अमेरिका में मुद्रास्फीति नरम रहने और बॉन्ड यील्ड खिसकने से आज भारतीय बाजार चढ़ गए। अमेरिका और ब्रिटेन में मुद्रास्फीति अनुमान से नीचे रही है, जिससे इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंक ब्याज दरें अब और नहीं बढ़ाएंगे। बॉन्ड यील्ड घटी और डॉलर में भी नरमी देखी गई, जिसके बाद निवेशकों में जोखिम भरी परिसंपत्तियों में रकम झोंकने का हौसला आ गया। 10 वर्ष की परिपक्वता वाले अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड कम होकर 4.5 प्रतिशत से नीचे चली गई, जो 5 प्रतिशत के पार चली गई थी।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स आज 742 अंक (1.14 प्रतिशत) चढ़ कर 65,676 पर बंद हुआ। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 232 अंक (1.2 प्रतिशत) चढ़ कर 19,675 पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में दोनों सूचकांक अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। 30 जून के बाद सेंसेक्स और 31 मार्च के बाद निफ्टी के लिए यह किसी एक कारोबारी सत्र की सबसे अधिक बढ़त है।
अक्टूबर में अमेरिका में मुद्रास्फीति सितंबर से मात्र 0.2 प्रतिशत बढ़ी। अमेरिका में शेयरों पर दांव खेलने वाले निवेशक इसे ब्याज दरों में बढ़ोतरी थमने का संकेत मान रहे हैं। कुछ निवेशकों का अनुमान है कि फेडरल रिज़र्व अगले साल जुलाई तक मानक ब्याज दर में 50 आधार अंक की कमी कर सकता है।
ब्रिटेन में मुद्रास्फीति घटकर पिछले दो वर्षों के सबसे निचले स्तर पर आ गई। 2021 के बाद से ब्रिटेन में मुद्रास्फीति सबसे सुस्त गति से बढ़ी है। इससे ब्रिटेन में भी यह उम्मीद जगी है कि बैंक ऑफ इंगलैंड अगले वर्ष के मध्य तक ब्याज दर घटा सकता है।
इस बीच चीन ने भी अपनी अर्थव्यवस्था की कुंद पड़ती धार तेज करने के लिए उपाय बढ़ा दे हैं। इससे एशियाई शेयरों में जोश आ गया है। पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने बैंकिंग तंत्र में 1.45 लाख करोड़ युआन डालने की पेशकश की है।
नोमूरा में इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट (एशिया) चेतन सेठ ने कहा, ‘जो संकेत मिल रहे हैं उनसे तो यही लगता है कि एशियाई शेयरों में मौजूदा तेजी अभी थमने वाली नहीं है। इसका कारण फेडरल रिज़र्व के अध्यक्ष का उत्साह भरा रुख है। श्रम बाजार और महंगाई के आंकड़े भी अमेरिका अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने के संकेत दे रहे हैं। बॉन्ड यील्ड और तेल के दाम भी पहले की तुलना में नरम हो गए हैं। इन सकारात्मक संकेतों से 2024 में जोखिम कम रहने के संकेत मिल रहे हैं।’
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन में मुद्रास्फीति नरम रहने से ब्याज दरों में तेजी का सिलसिला थमने के संकेत मिले हैं। नायर ने कहा कि इससे भारत सहित दुनिया के तेजी से उभरते बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ सकता है।