कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) के मुख्य कार्याधिकारी एवं सह-प्रमुख प्रतीक गुप्ता ने समी मोडक को ईमेल पर दिए इंटरव्यू में कहा कि हाल में उतार-चढ़ाव में इजाफा, खासकर तिमाही नतीजों और चीन पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के कारण हुआ है।
उन्होंने बताया कि भारतीय बाजार मौजूदा समय में महंगे होने का संकेत दे रहे हैं, जिससे खासकर स्मॉलकैप क्षेत्र में निवेशक सतर्क हो गए हैं। बातचीत के अंश:
हाल में अस्थिरता बढ़ी है। आपकी राय में इसकी वजह क्या है?
4 जून को भारत के चुनाव परिणाम जैसी किसी बड़ी घटना से पहले इस तरह का उतार-चढ़ाव अक्सर देखा जाता है। इसके अलावा हम कंपनियों के जनवरी-मार्च तिमाही नतीजों पर शेयर-केंद्रित प्रतिक्रियाएं देख रहे हैं। जहां तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का सवाल है तो वे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर कटौती के समय से जुड़े अनुमान हिसाब से अपनी उम्मीदें बदल रहे हैं।
इसके अलावा चीन में नए सिरे से दिलचस्पी और भारत का अपेक्षाकृत महंगा मूल्यांकन भी कारण है जिससे विदेशी बिकवाली बढ़ी है और बाजारों में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा मिला है।
स्मॉलकैप ने अपने नुकसान की भरपाई कर ली है। इसमें सुधार की क्या वजह रही है?
स्मॉलकैप में तेजी मुख्य रूप से उन रिटेल और अमीर निवेशकों के बल पर आई जिन्होंने पिछले साल के दौरान अच्छी कमाई की। यह निवेशक वर्ग नई सरकार के गठन के बाद मजबूत आर्थिक सुधारों को लेकर आशान्वित दिख रहा है।
हालांकि मैं इस जोरदार मनोबल के बीच मूल्यांकन पर नजर रखने हुए सावधानी बरतने की सलाह दूंगा। कुछ स्मॉलकैप में कम तरलता होती है, जिससे थोड़ी सी बिक्री के दबाव से ही उनके शेयरों की कीमतों में तेज गिरावट आ जाती है।
क्या आप बाजार में ताजा उछाल की कोई वजह देख रहे हैं?
हमारा मानना है कि भारतीय बाजार अपने ऐतिहासिक बेंचमार्क, विकास संभावना और इक्विटी पर रिटर्न की उम्मीदों के साथ-साथ अन्य उभरते बाजारों (ईएम) की तुलना में कुछ हद तक महंगा है। हालांकि कुछ स्मॉलकैप में जरूरत से ज्यादा उत्साह के उदाहरण हैं, वहीं कई लार्जकैप, विशेष रूप से वित्तीय सेवा क्षेत्र के शेयरों की कीमत आकर्षक है।
आम तौर पर, यह कहना जल्दबाजी होगी कि हम पूरे बाजार के लिहाज से बुलबुले जैसी स्थिति में हैं। निफ्टी एक वर्षीय आगामी आय के करीब 20 गुना पर कारोबार कर रहा है जो महंगा है, लेकिन किसी बुलबुले जैसी स्थिति का संकेत नहीं है कि 40 या 50 फीसदी की गिरावट आ जाए।
स्मॉलकैप और मिडकैप क्षेत्र में निवेशकों के आशावाद या वैल्युएशन मल्टीपल को किन कारकों से समर्थन मिल सकता है? इनकी तुलना में लार्जकैप के मूल्यांकन पर आप क्या कहते हैं और क्या वे सुरक्षित हैं?
पिछले साल के दौरान निफ्टी-50 ने करीब 24 प्रतिशत प्रतिफल दिया है जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप ने 72 प्रतिशत और 59 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। स्मॉल और मिडकैप शेयरों में तेजी मुख्य तौर पर म्युचुअल फंडों, छोटे कारोबारियों और एचएनआई जैसे घरेलू निवेशकों के बल पर आई है।
इसके अलावा भारत में भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। हालांकि, हम इन अनुमानों के आधार पर पर अति उत्साह के खिलाफ आगाह करते हैं, खासकर स्मॉलकैप के मौजूदा भावों को देखते हुए। सामान्य तौर पर लार्जकैप इस सूरत में अपेक्षाकृत बेहतर रिस्क/रिवार्ड अनुपात की पेशकश करते हैं।
चौथी तिमाही के नतीजों का सत्र अभी तक कैसा रहा है? क्या भारतीय उद्योग जगत वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने ईपीएस अनुमान हासिल करने की राह पर है?
मार्च में समाप्त तिमाही के नतीजों और इन पर टिप्पणियों ने मिली-जुली तस्वीर पेश की है। उदाहरण के लिए आईटी सेवा और रसायन क्षेत्र उम्मीद से कमतर रहे जबकि कई बैंकों, एनबीएफसी, रियल एस्टेट और होटल क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 दोनों के लिए लगभग 14 प्रतिशत की हमारी अनुमानित आय वृद्धि में अंतर नहीं आया है।
जहां इंडिया वीआईएक्स चढ़ा है, वहीं बाजार चुनावी हलचल से काफी हद तक अलग दिख रहा है। क्या आपको किसी अप्रत्याशित घटनाक्रम की आशंका है?
चुनाव स्वाभाविक रूप से अप्रत्याशित होते हैं और अनुभवी एग्जिट पोल विशेषज्ञ भी अपने अनुमानों में गलत साबित हो सकते हैं। इस समय बाजार को इसी सरकार के आसानी से फिर से सत्ता में आने का भरोसा दिख रहा है। इसलिए इस उम्मीद में कोई बड़ा बदलाव आने पर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।