Stock Market outlook: पिछले कुछ सप्ताहों से वैश्विक इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव रहा है। उन्होंने कई झटकों का सामना किया है। इनमें भूराजनीतिक तनाव, अमेरिका में संभावित मंदी के डर से लेकर येन कैरी ट्रेड का असर तक शामिल है।
तो क्या वैश्विक बाजारों का बुरा दौर समाप्त हो गया है? अगले कुछ महीनों में जापानी शेयर बाजारों की चाल कैसी रहेगी? क्या अमेरिका वाकई मंदी की राह पर बढ़ रहा है? ऐसी सूरत में वैश्विक फंड प्रबंधकों की प्राथमिकता सूची में भारत कहां खड़ा है?
बोफा सिक्योरिटीज ने 2 अगस्त से 8 अगस्त के बीच 220 पैनलिस्टों (जिनके पास 590 अरब डॉलर मूल्य की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां हैं) के बीच सर्वे कराया और इसमें उन्होंने अपने विचार बताए कि वे अगले कुछ महीनों में वैश्विक शेयर बाजारों को किस तरह से देखते हैं। यहां प्रमुख 10 निष्कर्षों को बताया जा रहा है।
भारतीय इक्विटी पर 39 प्रतिशत फंड प्रबंधक ओवरवेट नजरिया अपनाए हुए हैं और भारत दूसरा सर्वाधिक पसंदीदा निवेश स्थान बना हुआ है। 41 प्रतिशत फंड प्रबंधकों के ओवरवेट नजरिये के साथ जापान शीर्ष पर रहा। बोफा सिक्योरिटीज ने कहा है, ‘टेक-हेवी ताइवान और कोरिया को आवंटन कम मिला और ताइवान 9 महीने में पहली बार तीसरे पायदान से फिसल गया। ऑस्ट्रेलिया, चीन और थाईलैंड गैर-पसंदीदा बने रहे।’
बोफा ने कहा कि लोगों के अनुकूल बजट के बाद भारत में खपत (32 प्रतिशत पसंद) ने पसंदीदा थीम के तौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर (15 प्रतिशत) को पीछे छोड़ा है।
फंड प्रबंधकों ने कहा कि एशिया प्रशांत (जापान छोड़कर) इक्नॉमिक आउटलुक ज्यादा मजबूत था और सर्वे में शामिल 22 प्रतिशत फंड प्रबंधकों ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के अगले 12 महीने में मजबूत होने की उम्मीद जताई जबकि जुलाई में यह प्रतिशत 24 था।
बोफा के निष्कर्षों से पता चलता है कि एशियाई क्षेत्र में कॉर्पोरेट लाभ की उम्मीदों को झटका लगा है। अगस्त के सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों में से केवल 17 प्रतिशत ने अगले कुछ महीनों में मुनाफे में वृद्धि की उम्मीद जताई जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 57 प्रतिशत था।
बोफा के सर्वे में कहा गया है कि वैश्विक निवेशक (जुलाई के 30 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में 56 प्रतिशत ) अब अन्य कारकों के साथ साथ मौद्रिक उतार-चढ़ाव पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जिससे जापान में बाजार की आगे की दिशा तय होगी।
जापान के शेयर बाजारों अगले 12 महीने में तेजी आने का अनुमान है। बोफा सिक्योरिटीज के सर्वे में शामिल 80 प्रतिशत फंड प्रबंधक ऐसा मान रहे हैं। हालांकि सिर्फ 46 प्रतिशत का मानना है निक्केई सूचकांक नई ऊंचाई छुएगा।
चीन के शेयरों के लिए बोफा का कॉन्ट्रारियन सेंटिमेंट इंडिकेटर अगस्त में पैनिक की सीमा तक पहुंच गया था। मुख्य तौर पर झुकाव बैंकों और सेमीकंडक्टर क्षेत्रों की ओर रहा। बोफा ने कहा, ‘एफएमएस ने भी उदासीनता को दोहराया है, जिसमें शुद्ध 10 प्रतिशत ने अगले 12 महीनों में अर्थव्यवस्था के कमजोर होने की आशंका जताई है जो 2022 में सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से सबसे कम वृद्धि है, क्योंकि चीन के परिवारों में बचत की प्रवृत्ति मजबूत हुई है।’
चीन के इक्विटी बाजारों में अगस्त में सुस्ती बनी रही और 32 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इस क्षेत्र के लिए अपना निवेश बढ़ाने से पहले ‘इंतजार करो और देखो’ की रणनीति बरकरार रखी। 32 प्रतिशत फंड प्रबंधकों ने अन्य क्षेत्रों/शेयर बाजारों की तलाश शुरू कर दी है जो जुलाई में 22 प्रतिशत था।
बोफा ने कहा कि सेमीकंडक्टर चक्र में निवेशकों का भरोसा डगमगाया है क्योंकि एफएमएस ने अपना आउटलुक घटाकर 30 प्रतिशत के साथ 19 महीने के निचले स्तर पर कर दिया है।
बोफा का कहना है कि निवेशकों ने अगस्त में लगातार प्रौद्योगिकी को पसंद किया है। हालांकि, अमेरिकी मंदी के उभरते जोखिम के कारण, ऊर्जा और सामग्री जैसे अन्य चक्रीय क्षेत्रों के प्रति धारणा में गिरावट के साथ-साथ, हेल्थकेयर और यूटीलिटीज जैसे सुरक्षित के पक्ष में आवंटन में कमी आई।