SEBI vs Jane Street: अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ग्रुप ने कथित हेराफेरी के मामले में बुधवार को प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ अपील दायर की। ट्रेडिंग फर्म ने कहा है कि बाजार नियामक ने जेन स्ट्रीट के बचाव के लिए महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक दस्तावेज तक पहुंच देने से इनकार कर दिया। अमेरिका की इस दिग्गज ट्रेडिंग फर्म ने इस मामले में सेबी पर ‘पूर्वग्रह और पहले से तय’ का भी आरोप लगाया है क्योंकि उसने कथित तौर पर पिछले एक निष्कर्ष को ‘छोड़ दिया और पलट दिया’, जिसमें किसी तरह का मूल्य हेरफेर नहीं दिखाया गया था।
अपनी अपील में जेन स्ट्रीट ने सेबी के एकीकृत निगरानी विभाग (सेबी-आईएसडी) की पूरी रिपोर्ट के साथ-साथ ट्रेडों के संबंध में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बाजार नियामक के बीच हुए पत्राचार की मांग की है। ट्रेडिंग समूह का दावा किया है कि सेबी-आईएसडी रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला था कि जेन स्ट्रीट की संस्थाओं ने बाजार कीमतों को अपने पक्ष में प्रभावित नहीं किया।
उसका आरोप है कि सेबी ने एनएसई को ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ को दरकिनार करने और इसके बजाय अन्य प्रणाली अपनाने का निर्देश दिया, ताकि यह साबित किया जा सके कि कुछ कथित हेरफेर हुआ था। इसमें कहा गया है कि चूंकि निष्कर्ष विरोधाभासी थे। इसलिए सेबी ने 3 जुलाई के आदेश में आईएसडी रिपोर्ट का उल्लेख नहीं किया।
ट्रेडिंग फर्म ने अगस्त में सेबी से इन अतिरिक्त रिपोर्टों और सूचनाओं की मांग की थी जिन्हें कथित तौर पर बाजार नियामक ने अस्वीकार कर दिया था।
3 जुलाई को जारी एकतरफा अंतरिम आदेश में नियामक ने बाजार में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए जेन स्ट्रीट और उसकी कंपनियों पर भारतीय बाजार में अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। कंपनियों के 4,840 करोड़ रुपये जमा कराने के बाद प्रतिबंध हटा लिया गया। जमा रकम की पहचान नियामक ने निफ्टी बैंक इंडेक्स से जुड़े विवादित सौदों से हुए लाभ के रूप में की थी।
ट्रेडिंग फर्म ने न्यायाधिकरण को बताया कि सेबी-आईएसडी रिपोर्ट में पाया गया है कि 90 प्रतिशत से अधिक पैच में यह स्थापित नहीं किया जा सका कि जेन स्ट्रीट समूह की ट्रेडिंग गतिविधियां शेयरों या उनके सूचकांक की कीमतों में उतार-चढ़ाव के लिए जिम्मेदार है और इससे डेरिवेटिव सेगमेंट में समूह की दूसरी इकाइयों की ओपन पोजीशन को फायदा हुआ। सूत्रों के अनुसार जेन स्ट्रीट ने पहले की पोजीशनों को निपटाने के अलावा भारतीय बाजार में कोई नया निवेश नहीं किया है। सेबी को इस संबंध में भेजे गए ईमेल सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की इस कंपनी ने जून 2025 को समाप्त दूसरी तिमाही में 10.1 अरब डॉलर का शुद्ध कारोबारी राजस्व दर्ज किया जो एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। कंपनी ने पहली छमाही (जनवरी-जून 2025) में 17.3 अरब डॉलर का रिकॉर्ड व्यापारिक राजस्व हासिल किया।