेयरधारकों को अपनी कमाई हुई नकदी वापस कर रही हैं। उनके पास बढ़ने के लिए एकमात्र विकल्प अधिग्रहण है। भविष्य में, हम मध्यम आकार की आईटी फर्मों का अधिग्रहण होता देख सकते हैं।’
आगे भी आईटी शेयरों पर दबाव बरकरार रहने का अनुमान है। 2025 में निफ्टी आईटी सूचकांक में 13.5 फीसदी गिरावट आई है।