facebookmetapixel
Upcoming IPOs: आईपीओ मार्केट में फिर गर्माहट, सेबी ने ₹3500 करोड़ के सात नए आईपीओ को दी मंजूरीसत्य नडेला की कमाई बढ़कर हुई ₹800 करोड़, 90% हिस्सा सिर्फ शेयरों सेट्रंप ने दी दीपावली की बधाई, मोदी बोले – आपके कॉल के लिए धन्यवाद, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएंआरबीआई बदल सकता है नियम, बैंक बिना पूर्व अनुमति बना सकेंगे सहायक कंपनियांप्रवासी भारतीयों ने कम भेजा धन, अप्रैल-जुलाई के दौरान घटकर 4.7 अरब डॉलरक्या मोदी जाएंगे कुआलालंपुर? पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भागीदारी को लेकर सस्पेंस बरकरारउपेंद्र कुशवाहा बोले – नीतीश ही रहेंगे NDA का चेहरा, बिहार चुनाव में नेतृत्व को लेकर नहीं कोई मतभेदकोविड के बाद मांग में उछाल से कंपनियों का मुनाफा तीन गुना बढ़ापराली जलाने में कमी के बावजूद बढ़ा प्रदूषणमैग्नेट रिसाइक्लिंग पर जोर, पीएलआई योजना में शामिल करने की सिफारिश

Interview: बजट से तय होगी इक्विटी बाजार की चाल!

सैमको ग्रुप के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी के साथ सुंदर सेतुरामन की बातचीत के मुख्य अंश:

Last Updated- December 29, 2024 | 10:50 PM IST
Share market updates today

वित्त वर्ष 2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की आय दूसरी तिमाही के समान रहने की उम्मीद है क्योंकि कई प्रमुख क्षेत्र मांग में मंदी की समस्या से अभी भी जूझ रहे हैं।

वर्ष 2024 में शेयर बाजार में तेजी के मुख्य वाहक क्या थे और कैलेंडर वर्ष 2025 में निवेश परिदृश्य को आप किस नजरिये से देख रहे हैं?

वर्ष 2024 के समाप्त होने के साथ ही भारतीय बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता इक्विटी बाजार के प्रदर्शन के बारे में आशावाद का आधार पेश करती है। भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र ने चुनावी प्रक्रिया की वजह से वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कमजोर प्रदर्शन किया। चुनावी प्रक्रिया से सरकारी खर्च बाधित हुआ और इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग और सीमेंट जैसे मुख्य उद्योग प्रभावित हुए। अब चुनाव खत्म हो चुके हैं, इसलिए पूंजीगत व्यय में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक बाजारों को प्रभावित करना जारी रखेंगे। आगामी अमेरिकी प्रशासन में बदलाव और इसकी नीतिगत घोषणाएं पूंजी बाजारों को काफी हद तक प्रभावित करेंगी।

वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कमजोर प्रदर्शन के बाद आय में वृद्धि कब होगी और क्या तब तक बाजार सीमित दायरे में रहेगा?

भारतीय उद्योग जगत की आय वृद्धि ऊंची ब्याज दरों के कारण बाधित हुई है। इस मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर का रुख, साथ ही अमेरिकी प्रशासन और उसकी नीतियों में बदलाव बाजार की दिशा को बहुत प्रभावित करेंगे। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही काफी हद तक दूसरी तिमाही के समान रहने का अनुमान है, क्योंकि प्रमुख क्षेत्रों को मांग संबंधित दबाव अभी झेलना पड़ रहा है। निफ्टी का लाभ और बिक्री वृद्धि दूसरी तिमाही में तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई और तीसरी तिमाही में इसमें कोई मजबूत उछाल आने की उम्मीद नहीं दिख रही है। बाजार की दिशा संभवतः 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से तय होगी।

ऐसे कौन से संभावित कारक और चुनौतियां हैं जिनसे निवेशकों को भारतीय बाजार में सचेत रहना चाहिए और निवेश निर्णयों पर इनका किस तरह से प्रभाव पड़ सकता है?

आगामी वर्ष घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों तरह की अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिकी प्रशासन में बदलाव एक बड़ा कारक होगा। दरों, विदेशी व्यापार और भू-राजनीतिक तनाव (जैसे, रूस-यूक्रेन संघर्ष और इजरायल-हमास विवाद) पर ट्रंप प्रशासन की नीतियां वैश्विक बाजारों पर काफी प्रभाव डालेंगी। इन टकराव में इजाफा होने पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा, संभावित मंदी के प्रति अमेरिकी प्रतिक्रिया के साथ साथ मुद्रास्फीति, ब्याज दरों को लेकर अमेरिकी फेडरल के कदमों से अमेरिकी इक्विटी बाजार प्रभावित होंगे।

डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों से कौन से क्षेत्र या शेयर प्रभावित हो सकते हैं और भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ सकता है?

डॉनल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने की वजह से भारत समेत वैश्विक जगत में चिंता पहले ही बढ़ गई है। उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति भारत के निर्यात क्षेत्रों, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल को ज्यादा प्रभावित कर सकती है, क्योंकि ये अमेरिकी बाजार पर काफी अधिक निर्भर हैं। यदि अमेरिका सख्त आउटसोर्सिंग प्रतिबंध या ऊंचे शुल्क लगाता है तो इन क्षेत्रों और कंपनियों को झटकों का सामना करना पड़ सकता है।

First Published - December 29, 2024 | 10:50 PM IST

संबंधित पोस्ट